सम्राट ने उनसे पूछा, ‘मैंने खोजों के द्वारा जो आदेश रानी वशती को भेजा था, उसने उसकी अवहेलना की है। अत: कानून के अनुसार उसके साथ क्या व्यवहार किया जाए?’
एस्तेर 6:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) हामान अन्त:पुर में आया। सम्राट ने उससे पूछा, ‘हामान, बताओ, उस मनुष्य के साथ क्या करना चाहिए, जिससे महाराज प्रसन्न हैं, और जिसको सम्मान देना चाहते हैं?’ हामान ने हृदय में सोचा, ‘मेरे अतिरिक्त और कौन व्यक्ति है, जिससे महाराज प्रसन्न हैं, और जिसको सम्मान देना चाहते हैं?’ पवित्र बाइबल हामान जब भीतर आया तो राजा ने उससे एक प्रश्न पूछा, “हामान, राजा यदि किसी को आदर देना चाहे तो उस व्यक्ति के लिए राजा को क्या करना चाहिए?” हामान ने अपने मन में सोचा, “ऐसा कौन हो सकता है जिसे राजा मुझसे अधिक आदर देना चाहता होगा राजा निश्चय ही मुझे आदर देने के लिये ही बात कर रहा होगा।” Hindi Holy Bible जब हामान भीतर आया, तब राजा ने उस से पूछा, जिस मनुष्य की प्रतिष्ठा राजा करना चाहता हो तो उसके लिये क्या करना उचित होगा? हामान ने यह सोच कर, कि मुझ से अधिक राजा किस की प्रतिष्ठा करना चाहता होगा? पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) जब हामान भीतर आया, तब राजा ने उससे पूछा, “जिस मनुष्य की प्रतिष्ठा राजा करना चाहता हो तो उसके लिये क्या करना उचित होगा?” हामान ने यह सोचकर, कि मुझ से अधिक राजा किसकी प्रतिष्ठा करना चाहता होगा, सरल हिन्दी बाइबल हामान भीतर आ गया. राजा ने उससे प्रश्न किया, “यह बताओ, यदि राजा किसी व्यक्ति को सम्मान प्रदान करना चाहे, तो इसके लिए क्या-क्या उपयुक्त होगा?” हामान के मन में विचार आया: “मेरे अतिरिक्त राजा भला किसे सम्मानित करना चाहेंगे?” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 जब हामान भीतर आया, तब राजा ने उससे पूछा, “जिस मनुष्य की प्रतिष्ठा राजा करना चाहता हो तो उसके लिये क्या करना उचित होगा?” हामान ने यह सोचकर, कि मुझसे अधिक राजा किसकी प्रतिष्ठा करना चाहता होगा? |
सम्राट ने उनसे पूछा, ‘मैंने खोजों के द्वारा जो आदेश रानी वशती को भेजा था, उसने उसकी अवहेलना की है। अत: कानून के अनुसार उसके साथ क्या व्यवहार किया जाए?’
वे आए। हामान ने उनके सामने अपनी धन-सम्पत्ति का वैभव प्रदर्शित किया। उसने उन्हें बताया कि उसके कितने पुत्र हैं। उसने यह भी बताया कि सम्राट ने उसका कितना सम्मान किया, और उसकी पदोन्नति की, अपने सब दरबारियों और पदाधिकारियों में उसको सर्वोच्च पद प्रदान किया।
अत: हामान ने राजसी पोशाक और घोड़ा लिया। उसने मोरदकय को राजसी पोशाक पहनाई, और उसको घोड़े पर बैठाकर नगर के चौक में घुमाया। वह उसके आगे-आगे यह घोषणा करता रहा, ‘जिस व्यक्ति से महाराज प्रसन्न होते हैं और जिसको सम्मान देना चाहते हैं, उसके साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है।’
सेवकों ने बताया, ‘महाराज, आंगन में हामान खड़े हैं।’ ‘हामान को भीतर आने दो,’ सम्राट ने कहा।
अत: उसने सम्राट से कहा, ‘उस व्यक्ति के लिए जिससे महाराज प्रसन्न हैं, और जिसको सम्मान देना चाहते हैं,
यह पोशाक और घोड़ा महाराज के सर्वश्रेष्ठ उच्चाधिकारी को दिया जाए, ताकि वह उस मनुष्य को राजसी पोशाक पहिनाए और घोड़े पर बैठाए, जिससे महाराज प्रसन्न हैं और जिसको सम्मानित करना चाहते हैं। तब वह उसको नगर-चौक में घुमाए, और उसके आगे-आगे यह घोषित करे : “जिस व्यक्ति से महाराज प्रसन्न होते हैं, और जिसको सम्मान देना चाहते हैं, उसके साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है।” ’
जो लोग मेरे दोष-मुक्त होने की कामना करते हैं, वे जयजयकार करें, वे हर्षित हो। वे निरन्तर यह कहते रहें, “प्रभु महान है; वह अपने सेवक के कल्याण से सुखी होता है।”
अज्ञानी मार्ग से भटक जाते हैं, और उनका भटकना मृत्यु का कारण बनता है; मूर्खों का आत्म-सन्तोष उनके विनाश का कारण होता है।
मनुष्य अपने विनाश के पूर्व घमण्डी हो जाता है; पर आदर पाने के लिए मनुष्य को पहले विनम्र बनना पड़ता है।
संसार में कुछ आदमी हैं जिनकी आंखें घमण्ड से भरी रहती हैं, जिनकी भौंहें गर्व से चढ़ी रहती हैं।
यह है मेरा सेवक! इसको मैं सम्भाले हुए हूं। यह मेरा मनोनीत है! इससे मैं प्रसन्न हूं। मैंने इसको अपना आत्मा प्रदान किया है, जिससे वह राष्ट्रों में न्याय की स्थापना करे।
‘उनकी भलाई करने में मुझे सदा आनन्द आएगा, और मैं अपने सम्पूर्ण हृदय और सम्पूर्ण प्राण से, पूर्ण सच्चाई से इस देश में उनको रोपूंगा।
ओ पहाड़ों की कंदराओं में रहनेवाले, ओ ऊंचे स्थानों में निवास करनेवाले, तेरे हृदय के घमण्ड ने तुझे धोखा दिया। तू अपने हृदय में यह कहता था: “कौन मुझे जमीन पर उतार सकता है?”
और देखो, स्वर्ग से वह वाणी सुनाई दी, “यह मेरा प्रिय पुत्र है। मैं इस पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ।”
और जिसने तुम दोनों को निमन्त्रण दिया है, वह आ कर तुम से कहे, ‘इन्हें अपनी जगह दीजिए’। तब तुम्हें लज्जित हो कर सबसे पिछले स्थान पर बैठना पड़ेगा।
जिससे सब लोग जिस प्रकार पिता का आदर करते हैं, उसी प्रकार पुत्र का भी आदर करें। जो पुत्र का आदर नहीं करता, वह पिता का, जिसने पुत्र को भेजा है, आदर नहीं करता।