तू प्रायश्चित्त के निमित्त प्रतिदिन पाप-बलि के रूप में एक बछड़ा चढ़ाना। जब तू वेदी के लिए प्रायश्चित करेगा तब तू उसके लिए पाप-बलि चढ़ाएगा। उसे पवित्र करने के लिए उसका अभ्यंजन करना।
इब्रानियों 10:11 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) प्रत्येक पुरोहित खड़ा होकर प्रतिदिन धर्म-अनुष्ठान करता है और निरन्तर निर्धारित बलियां चढ़ाया करता है, जो पापों को कदापि दूर नहीं कर सकती हैं। पवित्र बाइबल हर याजक एक दिन के बाद दूसरे दिन खड़ा होकर अपने धार्मिक कर्त्तव्यों को पूरा करता है। वह पुनः-पुनः एक जैसी ही बलियाँ चढ़ाता है जो पापों को कभी दूर नहीं कर सकतीं। Hindi Holy Bible और हर एक याजक तो खड़े होकर प्रति दिन सेवा करता है, और एक ही प्रकार के बलिदान को जो पापों को कभी भी दूर नहीं कर सकते; बार बार चढ़ाता है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) हर एक याजक तो खड़े होकर प्रतिदिन सेवा करता है, और एक ही प्रकार के बलिदान को जो पापों को कभी भी दूर नहीं कर सकते, बार–बार चढ़ाता है। नवीन हिंदी बाइबल अब प्रत्येक याजक प्रतिदिन खड़ा होकर सेवा करता है और एक ही प्रकार के बलिदानों को, जो पापों को कभी दूर नहीं कर सकते, बार-बार चढ़ाता है। सरल हिन्दी बाइबल हर एक पुरोहित एक ही प्रकार की बलि दिन-प्रतिदिन भेंट किया करता है, जो पाप को हर ही नहीं सकती. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और हर एक याजक तो खड़े होकर प्रतिदिन सेवा करता है, और एक ही प्रकार के बलिदान को जो पापों को कभी भी दूर नहीं कर सकते; बार बार चढ़ाता है। (निर्ग. 29:38,39) |
तू प्रायश्चित्त के निमित्त प्रतिदिन पाप-बलि के रूप में एक बछड़ा चढ़ाना। जब तू वेदी के लिए प्रायश्चित करेगा तब तू उसके लिए पाप-बलि चढ़ाएगा। उसे पवित्र करने के लिए उसका अभ्यंजन करना।
प्रभु यह कहता है, ‘मेरे लिए तुम्हारी यह प्रचुर पशु-बलि किस काम की? मैं मेढ़ों की अग्नि-बलि से, पालतू पशुओं की चर्बी से अघा गया हूं। मैं बैलों, मेमनों और बकरों के रक्त से प्रसन्न नहीं होता।
यह सम्पूर्ण देश में प्रभु को अर्पित पवित्र भाग होगा। यह पुरोहितों के लिए होगा, जो प्रभु के सम्मुख पवित्र-स्थान में जाएंगे और उसकी सेवा करेंगे। यह भूमि-क्षेत्र पुरोहितों के निवास-स्थान और पवित्र-स्थान के लिए पवित्र होगा।
उसके द्वारा भेजे गए सैन्यदल पवित्र-स्थान और गढ़ को अशुद्ध कर देंगे। वे निरन्तर अग्नि-बलि को बन्द कर देंगे। वे उस घृणित वस्तु को प्रतिष्ठित करेंगे जो विध्वंस का कारण होगी।
जिस दिन पवित्र मन्दिर में नित्य अग्नि-बलि चढ़ाना बन्द कर दिया जाएगा और घृणित वस्तु वहाँ प्रतिष्ठित की जाएगी, जो विनाश का कारण होगी, उस दिन से बारह सौ नब्बे दिन व्यतीत होंगे।
