मैं काला पड़ गया हूं, पर सूर्य की गर्मी से नहीं, मैं इसी दशा में इधर-उधर जाता हूं; मैं सभा में खड़ा होता, और सहायता के लिए दुहाई देता हूं।
भजन संहिता 38:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मैं झुक गया हूँ; धूल-धूसरित हो गया हूँ; मैं दिन भर विलाप करता फिरता हूँ। पवित्र बाइबल मैं झुका और दबा हुआ हूँ। मैं सारे दिन उदास रहता हूँ। Hindi Holy Bible मैं बहुत दुखी हूं और झुक गया हूं; दिन भर मैं शोक का पहिरावा पहिने हुए चलता फिरता हूं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) मैं बहुत दु:खी हूँ और झुक गया हूँ; दिन भर मैं शोक का पहिरावा पहिने हुए चलता फिरता हूँ। नवीन हिंदी बाइबल मैं झुक गया और नीचे दब गया हूँ। मैं दिन भर विलाप करता फिरता हूँ; सरल हिन्दी बाइबल मैं झुक गया हूं, दुर्बलता के शोकभाव से अत्यंत नीचा हो गया हूं; सारे दिन मैं विलाप ही करता रहता हूं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 मैं बहुत दुःखी हूँ और झुक गया हूँ; दिन भर मैं शोक का पहरावा पहने हुए चलता फिरता हूँ। |
मैं काला पड़ गया हूं, पर सूर्य की गर्मी से नहीं, मैं इसी दशा में इधर-उधर जाता हूं; मैं सभा में खड़ा होता, और सहायता के लिए दुहाई देता हूं।
मेरा शरीर कीड़ों का घर है, मेरी देह पर मिट्टी की परत चढ़ी है। मेरी चमड़ी कड़ी पड़ गई है, और वह फिर गलने लगी है।
मेरा जीवन दु:ख में बीता; और मेरी आयु आह भरते बीत गई। मेरे अधर्म के कारण मेरा बल घट गया, और मेरी हड्डियां दिखाई देने लगीं।
मेरी यह भावना थी मानो वह मेरा आत्मीय हो, मेरा भाई हो। मैंने सिर झुकाकर मातृशोक जैसा विलाप किया था।
ओ मेरे प्राण, तू क्यों व्याकुल है? क्यों तू हृदय में अशांत है? ओ मेरे प्राण, तू परमेश्वर की आशा कर; मैं अपने उद्धार को, अपने परमेश्वर को पुन: सराहूंगा।
मैं अपने परमेश्वर, अपनी चट्टान से यह पूछता हूँ: “तू ने मुझे क्यों भुला दिया? क्यों मैं शत्रु के अत्याचार के कारण शोक-संतप्त मारा-मारा फिरता हूँ?”
परमेश्वर, तू ही मेरा शरणस्थल है। क्यों तूने मुझे त्याग दिया? क्यों मैं शत्रु के अत्याचार के कारण शोक-सन्तप्त, मारा-मारा फिरता हूं?
शत्रुओं ने मेरे पैरों के लिए जाल फैलाया है; मैं झुक गया हूँ। उन्होंने मेरे सम्मुख एक गड्ढा खोदा है; पर वे स्वयं उसमें गिर पड़े हैं। सेलाह
मैं सिसकते-सिसकते थक गया; मैं प्रति रात अपने बिछौने को आंसुओं से भिगोता हूं, अश्रुधारा से मेरी शैया डूब जाती है।
पीड़ा के कारण मेरी आंखें धुंधली पड़ रही हैं। हे प्रभु, मैं तुझको प्रतिदिन पुकारता हूँ, अपने हाथ तेरी ओर फैलाता हूँ।
मैं सूपाबेनी अथवा सारस के समान चूं-चूं करता हूं; कबूतर जैसे मैं कराहता हूं; मेरी आंखें ऊपर देखते-देखते पथरा गईं। स्वामी, मैं कष्ट में हूं; तू मुझे सहारा दे!