‘फारस देश के सम्राट कुस्रू का यह आदेश है: स्वर्ग के परमेश्वर, प्रभु ने पृथ्वी के समस्त राज्य मुझे प्रदान किए और मुझे यह आज्ञा दी कि मैं यहूदा प्रदेश के यरूशलेम नगर में उसके लिए एक भवन बनाऊं। उसके निज लोगों में से जो कोई भी तुम्हारे मध्य निवास कर रहे हैं, वे यरूशलेम नगर को जाएं। उनके साथ प्रभु परमेश्वर हो।’
एक भयानक दृश्य मुझे दिखाया गया : लुटेरा लूटता जा रहा है, विनाश करनेवाला विनाश कर रहा है। ओ एलाम देश, आक्रमण कर। ओ मादय देश, घेरा डाल दे। जो आहें और विलाप, बेबीलोन ने उत्पन्न किये हैं, प्रभु उनका अन्त कर देगा।
पर तुझ पर अनिष्ट का प्रकोप होगा, जिस को दूर करने का मन्त्र तू नहीं जानती। तुझ पर विपत्ति का पहाड़ टूटेगा, जिसको तू दूर नहीं कर सकेगी। अचानक तेरा सर्वनाश हो जाएगा, तू उसको समझ ही नहीं पाएगी।
जिन विपत्तियों के विषय में मैंने कहा है, मैं उन सब को इन पर लाऊंगा, और जो-जो विपत्तियाँ इस पुस्तक में लिखी हैं, और जिन के विषय में यिर्मयाह ने नबूवत की है, वे सब इन राष्ट्रों पर पड़ेंगी।
बेबीलोन से युद्ध करने के लिए राष्ट्रों को, मादय के राजाओं, राज्यपालों और सेनापतियों को तैयार करो, मादय के अधीन जो देश हैं वे भी, युद्ध के लिए तैयार हों।
अब, महाराज, इस निषेधाज्ञा को पक्का कर दीजिए और इस पत्र पर हस्ताक्षर कर दीजिए, जिससे, मादी और फारसी संविधान के अनुसार उसमें न परिवर्तन हो सकता है और न उसको रद्द ही किया जा सकता है।’