‘हे प्रभु, स्मरण कर कि मैं सच्चाई और सम्पूर्ण हृदय से तेरे सम्मुख तेरे मार्ग पर चलता रहा। मैंने उन्हीं कार्यों को किया है, जो तेरी दृष्टि में उचित हैं।’ यह कहकर हिजकियाह फूट-फूटकर रोने लगा।
अय्यूब 4:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) क्या परमेश्वर की भक्ति तुम्हारा सहारा नहीं है? क्या तुम्हारा आदर्श-आचरण ही तुम्हारी आशा नहीं है? पवित्र बाइबल तू परमेश्वर की उपासना करता है, सो उस पर भरोसा रख। तू एक भला व्यक्ति है सो इसी को तू अपनी आशा बना ले। Hindi Holy Bible क्या परमेश्वर का भय ही तेरा आसरा नहीं? और क्या तेरी चालचलन जो खरी है तेरी आशा नहीं? पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्या परमेश्वर का भय ही तेरा आसरा नहीं? और क्या तेरा चालचलन जो खरा है तेरी आशा नहीं? सरल हिन्दी बाइबल क्या तुम्हारे बल का आधार परमेश्वर के प्रति तुम्हारी श्रद्धा नहीं है? क्या तुम्हारी आशा का आधार तुम्हारा आचरण खरा होना नहीं? इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्या परमेश्वर का भय ही तेरा आसरा नहीं? और क्या तेरी चाल चलन जो खरी है तेरी आशा नहीं? |
‘हे प्रभु, स्मरण कर कि मैं सच्चाई और सम्पूर्ण हृदय से तेरे सम्मुख तेरे मार्ग पर चलता रहा। मैंने उन्हीं कार्यों को किया है, जो तेरी दृष्टि में उचित हैं।’ यह कहकर हिजकियाह फूट-फूटकर रोने लगा।
ऊत्स देश में एक मनुष्य रहता था। उसका नाम अय्यूब था। वह प्रत्येक दृष्टि से सिद्ध और निष्कपट था। वह परमेश्वर से डरता और बुराई से दूर रहता था।
देखो, परमेश्वर मुझे मार डालेगा, मेरे बचने की आशा नहीं है; फिर भी मैं उसके सम्मुख अपने आचरण का बचाव करूँगा।
हे प्रभु, मुझे निर्दोष सिद्ध कर; क्योंकि मेरा आचरण निर्दोष रहा है; प्रभु, तुझ पर मैंने भरोसा किया और मैं अटल रहा।
यद्यपि सेना ने मुझे घेरा है, तोभी मेरा हृदय आतंकित न होगा; यद्यपि मेरे विरुद्ध युद्ध छिड़ा है; फिर भी मैं आश्वस्त रहूँगा।
प्रभु की भक्ति करने से मनुष्य में सुदृढ़ आत्म-विश्वास जागता है; प्रभु के भक्त की सन्तान कभी निराश्रित नहीं होगी।
ओ इस्राएल, तेरे युग में प्रभु स्थायित्व का आधार होगा; वह तुझे पूर्ण उद्धार, अपार बुद्धि और असीमित ज्ञान प्रदान करेगा। प्रभु का भय ही तेरा एकमात्र धन है!
इसलिए आप लोग अपने मन की शक्तियों को कर्म करने के लिए तत्पर करें। आप संयमी बने रहें और उस अनुग्रह की पूरी आशा करें, जो येशु मसीह के प्रकट होने पर आप को प्राप्त होगा।
यदि आप उसे “पिता” कह कर पुकारते हैं, जो पक्षपात किये बिना प्रत्येक मनुष्य का उसके कर्मों के अनुसार न्याय करता है, तो जब तक आप यहाँ परदेश में रहते हैं, तब तक उस पर श्रद्धा रखते हुए जीवन बितायें।