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न्यायियों 17:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

मीकाह ने चांदी के ग्‍यारह सौ सिक्‍के अपनी माँ को लौटा दिए। उसकी माँ ने कहा, ‘मैं अपने हाथ से अपने पुत्र के लिए चांदी के ये सिक्‍के प्रभु को चढ़ाने का संकल्‍प करती हूँ, ताकि इनसे एक मूर्ति, चांदी की ढली-गढ़ी प्रतिमा बनाई जाए। इसलिए, पुत्र, अब मैं चांदी के ये सिक्‍के तुझे वापस करती हूँ।’

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पवित्र बाइबल

मीका ने अपनी माँ को ग्यारह सौ सिक्के वापस दिये। तब उसने कहा, “मैं ये सिक्के यहोवा को एक विशेष भेंट के रूप में दूँगी। मैं यह चाँदी अपने पुत्र को दूँगी और वह एक मूर्ती बनाएगा और उसे चाँदी से ढक देगा। इसलिए पुत्र, अब यह चाँदी मैं तुम्हें लौटाती हूँ।”

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Hindi Holy Bible

जब उसने वे ग्यारह सौ टुकड़े चान्दी अपनी माता को फेर दिए; तब माता ने कहा, मैं अपनी ओर से अपने बेटे के लिये यह रूपया यहोवा को निश्चय अर्पण करती हूं ताकि उस से एक मूरत खोदकर, और दूसरी ढालकर बनाईं जाए, सो अब मैं उसे तुझ को फेर देती हूं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

जब उसने वे ग्यारह सौ टुकड़े चाँदी अपनी माता को फेर दिए; तब माता ने कहा, “मैं अपनी ओर से अपने बेटे के लिये यह रुपया यहोवा को निश्‍चय अर्पण करती हूँ ताकि उससे एक मूरत खोदकर, और दूसरी ढालकर बनाई जाए; इसलिये अब मैं उसे तुझ को फेर देती हूँ।”

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सरल हिन्दी बाइबल

उसने ग्यारह सौ सिक्‍के अपनी माता को लौटा दिए. उसकी माता ने कहा, “मैं ये सारे सिक्‍के अपने हाथों से अपनी पुत्र के लिए याहवेह को भेंट में दे देती हूं, कि इनसे एक खोदी हुई और चांदी से ढाली गई मूर्ति बनाई जाए. इस काम के लिए अब मैं ये तुम्हें ही सौंप रही हूं.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

जब उसने वे ग्यारह सौ टुकड़े चाँदी अपनी माता को वापस दिए; तब माता ने कहा, “मैं अपनी ओर से अपने बेटे के लिये यह रुपया यहोवा को निश्चय अर्पण करती हूँ ताकि उससे एक मूरत खोदकर, और दूसरी ढालकर बनाई जाए, इसलिए अब मैं उसे तुझको वापस देती हूँ।”

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न्यायियों 17:3
21 क्रॉस रेफरेंस  

मनश्‍शे ने एक मूर्ति बनाई, और उस को परमेश्‍वर के भवन में प्रतिष्‍ठित किया। अपने भवन के विषय में परमेश्‍वर ने दाऊद और उसके पुत्र सुलेमान से यह कहा था, ‘मैंने इस्राएल के समस्‍त कुल-क्षेत्रों में से यरूशलेम नगर को और इस भवन को चुना है। मैं यहाँ सदा-सर्वदा के लिए अपने नाम की प्रतिष्‍ठा करूँगा।


तुम चांदी के देवता न बनाना कि तुम मेरे साथ उनकी भी आराधना करो; और न अपने लिए स्‍वर्ण-देवता बनाना।


‘तू अपने लिए कोई मूर्ति न बनाना और न किसी प्राणी अथवा वस्‍तु की आकृति बनाना, जो ऊपर आकाश में अथवा नीचे धरती पर या धरती के नीचे जल में है।


