अब इस्राएली सियोन पर्वत पर आएंगे, और उच्च स्वर में प्रभु का गुणगान करेंगे। प्रभु की भलाई के कारण उनके मुख पर चमक होगी; क्योंकि प्रभु उनको अनाज, अंगूर-रस, जैतून का तेल भेड़-बकरियों और गायों के बच्चे देगा। जल से सींचे गये उद्यान के सदृश उनके प्राण हरे-भरे होंगे; इस्राएली फिर कभी दु:खी न होंगे।
प्रभु यों कहता है: ‘युवतियां आनन्द-मग्न हो नृत्य करेंगी, जवान और बूढ़े एक साथ हर्ष मनाएंगे। मैं-प्रभु उनके शोक को आनन्द में बदल दूंगा, मैं उनको शान्ति दूंगा, और उनको दु:ख के बदले सुख दूंगा।
वहां आनन्द-उल्लास का स्वर फिर सुनाई देगा, दूल्हा-दुल्हिन के हास-परिहास की आवाज सुनाई देगी। जब आराधक प्रभु के भवन में स्तुति-बलि चढ़ाने के लिए आएंगे तब वे आनन्द से यह गीत गाएंगे: “स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु को धन्यवाद दो, क्योंकि प्रभु भला है, उसकी करुणा सदा बनी रहती है।” मैं-प्रभु कहता हूं : मैं पहले के समान इस देश की दशा समृद्ध कर दूंगा।’
रात के हर पहर के आरम्भ में तू उठ, और प्रभु को पुकार, स्वामी के सम्मुख जल के सदृश अपना हृदय उण्डेल। अपने बच्चों की प्राण-रक्षा के लिए जो गलियों के नुक्कड़ पर भूख से मूर्च्छित पड़े हैं, प्रभु की ओर हाथ फैला।
दूत ने उससे कहा, ‘दौड़, और उस जवान से यह कह: “यरूशलेम नगर की आबादी इतनी बढ़ जाएगी, उसमें इतने मनुष्य और पशु बसेंगे कि वह गाँवों के सदृश बिना दीवारों का नगर बन जाएगा!
जब स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने मुझे अपनी महिमा के लिए तुम्हें लूटने वाले राष्ट्रों के पास भेजा था, तब प्रभु ने यों कहा था: ‘जो तुम्हें स्पर्श करता है, वह मेरी आंख की पुतली को स्पर्श करता है।