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नीतिवचन 13:18 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

जो मनुष्‍य शिक्षा की उपेक्षा करता है, वह गरीबी और अपमान का जीवन बिताता है; पर चेतावनी पर ध्‍यान देनेवाला मनुष्‍य सम्‍मान का पात्र बनता है।

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पवित्र बाइबल

ऐसा मनुष्य जो शिक्षा की उपेक्षा करता है, उसपर लज्जा और दरिद्रता आ पड़ती है, किन्तु जो शिक्षा पर कान देता है, वह आदर पाता है।

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Hindi Holy Bible

जो शिक्षा को सुनी- अनसुनी करता वह निर्धन होता और अपमान पाता है, परन्तु जो डांट को मानता, उसकी महिमा होती है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

जो शिक्षा को सुनी–अनसुनी करता वह निर्धन होता और अपमान पाता है, परन्तु जो डाँट को मानता, उसकी महिमा होती है।

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नवीन हिंदी बाइबल

जो शिक्षा की उपेक्षा करता है, उसे निर्धनता और अपमान का सामना करना पड़ता है; परंतु जो ताड़ना को स्वीकार करता है, उसका सम्मान होता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

निर्धनता और लज्जा, उसी के हाथ लगती हैं, जो शिक्षा की उपेक्षा करता है, किंतु सम्मानित वह होता है, जो ताड़ना स्वीकार करता है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

जो शिक्षा को अनसुनी करता वह निर्धन हो जाता है और अपमान पाता है, परन्तु जो डाँट को मानता, उसकी महिमा होती है।

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नीतिवचन 13:18
15 क्रॉस रेफरेंस  

यदि धार्मिक व्यक्‍ति करुणा से मुझे मारे, तो यह उसकी करुणा है; यदि वह मुझे ताड़ित करें, तो यह मेरे सिर का अभ्‍यंजन है; और मैं अपने सिर को नहीं हटाऊंगा। पर दुर्जनों के दुष्‍कर्मों के विरुद्ध मैं निरन्‍तर प्रार्थना करता रहूंगा।


जो मनुष्‍य शिक्षा से प्रेम करता है, वह ज्ञान-प्रिय भी होता है; पर जो डांट-फटकार से घृणा करता है, वह पशु के समान नासमझ है।


जो मनुष्‍य परमेश्‍वर के वचन को तुच्‍छ समझता है, वह स्‍वयं अपने विनाश का कारण बनता है! पर प्रभु की आज्ञाओं का आदर करनेवाला पुरस्‍कार पाएगा!


जब इच्‍छा पूर्ण हो जाती है तब मनुष्‍य को उसका स्‍वाद मधुर लगता है। पर दुराचार के मार्ग को छोड़ना मूर्ख को घृणित लगता है।


धार्मिक मनुष्‍य के पास अपनी भूख तृप्‍त करने के लिए पर्याप्‍त भोजन रहता है; किन्‍तु दुर्जन को कभी पेट-भर भोजन नहीं मिलता।


मूर्ख पुत्र अपने पिता की शिक्षाप्रद बातों का तिरस्‍कार करता है; परन्‍तु जो पुत्र अपने पिता की डांट-डपट को स्‍वीकार करता है, वह व्‍यवहारकुशल बन जाता है।


उदार मनुष्‍य की कृपा चाहनेवाले अनेक लोग होते हैं; जो मनुष्‍य धन लुटाता है, उसके मित्र सब बनना चाहते हैं।


डांट-डपट को माननेवाले मनुष्‍य के कान में ताड़ना के शब्‍द वैसे ही कीमती होते हैं, जैसे सोने की बाली अथवा स्‍वर्ण आभूषण।


बुद्धिमान को शिक्षा दो तो वह और भी बुद्धिमान बनता है; धार्मिक मनुष्‍य को सीख दो तो वह अपनी विद्या बढ़ाता है।


मूर्खों के मुख से गीत सुनने की अपेक्षा बुद्धिमान की डांट-डपट सुनना अच्‍छा है।


हमें तो शर्म के मारे गड़ जाना चाहिए। हमें चुल्‍लू भर पानी में डूब मरना चाहिए। हमने अपने प्रभु परमेश्‍वर के प्रति पाप किया है। हम और हमारे पूर्वज बचपन से आज तक पाप करते आए हैं। हमने अपने प्रभु परमेश्‍वर की बातों को नहीं माना।’


आप लोग सावधान रहें। आप बोलने वाले की बात सुनना अस्‍वीकार नहीं करें। जिन लोगों ने पृथ्‍वी पर चेतावनी देने वाले की वाणी को अनसुना कर दिया था, यदि वे नहीं बच सके, तो हम कैसे बच सकेंगे, यदि हम स्‍वर्ग से चेतावनी देनेवाले की वाणी अनसुनी कर देंगे?