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यशायाह 5:11 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

11 हाय उन पर जो बड़े तड़के उठकर मदिरा पीने लगते हैं और बड़ी रात तक दाखमधु पीते रहते हैं जब तक उनको गर्मी न चढ़ जाए!

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पवित्र बाइबल

11 तुम्हें धिक्कार है, तुम लोग अलख सुबह उठते हो और अब सुरा पीने की ताक में रहते हो। रात को देर तक जागते हुए दाखमधु पी कर धुत होते हो।

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Hindi Holy Bible

11 हाय उन पर जो बड़े तड़के उठ कर मदिरा पीने लगते हैं और बड़ी रात तक दाखमधु पीते रहते हैं जब तक उन को गर्मी न चढ़ जाए!

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

11 धिक्‍कार है तुम्‍हें! तुम बड़े सबेरे उठते ही नशा करते हो; शराब की गर्मी चढ़ाने के लिए रात को बड़ी देर तक पीते रहते हो।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

11 हाय उन पर जो बड़े तड़के उठकर मदिरा पीने लगते हैं और बड़ी रात तक दाखमधु पीते रहते हैं जब तक उनको गर्मी न चढ़ जाए!

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सरल हिन्दी बाइबल

11 हाय उन पर जो सुबह जल्दी उठकर शराब खोजते हैं, और शाम तक दाखमधु पीकर नशा करते हैं.

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यशायाह 5:11
21 क्रॉस रेफरेंस  

जैसे दिन में, वैसे ही हमें उचित रूप से चलना चाहिए; न कि लीलाक्रीड़ा, और पियक्कड़पन, न व्यभिचार, और लुचपन में, और न झगड़े और ईर्ष्या में।


हाय उन पर जो दाखमधु पीने में वीर और मदिरा को तेज बनाने में बहादुर हैं,


दाखमधु ठट्ठा करनेवाला और मदिरा हल्ला मचानेवाली है; जो कोई उसके कारण चूक करता है, वह बुद्धिमान नहीं।


डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, और इनके जैसे और-और काम हैं, इनके विषय में मैं तुम को पहले से कह देता हूँ जैसा पहले कह भी चुका हूँ, कि ऐसे-ऐसे काम करनेवाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे।


न चोर, न लोभी, न पियक्कड़, न गाली देनेवाले, न अंधेर करनेवाले परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे।


“इसलिए सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन खुमार और मतवालेपन, और इस जीवन की चिन्ताओं से सुस्त हो जाएँ, और वह दिन तुम पर फंदे के समान अचानक आ पड़े।


घमण्ड के मुकुट पर हाय! जो एप्रैम के मतवालों का है, और उनकी भड़कीली सुन्दरता पर जो मुर्झानेवाला फूल है, जो अति उपजाऊ तराई के सिरे पर दाखमधु से मतवालों की है।


हाय उस पर, जो अपने पड़ोसी को मदिरा पिलाता, और उसमें विष मिलाकर उसको मतवाला कर देता है कि उसको नंगा देखे।


क्योंकि अन्त में वह सर्प के समान डसता है, और करैत के समान काटता है।


तब अबीगैल नाबाल के पास लौट गई; और क्या देखती है, कि वह घर में राजा का सा भोज कर रहा है। और नाबाल का मन मगन है, और वह नशे में अति चूर हो गया है; इसलिए उसने भोर का उजियाला होने से पहले उससे कुछ भी न कहा।


आज मैं अस्सी वर्ष का हूँ; क्या मैं भले बुरे का विवेक कर सकता हूँ? क्या तेरा दास जो कुछ खाता पीता है उसका स्वाद पहचान सकता है? क्या मुझे गायकों या गायिकाओं का शब्द अब सुन पड़ता है? तेरा दास अब अपने स्वामी राजा के लिये क्यों बोझ का कारण हो?


परन्तु क्या देखा कि हर्ष और आनन्द मनाया जा रहा है, गाय-बैल का घात और भेड़-बकरी का वध किया जा रहा है, माँस खाया और दाखमधु पीया जा रहा है। और कहते हैं, “आओ खाएँ-पीएँ, क्योंकि कल तो हमें मरना है।” (1 कुरि. 15:32)


वे गाकर फिर दाखमधु न पीएँगे; पीनेवाले को मदिरा कड़वी लगेगी।


एप्रैमी मतवालों के घमण्ड का मुकुट पाँव से लताड़ा जाएगा;


वे कहते हैं, “आओ, हम दाखमधु ले आएँ, आओ मदिरा पीकर छक जाएँ; कल का दिन भी तो आज ही के समान अत्यन्त सुहावना होगा।” (लूका 12:19-20, 1 कुरि. 15:32)


दाखमधु से धोखा होता है; अहंकारी पुरुष घर में नहीं रहता, और उसकी लालसा अधोलोक के समान पूरी नहीं होती, और मृत्यु के समान उसका पेट नहीं भरता। वह सब जातियों को अपने पास खींच लेता, और सब देशों के लोगों को अपने पास इकट्ठे कर रखता है।”


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