अत: परमेश्वर ने अपने स्वरूप में मनुष्य को रचा। परमेश्वर के स्वरूप में उसने मनुष्य की सृष्टि की। परमेश्वर ने उन्हें नर और नारी बनाया।
उत्पत्ति 5:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उसने उन्हें नर और नारी के रूप में रचा। जब वे दोनों रचे गए, तब उसने उन्हें ‘मनुष्य-जाति’ कहा और उन्हें आशिष दी। पवित्र बाइबल परमेश्वर ने एक पुरुष और एक स्त्री को बनाया। जिस दिन परमेश्वर ने उन्हें बनाया, आशीष दी एवं उसका नाम “आदम” रखा। Hindi Holy Bible उसने नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की और उन्हें आशीष दी, और उनकी सृष्टि के दिन उनका नाम आदम रखा। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उसने नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की और उन्हें आशीष दी, और उनकी सृष्टि के दिन उनका नाम आदम रखा। नवीन हिंदी बाइबल उसने नर और नारी करके उनकी सृष्टि की, और उन्हें आशिष दी; और उनकी सृष्टि के दिन उन्हें आदम कहा। सरल हिन्दी बाइबल परमेश्वर ने मनुष्य को नर तथा नारी कहकर उन्हें आशीष दी और परमेश्वर ने उनका नाम आदम रखा. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 उसने नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की और उन्हें आशीष दी, और उनकी सृष्टि के दिन उनका नाम आदम रखा। (मत्ती 19:4, मर. 10:6) |
अत: परमेश्वर ने अपने स्वरूप में मनुष्य को रचा। परमेश्वर के स्वरूप में उसने मनुष्य की सृष्टि की। परमेश्वर ने उन्हें नर और नारी बनाया।
परमेश्वर ने उन्हें यह आशिष दी, ‘फलो-फूलो और पृथ्वी को भर दो, और उसे अपने अधिकार में कर लो। समुद्र के जलचरों, आकाश के पक्षियों और भूमि के समस्त गतिमान जीव-जन्तुओं पर तुम्हारा अधिकार हो।’
प्रभु परमेश्वर ने मनुष्य को लेकर अदन के उद्यान में नियुक्त किया कि वह उसमें खेती करे और उसकी रखवाली करे।
मनुष्य ने कहा, ‘अन्तत: यह मेरी ही अस्थियों की अस्थि, मेरी ही देह की देह है; यह “नारी” कहलाएगी; क्योंकि यह नर से निकाली गई है।’
जब आदम एक सौ तीस वर्ष का हुआ तब उसने अपने सदृश, अपने ही स्वरूप में एक पुत्र को उत्पन्न किया। उसने उसका नाम ‘शेत’ रखा।
क्या प्रभु ने पति और पत्नी को एक हो जाने के लिए नहीं बनाया? तो क्या आत्मा इस में सम्मिलित नहीं है? और पति-पत्नी के एक होने का क्या उद्देश्य है? यही कि वे धर्मपरायण सन्तान उत्पन्न करें। अत: अपने प्रति सावधान रहो। कोई भी पति अपनी युवावस्था की पत्नी के प्रति विश्वासघात न करे।
येशु ने उत्तर दिया, “क्या तुम लोगों ने धर्मग्रन्थ में यह नहीं पढ़ा कि सृष्टिकर्ता ने प्रारम्भ ही से उन्हें नर और नारी बनाया
उसने एक ही मूल से समस्त मनुष्यजाति को उत्पन्न किया है कि वह सारी पृथ्वी पर बस जाए। उसने मनुष्यों के नियत समयों और निवास के सीमा-क्षेत्रों को निर्धारित किया है