‘ओ इस्राएली कौम, मैंने सोचा था कि तुझे अपने ही लोगों के मध्य प्रतिष्ठित करूंगा, तुझे एक उपजाऊ देश प्रदान करूंगा, जो सब देशों में सर्वोत्तम होगा। मैं सोचता था, तू मुझे अपना पिता मानेगी, और मेरा अनुसरण करना नहीं छोड़ेगी।
इफिसियों 1:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उसने प्रेम से प्रेरित हो कर आदि में ही निर्धारित किया कि हम येशु मसीह द्वारा उसकी दत्तक संतान बनें। यह परमेश्वर की मंगलमय इच्छा से हुआ Hindi Holy Bible और अपनी इच्छा की सुमति के अनुसार हमें अपने लिये पहिले से ठहराया, कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों, पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और अपनी इच्छा के भले अभिप्राय के अनुसार हमें अपने लिये पहले से ठहराया कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों, नवीन हिंदी बाइबल और उसने अपनी इच्छा के भले उद्देश्य के अनुसार अपने लिए पहले से ठहराया कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों, सरल हिन्दी बाइबल उन्होंने हमें अपनी इच्छा के भले उद्देश्य के अनुसार अपने लिए मसीह येशु के द्वारा आदि से ही अपनी संतान होने के लिए नियत किया, इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और प्रेम में उसने अपनी इच्छा के भले अभिप्राय के अनुसार हमें अपने लिये पहले से ठहराया कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों, |
‘ओ इस्राएली कौम, मैंने सोचा था कि तुझे अपने ही लोगों के मध्य प्रतिष्ठित करूंगा, तुझे एक उपजाऊ देश प्रदान करूंगा, जो सब देशों में सर्वोत्तम होगा। मैं सोचता था, तू मुझे अपना पिता मानेगी, और मेरा अनुसरण करना नहीं छोड़ेगी।
दूसरी ओर तू मुझसे प्रार्थना करती है, “हे मेरे पिता, तू तो मेरे बचपन से मेरा मित्र रहा है!
पृथ्वी के समस्त निवासी उसके सम्मुख नगण्य हैं; वह स्वर्ग की सेना में, पृथ्वी के प्राणियों के मध्य, अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करता है। कोई उसका हाथ रोक नहीं सकता, और न प्रश्न पूछने का साहस कर सकता है, कि “तूने यह क्या किया?’ ”
इस्राएली राष्ट्र की जनसंख्या सागर-तट के रेत कणों के सदृश असंख्य हो जाएगी, जिनको न मापा जा सकता है और न जिनकी गणना ही की जा सकती है। जिस स्थान में उनको ‘लो-अम्मी’ अर्थात् ‘मेरे लोग नहीं’ कहा गया था, वही उन्हें कहा जाएगा, ‘जीवित परमेश्वर की संतान’।
किन्तु यूसुफ ने उससे तब तक संसर्ग नहीं किया, जब तक उसने पुत्र को जन्म नहीं दिया। यूसुफ ने पुत्र का नाम येशु रखा।
उसी घड़ी येशु ने पवित्र आत्मा में उल्लसित हो कर कहा, “पिता! स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने ये बातें ज्ञानियों और बुद्धिमानों से गुप्त रखीं; किन्तु बच्चों पर प्रकट कीं। हाँ, पिता यही तुझे अच्छा लगा।
न्याय के दिन नीनवे के लोग इस पीढ़ी के साथ खड़े होंगे और इसे दोषी ठहराएँगे, क्योंकि उन्होंने योना का संदेश सुन कर पश्चात्ताप किया था, और देखो−यहाँ वह है, जो योना से भी बड़ा है!
किन्तु जितनों ने उसे अपनाया, और उसके नाम में विश्वास किया, उन सब को उसने परमेश्वर की संतान बनने का अधिकार दिया।
और न केवल यहूदी जाति के लिए, बल्कि इसलिए भी कि वह परमेश्वर की बिखरी हुई सन्तान को एकत्र कर एक करें।
येशु ने उससे कहा, “चरणों से लिपट कर मुझे मत रोको। मैं अब तक पिता के पास, ऊपर नहीं गया हूँ। मेरे भाइयों के पास जाओ, और उनसे यह कहो कि मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता, अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जा रहा हूँ।”
ग़ैर-यहूदी यह सुन कर आनन्दित हो गये और प्रभु के वचन की स्तुति करने लगे। जितने लोग शाश्वत जीवन के लिए ठहराए गये थे, उन्होंने विश्वास किया
और सृष्टि ही नहीं, वरन् हम भी भीतर-ही-भीतर कराहते हैं। हमें तो पवित्र आत्मा मिल चुका है, जो परमेश्वर के कृपादानों का प्रथम फल है। लेकिन हम अपने शरीर की विमुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जब हम परमेश्वर की दत्तक संतान होंगे।
कुरिन्थुस नगर में परमेश्वर की कलीसिया के नाम पौलुस का, जो परमेश्वर की इच्छा द्वारा येशु मसीह का प्रेरित होने के लिए बुलाया गया है, और भाई सोस्थेनेस का पत्र।
परमेश्वर की प्रज्ञ का विधान ऐसा था कि संसार अपने ज्ञान द्वारा परमेश्वर को नहीं पहचान सका। इसलिए परमेश्वर ने शुभ समाचार के प्रचार की ‘मूर्खता’ द्वारा विश्वासियों को बचाना चाहा।
मैं तुम्हारे लिए पिता-जैसा होऊंगा और तुम मेरे लिए पुत्र-पुत्रियों-जैसे होगे; यह सर्वशक्तिमान् प्रभु का कथन है।”
परमेश्वर सब बातों में अपने मन की योजना पूरी करता है। अपने उद्देश्य के अनुसार उसने निर्धारित किया कि हम मसीह में विरासत प्राप्त करें और हम लोगों के कारण उसकी महिमा की स्तुति हो। हम लोगों ने तो सब से पहले मसीह पर भरोसा रखा था।
अपनी उस मंगलमय इच्छा के अनुसार, जो उसने मसीह में पहले से ही निर्धारित की, परमेश्वर समय पूरा होने पर ऐसा प्रबंध करेगा कि वह सब कुछ, जो स्वर्ग तथा पृथ्वी में है, मसीह की अध्यक्षता में संयुक्त कर देगा। उसने अपने संकल्प का यह रहस्य हम पर प्रकट किया है।
परमेश्वर अपना प्रेमपूर्ण उद्देश्य पूरा करने के लिए आप लोगों में सद् इच्छा भी उत्पन्न करता और उसके अनुसार कार्य करने का बल भी प्रदान करता है।
अत: हम निरन्तर आप लोगों के लिए यह प्रार्थना करते हैं हमारा परमेश्वर आप को अपने बुलावे के योग्य बना दे और आपकी प्रत्येक सद्इच्छा तथा विश्वास से किया हुआ आपका प्रत्येक कार्य अपने सामर्थ्य से पूर्णता तक पहुँचा दे।
परमेश्वर ने भी चिह्नों, चमत्कारों, नाना प्रकार के सामर्थ्यपूर्ण कार्यों और अपनी इच्छा के अनुसार प्रदत्त पवित्र आत्मा के वरदानों द्वारा उनकी साक्षी का समर्थन किया।
पिता ने हमसे कितना महान प्रेम किया है। हम परमेश्वर की सन्तान कहलाते हैं और हम वास्तव में वही हैं। संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने परमेश्वर को नहीं जाना है।