‘तू अपने लिए देवताओं की मूर्तियाँ ढालकर मत बनाना।


तुम देवी-देवताओं की सोना-चांदी से मढ़ी हुई मूर्तियां अशुद्ध करोगे, और उन्‍हें कचरे की तरह फेंक दोगे। तुम उनसे यह कहोगे, “हटो यहां से।”


‘जो आराधक बलि चढ़ाने के लिए बैल का वध करता है, वह मानो मनुष्‍य की हत्‍या करता है; जो आराधक मेमने की बलि करता है वह मानो कुत्ते की गरदन तोड़ता है; जो आराधक अन्न-बलि चढ़ाता है, वह मानो सूअर का रक्‍त अर्पित करता है; जो आराधक ‘स्‍मृति-बलि’ में लोबान जलाता है वह मानो मूर्ति की पूजा करता है। ऐसे आराधक आराधना की अपनी ही पद्धति चुनते हैं, उनके प्राण ऐसी ही घृणित आराधना से प्रसन्न होते हैं।


मूर्तियों की आशा करनेवाले मूर्ख और अज्ञानी हैं; मूर्तियाँ क्‍या शिक्षा दे सकती हैं? उनकी शिक्षा लकड़ी के समान बेजान है।


‘तुम मूर्तियों की ओर उन्‍मुख मत होना, और न उनकी पूजा करने के लिए देवताओं की प्रतिमाएं बनाना। मैं प्रभु तुम्‍हारा परमेश्‍वर हूँ।


वे तुम्‍हें सभागृहों से निकाल देंगे। इतना ही नहीं, वह समय आ रहा है, जब तुम्‍हारी हत्‍या करने वाला यह समझेगा कि वह परमेश्‍वर की सेवा कर रहा है।


तुम उनकी वेदियों को तोड़ डालना। उनके पूजा-स्‍तम्‍भों को गिरा देना। अशेरा देवी के खम्‍भों को आग में जला देना। तुम उनके देवताओं की मूर्तियों को काटकर गिरा देना, और उस स्‍थान से उनका नाम मिटा डालना।


“जो व्यक्‍ति खोदकर अथवा गढ़कर मूर्ति बनाता है, और गुप्‍त स्‍थान में उसको प्रतिष्‍ठित करता है, वह शापित है। ऐसे कारीगर का यह हस्‍तकार्य प्रभु की दृष्‍टि में घृणित है।” सब लोग प्रत्युत्तर में कहेंगे, “ऐसा ही हो!”


मीकाह ने कहा, ‘अब मुझे ज्ञात हुआ कि प्रभु मेरी भलाई करेगा; क्‍योंकि लेवी कुल का व्यक्‍ति मेरा पुरोहित बना।’


उसने अपनी माँ से कहा, ‘जो चांदी के ग्‍यारह सौ सिक्‍के तुम्‍हारे पास से चोरी चले गए थे, जिनके विषय में तुमने अपशब्‍द कहे थे, और मुझे भी सुनाकर कहा था, वे मेरे पास हैं। मैंने उन्‍हें चुराया था।’ उसकी माँ ने कहा, ‘मेरे पुत्र, प्रभु तुझे आशिष दे।’


जब मीकाह ने चांदी के सिक्‍के अपनी माँ को लौटाए तब उसकी माँ ने उनमें से चांदी के दो सौ सिक्‍के सुनार को दे दिए। सुनार ने उनसे एक मूर्ति, चांदी की ढली-गढ़ी प्रतिमा, बनाई। यह मूर्ति मीकाह के घर में रखी गई।


दान कुल के लोगों ने अपने उपयोग के लिए उस चांदी की मूर्ति को प्रतिष्‍ठित किया। जिस दिन देश-वासियों का निष्‍कासन हुआ, उस दिन तक गेर्शोम का पुत्र, मूसा का पौत्र योनातन तथा उसके बाद उसके पुत्र दान कुल के पुरोहित रहे।


उन्‍होंने लेवीय से कहा, ‘कृपया, परमेश्‍वर से एक बात पूछिए जिससे हमें पता चले : जिस यात्रा पर हम जा रहे हैं, क्‍या वह सफल होगी?’