तब उसकी पत्नी जेरेश और उसके मित्रों ने यह सलाह दी, ‘तुम बीस मीटर ऊंचा फांसी का खम्भा बनाओ, और कल सबेरे महाराज से कहो कि वह मोरदकय को फांसी पर टांगने का आदेश दें। इसके बाद शाम को महाराज के साथ आनन्द से भोज में जाना।’ यह सलाह हामान को पसन्द आई। उसने फांसी का खम्भा बनवाया।
पर मुझे शत्रुओं की चिढ़ का भय था; ऐसा न हो कि उनके बैरियों को भ्रम हो, और वे यह कहें, “हमने अपने भुजबल से विजय प्राप्त की है। प्रभु ने यह सब नहीं किया।”