परमेश्वर ने बालक के रोने की आवाज सुनी। परमेश्वर के दूत ने स्वर्ग से हागार को पुकारा और उससे कहा, ‘हागार, तुझे क्या हुआ है? मत डर, जहाँ तेरा बालक पड़ा है वहाँ से परमेश्वर ने उसकी आवाज सुनी है।
यशायाह 22:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) ‘दर्शन की घाटी’ के विरुद्ध नबूवत : तुम्हें क्या हुआ कि तुम सबके सब मकान की छतों पर चढ़ गए? पवित्र बाइबल दिव्य दर्शन की घाटी के बारे में दु:खद सन्देश: तुम लोगों के साथ क्या हुआ है कयों तुम अपने घरों की छतों पर छिप रहे हो Hindi Holy Bible दर्शन की तराई के विषय में भारी वचन। तुम्हें क्या हुआ कि तुम सब के सब छतों पर चढ़ गए हो, पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) दर्शन की तराई के विषय भारी वचन। तुम्हें क्या हुआ कि तुम सब के सब छतों पर चढ़ गए हो? सरल हिन्दी बाइबल दर्शन की घाटी के विरुद्ध भविष्यवाणी: क्या हो गया है तुम्हें, तुम सबके सब छतों पर क्यों चढ़ गए हो, इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 दर्शन की तराई के विषय में भारी वचन। तुम्हें क्या हुआ कि तुम सब के सब छतों पर चढ़ गए हो, |
परमेश्वर ने बालक के रोने की आवाज सुनी। परमेश्वर के दूत ने स्वर्ग से हागार को पुकारा और उससे कहा, ‘हागार, तुझे क्या हुआ है? मत डर, जहाँ तेरा बालक पड़ा है वहाँ से परमेश्वर ने उसकी आवाज सुनी है।
राजा ने उससे पूछा, ‘क्या बात है?’ स्त्री ने उत्तर दिया, ‘महाराज, मैं विधवा हूँ। मेरा पति मर गया है।
राजा ने फिर उससे पूछा, ‘तुम्हें क्या कष्ट है?’ उसने बताया, ‘इस स्त्री ने मुझसे कहा, “अपना बच्चा मुझे दो, ताकि हम आज उसको खाएं। कल हम-दोनों मेरा बच्चा खाएंगे।”
जैसे यरूशलेम के चारों ओर पर्वत हैं, वैसे ही प्रभु अपने निज लोगों के चारों ओर है, अब से सदा-सर्वदा तक।
नबियों के दर्शन के अभाव में लोगों में प्रभु का डर नहीं रह जाता; किन्तु धन्य है वह मनुष्य जो व्यवस्था का पालन करता है।
गलियों में लोग शोक वस्त्र पहिने हुए घूम रहे हैं। मकानों की छतों पर, चौराहों पर लोग छाती पीट-पीटकर रो रहे हैं; वे आंसू की नदी बहा रहे हैं।
स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु, स्वामी ने कोलाहल, विध्वंस और संभ्रम का दिन निर्धारित कर दिया है। दर्शन की घाटी में शहरपनाह फेंक दी गई। लोगों की दुहाई पहाड़ से टकरा रही है।
यहूदा प्रदेश के राजाओं के महल, यरूशलेम निवासियों के मकान, जहां आकाश की प्राकृतिक शक्तियों को सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाया गया है, अन्य देवी-देवताओं को पेय-बलि चढ़ायी गयी है, वे सब घर तोपेत पूजा-स्थल के समान अशुद्ध होंगे।” ’
यरूशलेम नगरी के संबंध में प्रभु ने कहा, ‘ओ घाटी में रहने वाली, ओ मैदान की चट्टान! मैं तेरे विरुद्ध हूं। तुम कहती हो, “हम पर कौन आक्रमण कर सकता है? हमारे निवासस्थानों में कौन प्रवेश कर सकता है?”
इस नगर पर आक्रमण करनेवाले कसदी सैनिक नगर में प्रवेश करेंगे, और इस में आग लगा देंगे। वे उन मकानों को भस्म कर देंगे जिनकी छतों पर बअल देवता के लिए धूप-द्रव्य जलाए गए थे, अन्य देवी-देवताओं को पेयबलि अर्पित की गई थी, और यों मुझे क्रोध के लिए उकसाया गया था।
इस्राएल और यहूदा प्रदेश की जनता ने, न केवल जनता ने, बल्कि उन के राजाओं, उच्चाधिकारियों, पुरोहितों, नबियों ने, यहूदा प्रदेश के निवासियों और यरूशलेम के नागरिकों ने ऐसे दुष्कर्म किए हैं, जिन के कारण मेरी क्रोधाग्नि भड़क उठी है।
मोआब के मकानों की छतों और चौकों पर रोना-पीटना हो रहा है: सब जगह विलाप ही विलाप हो रहा है; क्योंकि मैंने मिट्टी के बरतन की तरह मोआब को तोड़ दिया है; अब उसकी ओर कोई ध्यान नहीं देता। प्रभु की यह वाणी है।
‘कौमें अपने को उत्तेजित करें, वे यहोशापाट की घाटी में जाएं। वहां मैं न्याय-सिंहासन पर बैठूंगा, और चारों ओर की कौमों का न्याय करूंगा।
अत: ओ नबियो! रात में तुम्हें दर्शन नहीं मिलेगा, और न ही अन्धकार में तुम शकुन विचार सकोगे। तुम-नबियों का सूर्य अस्त हो जाएगा, तुम्हारे दिन भी अन्धकार में बदल जाएंगे।
ये अपने घर की छत पर चढ़कर आकाश की शक्तियों की पूजा करते हैं, और मिलकोम देवता के नाम पर शपथ खाते हैं। ये मेरी भी वन्दना करते हैं; और मुझ-प्रभु के नाम पर भी शपथ खाते हैं!
जो मैं तुम से अंधेरे में कहता हूँ, उसे तुम उजाले में सुनाओ। जो तुम्हें कानों में कहा जाता है, उसे तुम छतों पर से पुकार-पुकार कर कहो।
‘जब तू नया मकान बनाएगा तब उसकी छत के लिए मुंडेर भी बनाना। ऐसा न हो कि कोई व्यक्ति छत पर से नीचे गिर पड़े और उसकी हत्या का दोष तुझ पर लगे।
उन्होंने दान कुल के लोगों को पुकारा। दान कुल के लोगों ने पीछे की ओर मुख किया और उनसे पूछा, ‘तुम्हें क्या हुआ, जो दल-बल के साथ आ रहे हो?’
शाऊल बैलों के पीछे-पीछे खेत से आ रहा था। उसने पूछा, ‘लोगों को क्या हुआ? वे क्यों रो रहे हैं?’ अत: लोगों ने उसे याबेश नगर के दूतों का समाचार सुनाया।
बालक शमूएल एली की उपस्थिति में प्रभु की सेवा करता था। उन दिनों में प्रभु का वचन दुर्लभ था। प्रभु का दर्शन कम ही मिलता था।