प्रभु ने नूह से कहा ‘तू अपने परिवार सहित जलयान में जा। मैंने इस समय के लोगों में केवल तुझे ही अपनी दृष्टि में धार्मिक पाया है।
नीतिवचन 11:4 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मृत्यु के दिन धन किसी काम नहीं आता, किन्तु मनुष्य की धार्मिकता उसको मृत्यु से बचाती है! पवित्र बाइबल कोप के दिन धन व्यर्थ रहता, काम नहीं आता है; किन्तु तब नेकी लोगों को मृत्यु से बचाती है। Hindi Holy Bible कोप के दिन धन से तो कुछ लाभ नहीं होता, परन्तु धर्म मृत्यु से भी बचाता है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) कोप के दिन धन से तो कुछ लाभ नहीं होता, परन्तु धर्म मृत्यु से भी बचाता है। नवीन हिंदी बाइबल प्रकोप के दिन धन किसी काम नहीं आता, परंतु धार्मिकता मृत्यु से बचाती है। सरल हिन्दी बाइबल प्रकोप के दिन में धन-संपत्ति निरर्थक सिद्ध होती है, मात्र धार्मिकता मृत्यु से सुरक्षा प्रदान करती है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 कोप के दिन धन से तो कुछ लाभ नहीं होता, परन्तु धर्म मृत्यु से भी बचाता है। |
प्रभु ने नूह से कहा ‘तू अपने परिवार सहित जलयान में जा। मैंने इस समय के लोगों में केवल तुझे ही अपनी दृष्टि में धार्मिक पाया है।
जो धन अन्याय से प्राप्त किया जाता है, उससे किसी को लाभ नहीं होता; पर धार्मिकता मनुष्य को मृत्यु से बचाती है।
ईष्र्या पुरुष को क्रोध से अन्धा बना देती है; जब वह बदला लेगा तब वह तुझ पर दया नहीं करेगा।
तुम दण्ड-दिवस पर क्या करोगे? सुदूर दिशा से आनेवाले विनाश के तूफान के समय तुम किसके पास सहायता के लिए भागकर जाओगे? तुम अपना धन कहाँ छोड़ जाओगे?
यदि ऐसे अधर्मी देश में नूह, दानिएल और अय्यूब जैसे धार्मिक व्यक्ति होते हैं, तो वे अपने धर्म के कारण अपने ही प्राण बचाते हैं, दूसरों के नहीं।’ स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।
उन्होंने सड़कों पर अपनी चांदी की मूर्तियां फेंक दी हैं। उनकी सोने की मूर्तियां अशुद्ध वस्तुएं हो गई हैं। ये सोना-चांदी की मूर्तियाँ उनके प्रभु के कोप-दिवस पर उनको संकट से नहीं बचा सकीं। वे उनकी भूख को तृप्त नहीं कर सकीं और न उनका पेट भर सकीं। वास्तव में ये मूर्तियां ही तो उनके अधर्म का कारण हैं।
प्रभु के प्रकोप-दिवस पर न उनका सोना, और न चांदी उन्हें प्रभु के प्रकोप से मुक्त कर सकेगी। प्रभु की ईष्र्या-अग्नि से सम्पूर्ण पृथ्वी भस्म हो जाएगी। वह पृथ्वी के समस्त निवासियों को अचानक पूर्णत: नष्ट कर देगा।
मनुष्य को इससे क्या लाभ यदि वह सारा संसार तो प्राप्त कर ले, लेकिन अपना प्राण ही गँवा दे? अपने प्राण के बदले में मनुष्य क्या देगा?
परन्तु परमेश्वर ने उस से कहा, ‘मूर्ख! इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा और तूने जो इकट्ठा किया है, वह अब किसका होगा?’
यह सच है कि मृत्यु का राज्य एक मनुष्य के अपराध के फलस्वरूप—एक ही के द्वारा—प्रारम्भ हुआ, किन्तु इस परिणाम से कहीं अधिक जिन लोगों को परमेश्वर का अनुग्रह तथा धार्मिकता का वरदान प्रचुर मात्रा में मिलेगा, वे एक ही मनुष्य—येशु मसीह के द्वारा—जीवन का राज्य प्राप्त करेंगे।
शरीर के व्यायाम से कुछ लाभ तो होता है, किन्तु भक्ति से जो लाभ मिलता है, वह असीम है; क्योंकि वह जीवन का आश्वासन देती है, इहलोक में भी और परलोक में भी।