यदि तू भलाई करे तो क्या मैं तुझे ग्रहण न करूंगा? किन्तु यदि तू भलाई न करे तो देख, तेरे द्वार पर पाप खड़ा है। वह तेरी कामना कर रहा है। तू उसको अपने वश में कर।’
उत्पत्ति 3:16 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) प्रभु परमेश्वर ने स्त्री से कहा, ‘मैं तेरी प्रसव-पीड़ा को असहनीय बनाऊंगा। तू पीड़ा से ही बच्चों को जन्म देगी। तेरी इच्छाएं पति के लिए होंगी। वह तुझ पर शासन करेगा।’ पवित्र बाइबल तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा, “मैं तेरी गर्भावस्था में तुझे बहुत दुःखी करूँगा और जब तू बच्चा जनेगी तब तुझे बहुत पीड़ा होगी। तेरी चाहत तेरे पति के लिए होगी किन्तु वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” Hindi Holy Bible फिर स्त्री से उसने कहा, मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दु:ख को बहुत बढ़ाऊंगा; तू पीड़ित हो कर बालक उत्पन्न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) फिर स्त्री से उसने कहा, “मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दु:ख को बहुत बढ़ाऊँगा; तू पीड़ित होकर बालक उत्पन्न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” नवीन हिंदी बाइबल फिर उसने स्त्री से कहा, “मैं तेरी प्रसव-पीड़ा को बहुत अधिक बढ़ाऊँगा; तू पीड़ा के साथ बच्चों को जन्म देगी। तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” सरल हिन्दी बाइबल स्त्री से परमेश्वर ने कहा, “मैं तुम्हारी गर्भावस्था के दर्द को बहुत बढ़ाऊंगा; तुम दर्द के साथ संतान को जन्म दोगी. यह होने पर भी तुम्हारी इच्छा तुम्हारे पति की ओर होगी, और पति तुम पर अधिकार करेगा.” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 फिर स्त्री से उसने कहा, “मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दुःख को बहुत बढ़ाऊँगा; तू पीड़ित होकर बच्चे उत्पन्न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” (1 कुरि. 11:3, इफि. 5:22, कुलु. 3:18) |
यदि तू भलाई करे तो क्या मैं तुझे ग्रहण न करूंगा? किन्तु यदि तू भलाई न करे तो देख, तेरे द्वार पर पाप खड़ा है। वह तेरी कामना कर रहा है। तू उसको अपने वश में कर।’
लोग यअबेस को उसके अन्य भाइयों की अपेक्षा अधिक आदर-सम्मान देते थे। इसलिए उसकी मां ने उसका नाम ‘यअबेस’ रखा था। वह यह कहती थी, ‘मैंने इसको बड़ी पीड़ा से जन्म दिया है।’
जब महाराज की राजाज्ञा उनके विशाल साम्राज्य के कोने-कोने में प्रसारित की जाएगी तब सब पत्नियां अपने-अपने पति का−चाहे वह बड़ा हो, अथवा छोटा−आदर-सम्मान करेंगी।’
वे घबरा गए। सन्त्रास और पीड़ा ने उन्हें दबा लिया। वे प्रसूता के समान छटपटा रहे हैं। वे मुंह बाए एक-दूसरे को ताक रहे हैं। उनके चेहरे क्रोध से जल रहे हैं।
इसलिए मेरी कमर में पीड़ा है, गर्भवती स्त्री की तरह मुझे भी पीड़ा हो रही है। मैं ऐसे संकट में हूं कि मुझे सुनाई नहीं पड़ता, मैं इतना घबरा गया हूं कि मुझे दिखाई नहीं देता।
जो पीड़ा उसने अपने प्राण में सही है, उसका फल देखकर वह सन्तुष्ट होगा। प्रभु कहता है : ‘मेरा धार्मिक सेवक अपने ज्ञान के द्वारा अनेक लोगों को धार्मिक बनाएगा; वह उनके दुष्कर्मों का फल स्वयं भोगेगा।
जिनको तूने मित्रता का पाठ पढ़ाया था, जिन को तूने मित्र बनाया था, जब वे तेरे शासक नियुक्त होंगे तब तू क्या कहेगी? क्या यह देखकर तुझे जच्चा स्त्री के समान प्रसव-पीड़ा नहीं होगी?
ओ यरूशलेम नगरी, लबानोन की निवासिनी! देवदार के जंगलों में अपना घोंसला बनानेवाली! जब तुझमें गर्भवती स्त्री की पीड़ाएं उठेंगी, जब तुझ पर दु:ख का पहाड़ टूटेगा तब तू क्या दर्द से नहीं चीखेगी?’
मैंने प्रसव-पीड़ा से कराहती हुई स्त्री की चीख सुनी। मुझे ऐसा लगा मानो यह कराह उस स्त्री की है, जो पहली बार बच्चे को जन्म दे रही है। यह चीख पुत्री सियोन की थी; वह हांफ रही थी, और हाथ फैलाए हुए कह रही थी, ‘मुझे बचाओ! मैं हत्यारों के हाथ में पड़ गई हूं; मैं बेहोश हो रही हूं।’
दमिश्क कमजोर हो गया, घबराहट ने उसको दबोच लिया, वह सिर पर पैर रखकर भाग रहा है। जैसे प्रसव के समय स्त्री पीड़ा और कष्ट में डूब जाती है, वैसे ही दमिश्क पर दु:ख के बादल मंडरा रहे हैं।
उनके विषय में खबर सुनकर हमारे हाथ-पैर सुन्न पड़ गए। जैसे प्रसव-पीड़ित स्त्री दर्द से चीखती है, वैसे ही हम आतंक और डर से चीख रहे हैं।
‘प्रत्येक मन्नत अथवा स्वयं को उपवास के द्वारा पीड़ित करने की प्रत्येक बंधनकारी शपथ का समर्थन उसका पति कर सकता है या वह उसको रद्द भी कर सकता है।
प्रसव निकट आने पर गर्भवती स्त्री को दु:ख होता है, क्योंकि उसका समय आ गया है; किन्तु शिशु को जन्म देने के बाद वह अपनी वेदना भूल जाती है, क्योंकि उसे आनन्द होता है कि संसार में एक मनुष्य का जन्म हुआ है।
फिर भी मैं आप को यह बताना चाहता हूँ कि मसीह प्रत्येक पुरुष के शीर्ष हैं; पुरुष अपनी पत्नी का शीर्ष है, लेकिन मसीह का शीर्ष परमेश्वर ही है।
आपकी धर्मसभाओं में भी स्त्रियाँ चुप रहें। उन्हें इस तरह बोलने की अनुमति नहीं दी जाती है। वे आत्मनियंत्रित रहें, जैसा कि व्यवस्था भी कहती है।
पत्नी का अपने शरीर पर अधिकार नहीं, वह पति का है और उसी प्रकार पति का भी अपने शरीर पर अधिकार नहीं, वह पत्नी का है।
जब लोग यह कहेंगे, “अब तो शान्ति और सुरक्षा है”, तभी विनाश, गर्भवती की प्रसव-पीड़ा की तरह, उन पर अचानक आ पड़ेगा और वे उससे नहीं बच सकेंगे।
फिर भी यदि स्त्रियाँ संयम से विश्वास, प्रेम और पवित्रता में दृढ़ बनी रहेंगी, तो वे अपने मातृत्व द्वारा मुक्ति प्राप्त करेंगी।
समझदार, शुद्ध और सुशील हों, अपने घर का अच्छा प्रबन्ध करें और अपने पति के अधीन रहें, जिससे लोग परमेश्वर के शुभ-संदेश की निन्दा न कर सकें।