अत: एलियाह उठे। उन्होंने खाया-पिया। वह इस भोजन से बल प्राप्त कर चालीस दिन और चालीस रात चलते रहे, और परमेश्वर के पर्वत होरेब पर पहुंचे।
प्रेरितों के काम 1:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) येशु ने अपने दु:ख-भोग के बाद उन प्रेरितों के संमुख बहुत-से प्रमाण प्रस्तुत किए कि वह जीवित हैं। वह चालीस दिन तक उन्हें दिखाई देते रहे और उनसे परमेश्वर के राज्य के विषय में बात करते रहे। पवित्र बाइबल अपनी मृत्यु के बाद उसने अपने आपको बहुत से ठोस प्रमाणों के साथ उनके सामने प्रकट किया कि वह जीवित है। वह चालीस दिनों तक उनके सामने प्रकट होता रहा तथा परमेश्वर के राज्य के विषय में उन्हें बताता रहा। Hindi Holy Bible और उस ने दु:ख उठाने के बाद बहुत से पड़े प्रमाणों से अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया, और चालीस दिन तक वह उन्हें दिखाई देता रहा: और परमेश्वर के राज्य की बातें करता रहा। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उसने दु:ख उठाने के बाद बहुत से पक्के प्रमाणों से अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया, और चालीस दिन तक वह उन्हें दिखाई देता रहा, और परमेश्वर के राज्य की बातें करता रहा। नवीन हिंदी बाइबल अपने दुःख-भोग के बाद यीशु ने बहुत से ठोस प्रमाणों से अपने आपको उन पर जीवित प्रकट किया, और वह चालीस दिन तक उन्हें दिखाई देता रहा और परमेश्वर के राज्य की बातें बताता रहा। सरल हिन्दी बाइबल मसीह येशु इन प्रेरितों के सामने अपने प्राणों के अंत तक की यातना के बाद अनेक अटल सबूतों के साथ चालीस दिन स्वयं को जीवित प्रकट करते रहे तथा परमेश्वर के राज्य संबंधी विषयों का वर्णन करते रहे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और यीशु के दुःख उठाने के बाद बहुत से पक्के प्रमाणों से अपने आपको उन्हें जीवित दिखाया, और चालीस दिन तक वह प्रेरितों को दिखाई देता रहा, और परमेश्वर के राज्य की बातें करता रहा। |
अत: एलियाह उठे। उन्होंने खाया-पिया। वह इस भोजन से बल प्राप्त कर चालीस दिन और चालीस रात चलते रहे, और परमेश्वर के पर्वत होरेब पर पहुंचे।
इसलिए मैं तुम लोगों से कहता हूँ : परमेश्वर का राज्य तुम से ले लिया जाएगा और ऐसे राष्ट्र को दिया जाएगा, जो उसका उचित फल उत्पन्न करेगा।
येशु एकाएक मार्ग में उन स्त्रियों से मिले और बोले, “सुखी रहो!” वे येशु के समीप गईं और उनके चरणों को पकड़ कर उनकी वंदना की।
प्रभु येशु अपने शिष्यों से बातें करने के बाद स्वर्ग में उठा लिये गये और परमेश्वर की दाहिनी ओर विराजमान हो गये।
आठ दिन के पश्चात् येशु के शिष्य फिर घर के भीतर एकत्र थे और थोमस उनके साथ था। यद्यपि द्वार बन्द थे, फिर भी येशु आए और उनके बीच खड़े हो गये और बोले, “तुम्हें शान्ति मिले!”
इसके पश्चात् येशु ने तिबेरियस झील के तट पर पुन: अपने आपको शिष्यों पर प्रकट किया। यह इस प्रकार हुआ।
इस प्रकार मृतकों में से जी उठने के पश्चात् यह तीसरी बार येशु ने शिष्यों को दर्शन दिया।
और वह बहुत दिनों तक उन लोगों को दर्शन देते रहे, जो उनके साथ गलील प्रदेश से यरूशलेम आये थे। अब वे ही जनता के सामने उनके साक्षी हैं।
पौलुस तीन महीनों तक सभागृह जाते रहे। वह परमेश्वर के राज्य के विषय में निर्भीकता-पूर्वक बोलते और यहूदियों को समझाते थे।
अत: यहूदियों ने पौलुस के साथ एक दिन निश्चित किया और बड़ी संख्या में उनके यहाँ एकत्र हुए। पौलुस सुबह से शाम तक उनके लिए व्याख्या करते रहे। उन्होंने परमेश्वर के राज्य के विषय में साक्षी दी और मूसा की व्यवस्था तथा नबी-ग्रंथों के आधार पर उनको येशु के संबंध में समझाने का प्रयत्न किया।
वह निर्भीकता से तथा निर्विघ्न रूप से परमेश्वर के राज्य का सन्देश सुनाते और प्रभु येशु मसीह के विषय में शिक्षा देते रहे।
किन्तु जब वे फ़िलिप की बातों पर विश्वास करने लगे, जो परमेश्वर के राज्य तथा येशु मसीह के नाम के शुभसमाचार का प्रचार करता था, तो स्त्री-पुरुष सब ने बपतिस्मा ग्रहण कर लिया।
क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाने-पीने का नहीं, बल्कि वह धार्मिकता, शान्ति और आनन्द का विषय है, जो पवित्र आत्मा से प्राप्त होते हैं।
मैं पहले के समान चालीस दिन और चालीस रात प्रभु के सम्मुख पड़ा रहा। मैंने न रोटी खाई, और न पानी पिया, क्योंकि जो कार्य प्रभु की दृष्टि में बुरा था, उसको करके तुमने पाप किया था और इस प्रकार तुमने प्रभु को चिढ़ाया था।
जब मैं पत्थर की पट्टियाँ, उस विधान की पट्टियाँ, जो प्रभु ने तुम्हारे साथ स्थापित किया, ग्रहण करने के लिए पहाड़ पर चढ़ा था, तब मैं चालीस दिन और चालीस रात तक पहाड़ पर रहा। मैंने न रोटी खायी और न पानी पिया।
उपदेश और सान्त्वना देते और अनुरोध करते थे कि आप उस परमेश्वर के योग्य जीवन बितायें, जो आप को अपने राज्य की महिमा के लिए बुलाता है।
हमारा विषय वह शब्द है, जो आदि से विद्यमान था। हम ने उसे सुना है। हमने उसे अपनी आँखों से देखा है। हमने उसका अवलोकन किया और अपने हाथों से उसका स्पर्श किया है। वह शब्द जीवन है