आज मैं अस्सी वर्ष का हूँ। क्या मैं इस उम्र में भले और बुरे की पहचान कर सकता हूँ? अब क्या मुझमें खाने-पीने की रुचि रह गई है? अब क्या मैं गायक-गायिकाओं का मधुर गीत सुन सकता हूँ? ऐसी स्थिति में आपका यह सेवक अपने स्वामी पर, महाराज पर भार क्यों बने?
पर तुम उसका उल्लंघन कर आनन्द और हर्ष मना रहे हो; तुम बैलों को हलाल कर रहे हो; भेड़ों को काट रहे हो; और उनका मांस खा रहे हो, शराब पी रहे हो और यह कह रहे हो, “खाओ-पीओ, मौज करो; क्योंकि कल तो मरना ही है।”
एफ्रइम राज्य के शराबियों के अहंकारमय मुकुट को धिक्कार! उत्तरी राज्य के कान्तिमय सौंदर्य के मुरझाते हुए फूल को धिक्कार! यह मदिरा से मस्त शराबियों की उपजाऊ घाटी के ऊपरी भाग में खिला है।
धन धोखेबाज है! अहंकारी व्यक्ति टिक नहीं सकता। उसका लोभ अधोलोक की तरह मुंह फाड़े रहता है, मृत्यु के समान उसका पेट कभी नहीं भरता। वह अपने में सारे राष्ट्रों को समेटता है, वह सब कौमों को अपने पास एकत्रित रखता है।’
“अपने विषय में सावधान रहो। कहीं ऐसा न हो कि भोग-विलास, नशे और इस संसार की चिन्ताओं से तुम्हारा मन कुण्ठित हो जाए और वह दिन फन्दे की तरह अचानक तुम पर आ गिरे;
द्वेष, मतवालापन, रंगरलियाँ और इसी प्रकार की अन्य बातें। मैं आप लोगों से कहता हूँ, जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, जो लोग इस प्रकार का आचरण करते हैं, वे परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं होंगे।
अबीगइल नाबाल के पास लौटी। उसने देखा कि उसका पति घर में भव्य भोज कर रहा है, जैसे राजकीय भोज हो। उसका हृदय आनन्दमग्न है। वह नशे में चूर है। अत: अबीगइल ने उसे सबेरे तक कोई भी बात नहीं बतायी।