राजा सुलेमान फरात नदी से लेकर पलिश्तियों के देश तक के राजाओं पर राज्य करता था। उसके राज्य की सीमा मिस्र देश की सीमा तक फैली हुई थी।
नहेम्याह 12:26 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) ये येशुअ के पुत्र और योसादाक के पौत्र योयाकीम, तथा राज्यपाल नहेम्याह एवं पुरोहित और शास्त्री एज्रा के समय में थे। पवित्र बाइबल ये द्वारपाल योयाकीम के दिनों में सेवा कार्य किया करते थे। योयाकीम योसादाक के पुत्र येशू का पुत्र था। इन द्वारपालों ने ही राज्यपाल नहेमायाह और याजक और विद्वान एज्रा के दिनों में सेवा कार्य किया था। Hindi Holy Bible योयाकीम के दिनों में जो योसादाक का पोता और येशू का पुत्र था, और नहेमायाह अधिपति और एज्रा याजक और शास्त्री के दिनों में ये ही थे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) योयाकीम के दिनों में जो योसादाक का पोता और येशू का पुत्र था, और नहेम्याह अधिपति और एज्रा याजक और शास्त्री के दिनों में ये ही थे। सरल हिन्दी बाइबल ये योज़ादक के पोते, येशुआ के पुत्र, योइआकिम और राज्यपाल नेहेमियाह और पुरोहित और शास्त्री एज़्रा के समय के सेवक थे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 योयाकीम के दिनों में जो योसादाक का पोता और येशुअ का पुत्र था, और नहेम्याह अधिपति और एज्रा याजक और शास्त्री के दिनों में ये ही थे। |
राजा सुलेमान फरात नदी से लेकर पलिश्तियों के देश तक के राजाओं पर राज्य करता था। उसके राज्य की सीमा मिस्र देश की सीमा तक फैली हुई थी।
यह सम्राट अर्तक्षत्र के पत्र की प्रतिलिपि है। यह पत्र उसने एज्रा को दिया था। एज्रा पुरोहित और शास्त्री था। जो आज्ञाएं और संविधियां प्रभु ने इस्राएली कौम को दी थीं, वह उनका पंडित था।
एज्रा एक शास्त्री था। वह मूसा की व्यवस्था का विशेषज्ञ था, जो इस्राएली कौम के प्रभु परमेश्वर ने प्रदान की थी। उसने सम्राट से जो मांगा, वह सब सम्राट ने उसको प्रदान किया; क्योंकि प्रभु परमेश्वर की कृपा-दृष्टि उस पर थी।
वे संगठित होकर ‘जल-द्वार’ के सम्मुख चौक में एकत्र हुए। उन्होंने शास्त्री एज्रा से निवेदन किया कि वह मूसा के व्यवस्था-ग्रन्थ को लाए जो प्रभु ने इस्राएली कौम को प्रदान किया है।
जब लोगों ने व्यवस्था के शब्द सुने तब वे रोने लगे। राज्यपाल नहेम्याह, पुरोहित एवं शास्त्री एज्रा तथा समाज के धर्म-शिक्षक उपपुरोहितों ने समस्त इस्राएली जन-समूह से कहा, ‘आज का दिन हमारे प्रभु परमेश्वर के लिए पवित्र है; इसलिए शोक मत मनाओ, और न रोओ।’