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उत्पत्ति 5:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

3 जब आदम एक सौ तीस वर्ष का हुआ तब उसने अपने सदृश, अपने ही स्‍वरूप में एक पुत्र को उत्‍पन्न किया। उसने उसका नाम ‘शेत’ रखा।

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पवित्र बाइबल

3 जब आदम एक सौ तीस वर्ष का हो गया तब वह एक और बच्चे का पिता हुआ। यह पुत्र ठीक आदम सा दिखाई देता था। आदम ने पुत्र का नाम शेत रखा।

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Hindi Holy Bible

3 जब आदम एक सौ तीस वर्ष का हुआ, तब उसके द्वारा उसकी समानता में उस ही के स्वरूप के अनुसार एक पुत्र उत्पन्न हुआ उसका नाम शेत रखा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

3 जब आदम एक सौ तीस वर्ष का हुआ, तब उसके द्वारा उसकी समानता में उस ही के स्वरूप के अनुसार एक पुत्र उत्पन्न हुआ। उसने उसका नाम शेत रखा।

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नवीन हिंदी बाइबल

3 जब आदम एक सौ तीस वर्ष का हुआ तो उसकी समानता में, उसके स्वरूप के अनुसार, उसका एक पुत्र उत्पन्‍न हुआ। उसने उसका नाम शेत रखा।

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सरल हिन्दी बाइबल

3 जब आदम 130 वर्ष के हुए, तब एक पुत्र पैदा हुआ, जिनका रूप स्वयं उन्हीं के समान था; उनका शेत नाम रखा गया.

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उत्पत्ति 5:3
15 क्रॉस रेफरेंस  

आदम ने पुन: अपनी पत्‍नी से सहवास किया, और उसने एक पुत्र को जन्‍म दिया। उसने उसका नाम ‘शेत’ रखा; क्‍योंकि वह कहती थी, ‘काइन ने हाबिल की हत्‍या की, इसलिए परमेश्‍वर ने हाबिल के स्‍थान पर यह दूसरा बालक प्रदान किया है।’


उसने उन्‍हें नर और नारी के रूप में रचा। जब वे दोनों रचे गए, तब उसने उन्‍हें ‘मनुष्‍य-जाति’ कहा और उन्‍हें आशिष दी।


शेत के जन्‍म के पश्‍चात् आदम आठ सौ वर्ष तक जीवित रहा। उसको अन्‍य पुत्र-पुत्रियां भी उत्‍पन्न हुईं।


काश! अशुद्ध मनुष्‍यजाति में एक भी मनुष्‍य शुद्ध होता! पर नहीं, एक भी मनुष्‍य शुद्ध नहीं है।


तब क्‍या मनुष्‍य उसके सम्‍मुख धार्मिक सिद्ध हो सकता है? नारी से उत्‍पन्न मानव कदापि पवित्र नहीं हो सकता है!


मैं अधर्म में उत्‍पन्न हुआ था; और पाप में मेरी मां ने मुझे गर्भ में धारण किया था।


स्‍वर्गदूत ने उत्तर दिया, “पवित्र आत्‍मा आप पर उतरेगा और सर्वोच्‍च परमेश्‍वर का सामर्थ्य आप पर छाया करेगा। इसलिए जो आप से उत्‍पन्न होगा, वह पवित्र होगा और परमेश्‍वर का पुत्र कहलाएगा।


वह केनान का, वह अर्पक्षद का, वह शेम का, वह नूह का, वह लामेक का,


जो शरीर से उत्‍पन्न होता है, वह शरीर है और जो आत्‍मा से उत्‍पन्न होता है, वह आत्‍मा है।


यह बात विचारणीय है कि एक ही मनुष्‍य द्वारा संसार में पाप का प्रवेश हुआ और पाप द्वारा मृत्‍यु का। इस प्रकार मृत्‍यु सब मनुष्‍यों में फैल गयी, क्‍योंकि सब पापी हैं।


प्रत्‍येक देह एक-जैसी नहीं होती। मनुष्‍यों, पशुओं, पक्षियों और मछलियों की देह अपने-अपने प्रकार की होती हैं।


जिस तरह हमने मिट्टी के बने मनुष्‍य का रूप धारण किया है, उसी तरह हम स्‍वर्गिक मनुष्‍य का भी रूप धारण करेंगे।


हम सभी पहले उन विरोधियों में सम्‍मिलित थे, जब हम अपनी कुप्रवृत्तियों के वशीभूत हो कर अपने शरीर और मन की वासनाओं को तृप्‍त करते थे। हम दूसरों की तरह अपने स्‍वभाव के कारण परमेश्‍वर के कोप के पात्र थे।


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