‘ओ मेरे पुत्र सुलेमान, अपने पिता के परमेश्वर का अनुभव कर, और अपने सम्पूर्ण हृदय और प्रसन्न चित्त से उसकी सेवा कर। प्रभु हृदय को परखता है। वह हर एक योजना और विचार को जानता है। यदि तू उसको खोजेगा तो वह तुझको प्राप्त होगा। परन्तु यदि तू उसको त्याग देगा, तो वह तुझे सदा के लिए त्याग देगा।
शीशक के आक्रमण के कारण यहूदा प्रदेश के सब उच्चाधिकारी यरूशलेम में एकत्र हुए। तब नबी शमायाह राजा रहबआम और उच्चाधिकारियों के पास आया। उसने उनसे कहा, ‘प्रभु यों कहता है: तुमने मुझे त्याग दिया था, इसलिए मैंने भी तुम्हें त्याग दिया, और शीशक के हाथ में छोड़ दिया।’
और वह राजा आसा से मिलने के लिए गया। अजर्याह ने उससे कहा, ‘महाराज आसा, यहूदा और बिन्यामिन भूमि-क्षेत्रों के निवासियो, मेरी बात सुनो। ‘जब तुम प्रभु के साथ रहोगे तब वह तुम्हारे साथ रहेगा; जब तुम उसको खोजोगे तब वह तुम्हें मिलेगा। किन्तु यदि तुम उसको त्याग दोगे तो वह तुम्हें भी त्याग देगा!
किन्तु एदोम राज्य आज भी यहूदा राज्य से विद्रोह किये हुए है। उन्हीं दिनों में लिबना राज्य ने भी विद्रोह कर दिया; क्योंकि योराम ने अपने पूर्वजों के प्रभु परमेश्वर को त्याग दिया था।
‘मेरे निज लोगों ने दो दुष्कर्म किए हैं: उन्होंने मुझे, जीवन-जल के झरने को, त्याग दिया, और अपने लिए हौज बना लिये जो टूटे-फूटे हैं, और जिनसे पानी बह जाता है!
तेरा दुष्कर्म ही तुझे ताड़ना देगा और तेरा ईश-त्याग ही तुझे दंडित करेगा। ओ इस्राएल, तू यह बात जान, और स्वयं अपनी आंखों से देख, कि अपने प्रभु परमेश्वर को त्यागना तेरे लिए कितना अनिष्टकारी और कटु है। तेरे हृदय में मेरे लिए कोई भय नहीं है,’ स्वर्गिक सेनाओं के स्वामी प्रभु की यह वाणी है।
‘पर तू, यशूरून! मोटा होकर लात मारने लगा! तू मोटा हुआ, हृष्ट-पुष्ट हुआ! तेरी देह पर चर्बी चढ़ गई! तब तूने परमेश्वर को छोड़ दिया, जिसने तुझे बनाया था, अपने उद्धार की चट्टान के साथ मूर्खतापूर्ण व्यवहार किया।
उन्होंने अपने पूर्वजों के प्रभु परमेश्वर को त्याग दिया, जो उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया था। वे अपने चारों ओर की जातियों के देवताओं का अनुसरण करने लगे। उन्होंने उन देवताओं की झुककर वंदना की। इस प्रकार उन्होंने प्रभु को चिढ़ाया।
किन्तु उस शासक की मृत्यु के बाद इस्राएली प्रभु से विमुख हो जाते थे। वे अपने पूर्वजों की अपेक्षा अधिक बुरा व्यवहार करते थे। वे अन्य जातियों के देवताओं का अनुसरण करते थे। उनकी पूजा-आराधना करते थे। वे झुककर उनकी वंदना करते थे। उन्होंने अपनी बुरी प्रथाओं का, पूर्वजों के हठधर्म के मार्ग का, त्याग नहीं किया।