उसने स्वर्ग की सेना के अध्यक्ष से भी अधिक स्वयं को सर्वोच्च घोषित कर दिया; और जो नित्य अग्निबलि स्वर्ग की सेना के अध्यक्ष को चढ़ाई जाती थी, उसको बन्द करा दिया। उसने उसका पवित्र निवास-स्थल तोड़-फोड़ डाला
वस्तुत: जब मैं प्रार्थना के शब्दों को बोल ही रहा था, तब वही गब्रिएल स्वर्गदूत द्रुतगति से मेरे पास आया, जिसको मैंने प्रथम दर्शन में देखा था। संध्या-बलि का समय था।
“अगुआ अनेक लोगों के साथ पक्की सन्धि करेगा। इस सन्धि की अवधि वर्षों के एक सप्ताह की होगी और इन वर्षों के आधे सप्ताह तक अगुआ पशुबलि और अन्नबलि चढ़ाना बन्द करा देगा। तब घृणित मूर्तिपूजा के छा जाने से वह अगुआ विनाशक सिद्ध होगा। वह उस समय तक विनाश करता रहेगा जब तक उसके अन्त का निश्चित समय न आएगा।” ’
मैं हाथ में कौन-सी भेंट लेकर प्रभु के सामने जाऊं और उच्च सिंहासन पर विराजमान परमेश्वर के सम्मुख आराधना करूं? क्या मैं उसके सम्मुख अन्नबलि, और एक-वर्षीय बछड़ा लेकर जाऊं?
तुम सात दिन तक इस रीति से प्रति दिन प्रभु के लिए सुखद सुगन्ध, अग्नि में अर्पित आहार चढ़ाना। यह निरन्तर अग्नि-बलि तथा उसकी पेय-बलि के अतिरिक्त चढ़ाया जाएगा।
तू उनसे यह भी कहना, यह अग्नि में अर्पित चढ़ावा है, जो तुम प्रभु को चढ़ाओगे : एक-एक वर्षीय दो निष्कलंक मेमने प्रतिदिन निरन्तर अग्नि-बलि के रूप में चढ़ाना।
तुम नव चन्द्र की अग्नि-बलि तथा उसकी अन्न-बलि, निरन्तर अग्नि-बलि और उसकी अन्न-बलि तथा इन सबकी पेय-बलि आदेशानुसार अर्पित करने के अतिरिक्त, इसे भी सुखद सुगन्ध, प्रभु को अग्नि में अर्पित बलि के रूप में चढ़ाना।
व्यवस्था भावी कल्याण का वास्तविक रूप नहीं, उसकी छाया मात्र दिखाती है। उसके नियमों के अनुसार प्रतिवर्ष बलि ही बलि चढ़ायी जाती है। व्यवस्था उन बलियों के द्वारा आराधकों को सदा के लिए पूर्णता तक पहुँचाने में असमर्थ है।
प्रत्येक महापुरोहित मनुष्यों में से चुना जाता है और परमेश्वर-सम्बन्धी बातों में मनुष्यों का प्रतिनिधि नियुक्त किया जाता है, जिससे वह भेंट और पापों के प्रायश्चित की बलि चढ़ाये।
अन्य महापुरोहित पहले अपने पापों और बाद में प्रजा के पापों के लिए प्रतिदिन बलि चढ़ाया करते हैं। येशु को इसकी आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि उन्होंने यह कार्य सदा के लिए एक ही बार में पूरा कर लिया जब उन्होंने अपने को बलि चढ़ाया।
उस वास्तविक पवित्र स्थान तथा शिविर के धर्मसेवक हैं जो मनुष्य द्वारा नहीं, बल्कि प्रभु द्वारा संस्थापित है।
यदि येशु पृथ्वी पर रहते, तो वह पुरोहित भी नहीं होते; क्योंकि व्यवस्था के अनुसार भेंट चढ़ाने के लिए पुरोहित विद्यमान हैं-