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यशायाह 5:10 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

10 अंगूर-उद्यान की दस बीघा भूमि पर केवल एक बीघा भूमि की फसल होगी; दस किलो बीज से केवल एक किलो अन्न उपजेगा।

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पवित्र बाइबल

10 उस समय, दस एकड़ की अँगूरों की उपज से थोड़ी सी दाखमधु तैयार होगी। और कई बोरी बीजों से थोड़ा सा अनाज पैदा हो पायेगा।”

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Hindi Holy Bible

10 क्योंकि दस बीघे की दाख की बारी से एक ही बत दाखमधु मिलेगा, और होमेर भर के बीच से एक ही एपा अन्न उत्पन्न होगा॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

10 क्योंकि दस बीघे की दाख की बारी से एक ही बत दाखमधु मिलेगा, और होमेर भर के बीज से एक ही एपा अन्न उत्पन्न होगा।”

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सरल हिन्दी बाइबल

10 दस एकड़ के दाख की बारी से सिर्फ एक बत दाखरस ही मिलेगा; और होमेर भर बीज से एक एफा उपज होगी.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

10 क्योंकि दस बीघे की दाख की बारी से एक ही बत दाखमधु मिलेगा, और होमेर भर के बीच से एक ही एपा अन्न उत्पन्न होगा।”

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यशायाह 5:10
13 क्रॉस रेफरेंस  

गांठें और शाखाएँ भी धातु के एक ही टुकड़े से बनी थीं। शुद्ध सोना ढालकर पूरा दीपाधार एक ही टुकड़े से बनाया गया था।


शोक मनाओ! मेरे देशवासियों की धरती में अब झाड़-झंखाड़ उग आए हैं। सुखी नगर के सब उल्‍लसित घरों के लिए शोक मनाओ।


उस दिन वे सब स्‍थान, जहाँ अंगूर की हजार बेलें थीं, जिनका मूल्‍य चांदी के हजार सिक्‍के था वहाँ अब कंटीले झाड़-झंखाड़ होंगे।


मोआब की उपजाऊ भूमि से आनन्‍द और हर्ष विदा हो गए। मैंने अंगूर रस-कुण्‍डों में रस सुखा दिया, अब हंसते-गाते किसान रसकुण्‍डों से रस नहीं निकालते। उनके मुंह से हर्ष की आवाज नहीं निकलती।


मिट्टी के ढेलों के नीचे बीज झुलस गए। खलियान उजड़ गए, भण्‍डार-गृह खाली पड़ गए, क्‍योंकि फसल बर्बाद हो गई।


मैं तुम्‍हारे जीवन का आधार चूर-चूर कर दूंगा। दस स्‍त्रियां एक ही तन्‍दूर पर रोटियां बनाएंगी, और वे तुम्‍हें रोटी तौल-तौलकर देंगी। तुम रोटियां खाओगे, पर तृप्‍त नहीं होगे।


‘यदि कोई व्यक्‍ति मुझ-प्रभु से अपने पैतृक खेत कि मन्नत मानेगा तो तुम उसके बीज के अनुसार उसका मूल्‍यांकन करना। बुवाई में जितना बीज लगता है, अर्थात् सौ किलो जौ के बीज का मूल्‍यांकन चांदी के पचास सिक्‍के होगा।


तुमने बहुत बोया, पर काटा थोड़ा। तुम खाते हो, पर तृप्‍त नहीं होते। पानी पीते हो, पर प्‍यास नहीं बुझती। तुम कपड़े पहिनते हो, पर उससे तुम्‍हारी ठण्‍ड दूर नहीं होती। मजदूर कमाता है, पर अपनी कमाई को ऐसी थैली में रखता है, जिसमें छेद है।’


उन दिनों में जब कोई व्यक्‍ति अन्न के ढेर के पास दो सौ किलो की आशा से जाता था, तब उसे एक सौ प्राप्‍त होता था। जब वह अंगूर-रस के कुण्‍ड के पास जाता और सोचता था कि वह एक सौ लिटर रस निकालेगा तब उसे चालीस ही मिलता था।


तू खेत में बहुत बीज बोएगा, किन्‍तु थोड़ी फसल ही एकत्र कर पाएगा, क्‍योंकि टिड्डियाँ उसको चट कर जाएंगी।


तू अंगूर के उद्यान लगाएगा, उनमें परिश्रम करेगा, पर न तू अंगूर-रस पी सकेगा, और न अंगूर के फल एकत्र कर सकेगा, क्‍योंकि कीड़ा उनको खा जाएगा।


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