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गलातियों 3:10 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

परन्‍तु जो व्‍यवस्‍था के कर्मकाण्‍ड पर निर्भर रहते हैं, वे शाप के अधीन हैं; क्‍योंकि लिखा है: “जो व्यक्‍ति व्‍यवस्‍था-ग्रन्‍थ में लिखी हुई सभी बातों का पालन नहीं करता रहता है, वह शापित है।”

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पवित्र बाइबल

किन्तु वे सभी लोग जो व्यवस्था के विधानों के पालन पर निर्भर रहते हैं, वे तो किसी अभिशाप के अधीन हैं। शास्त्र में लिखा है: “ऐसा हर व्यक्ति शापित है जो व्यवस्था के विधान की पुस्तक में लिखी हर बात का लगन के साथ पालन नहीं करता।”

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Hindi Holy Bible

सो जितने लोग व्यवस्था के कामों पर भरोसा रखते हैं, वे सब श्राप के आधीन हैं, क्योंकि लिखा है, कि जो कोई व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हुई सब बातों के करने में स्थिर नहीं रहता, वह श्रापित है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

इसलिये जितने लोग व्यवस्था के कामों पर भरोसा रखते हैं, वे सब शाप के अधीन हैं, क्योंकि लिखा है, “जो कोई व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हुई सब बातों के करने में स्थिर नहीं रहता, वह शापित है।”

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नवीन हिंदी बाइबल

परंतु जितने व्यवस्था के कार्यों पर निर्भर रहते हैं, वे शाप के अधीन हैं, क्योंकि लिखा है : शापित है वह जो व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हुई सब बातों का पालन नहीं करता।

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सरल हिन्दी बाइबल

वे, जो व्यवस्था के कार्यों पर निर्भर हैं, शापित हैं क्योंकि पवित्र शास्त्र का वर्णन है: “शापित है वह, जो व्यवस्था के हर एक नियम का पालन नहीं करता.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

अतः जितने लोग व्यवस्था के कामों पर भरोसा रखते हैं, वे सब श्राप के अधीन हैं, क्योंकि लिखा है, “जो कोई व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हुई सब बातों के करने में स्थिर नहीं रहता, वह श्रापित है।” (याकू. 2:10,12, व्यव. 27:26)

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गलातियों 3:10
18 क्रॉस रेफरेंस  

अब तू उस भूमि की ओर से शापित है, जिसने तेरे भाई का रक्‍त तेरे हाथ से स्‍वीकार करने के लिए अपना मुंह खोला है।


इस कारण मैंने पवित्र स्‍थान के प्रशासकों को पदच्‍युत कर दिया, मैंने याकूब को संहार के लिए, इस्राएल को निन्‍दा के हेतु त्‍याग दिया।


तू उन से यह कहना: इस्राएल का प्रभु परमेश्‍वर यों कहता है : जो मनुष्‍य इस विधान के शब्‍दों के अनुसार आचरण नहीं करेगा, उसको मैं शाप दूंगा।


वे मिस्र देश से इस देश में आए। उन्‍होंने इस देश में प्रवेश किया, और इस पर अधिकार कर लिया। ‘किन्‍तु उन्‍होंने तेरी वाणी नहीं सुनी, और तेरी व्‍यवस्‍था के अनुसार आचरण नहीं किया। उन्‍होंने वे कार्य नहीं किये जिनको करने का आदेश तूने उनको दिया था। अत: तूने यह विपत्ति उन पर ढाही।


देखो, सब प्राणी मेरे ही हैं। पिता का प्राण और पुत्र का प्राण, दोनों पर मेरा ही अधिकार है। इसलिए जो प्राणी पाप करता है, केवल वही मरेगा।


“तब राजा अपनी बायीं ओर के लोगों से कहेगा, ‘शापित लोगो! मुझ से दूर हो और उस अनन्‍त आग में जा पड़ो, जो शैतान और उसके दूतों के लिए तैयार की गयी है;


क्‍योंकि व्‍यवस्‍था का परिणाम परमेश्‍वर का प्रकोप है, जब कि व्‍यवस्‍था के अभाव में किसी आज्ञा का उल्‍लंघन नहीं होता।


क्‍योंकि पाप का वेतन मृत्‍यु है, किन्‍तु परमेश्‍वर का वरदान है हमारे प्रभु येशु मसीह में शाश्‍वत जीवन।


क्‍योंकि शारीरिक आचरण की चिन्‍ता करना परमेश्‍वर के प्रतिकूल है। यह शारीरिक चिन्‍ता परमेश्‍वर के नियम के अधीन नहीं होती और हो भी नहीं सकती।


यदि मृत्‍यु-जनक व्‍यवस्‍था का सेवाकार्य, जो पत्‍थरों पर अक्षर अंकित करने में संपन्न हुआ, इतना तेजस्‍वी था कि इस्राएली लोग मूसा के मुख के तेज के कारण-जो क्रमश: क्षीण हो रहा था-उनके मुख पर दृष्‍टि स्‍थिर नहीं कर सके,


फिर भी हम जानते हैं कि मनुष्‍य व्‍यवस्‍था के कर्मकाण्‍ड द्वारा नहीं, बल्‍कि येशु मसीह में विश्‍वास करने से धार्मिक ठहरता है। इसलिए हमने येशु मसीह में विश्‍वास किया है, जिससे हम व्‍यवस्‍था के कर्मकाण्‍ड द्वारा नहीं, बल्‍कि मसीह में विश्‍वास करने से धार्मिक ठहराये जायें; क्‍योंकि व्‍यवस्‍था के कर्मकाण्‍ड द्वारा “कोई भी मनुष्‍य परमेश्‍वर की दृष्‍टि में धार्मिक नहीं ठहरेगा।”


“जो व्यक्‍ति इस व्‍यवस्‍था के वचनों के अनुसार आचरण नहीं करता और इस प्रकार उसको पूरा नहीं करता, वह शापित है।” सब लोग प्रत्‍युत्तर में कहेंगे, “ऐसा ही हो!” ’


प्रभु उसको क्षमा करने को तैयार भी नहीं होगा, वरन् प्रभु का क्रोध और उसकी ईष्‍र्या-भावना उस व्यक्‍ति के प्रति भड़क उठेगी। इस पुस्‍तक में लिखित समस्‍त अभिशाप उस पर पड़ेंगे और प्रभु आकाश के नीचे से उसका नाम मिटा डालेगा।