2 तीमुथियुस 1:7 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) परमेश्वर ने हमें कायरता का नहीं, बल्कि सामर्थ्य, प्रेम तथा आत्मसंयम का आत्मा प्रदान किया है। पवित्र बाइबल क्योंकि परमेश्वर ने हमें जो आत्मा दी है, वह हमें कायर नहीं बनाती बल्कि हमें प्रेम, संयम और शक्ति से भर देती है। Hindi Holy Bible क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्थ, और प्रेम, और संयम की आत्मा दी है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्थ्य और प्रेम और संयम की आत्मा दी है। नवीन हिंदी बाइबल क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं बल्कि सामर्थ्य, प्रेम और संयम की आत्मा दी है। सरल हिन्दी बाइबल यह इसलिये कि परमेश्वर ने हमें भय का नहीं परंतु सामर्थ्य, प्रेम तथा आत्म-अनुशासन का मन दिया है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्थ्य, और प्रेम, और संयम की आत्मा दी है। |
वह निष्कपट व्यक्ति के लिए ज्ञान संचित करता है; जिनका आचरण खरा है, उनकी वह ढाल के सदृश रक्षा करता है।
प्रभु की आत्मा, बुद्धि और समझ की आत्मा, सम्मत्ति और सामर्थ्य की आत्मा, ज्ञान और प्रभु के भय की आत्मा उस पर ठहरी रहेगी।
पर मैं परमेश्वर की सामर्थ्य से, प्रभु के आत्मा से परिपूर्ण हूं; मुझ में न्याय और बल है, ताकि मैं याकूब को उसके अपराध, इस्राएल को उसके पाप बता सकूं।
तब दूत ने मुझे बताया, ‘जरूब्बाबेल के लिए प्रभु का यह सन्देश है: स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: बल से नहीं, शक्ति से नहीं, वरन् मेरे आत्मा के द्वारा।
मैंने तुम्हें साँपों, बिच्छुओं और बैरी की सारी शक्ति को कुचलने का सामर्थ्य दिया है। कुछ भी तुम्हें हानि नहीं पहुँचा सकेगा।
तब वह होश में आया और यह सोचने लगा : ‘मेरे पिता के घर में कितने ही मजदूरों को आवश्यकता से अधिक रोटी मिलती है और मैं यहाँ भूखों मर रहा हूँ।
देखो, मेरे पिता ने जिस वरदान की प्रतिज्ञा की है, उसे मैं तुम पर भेजूँगा। इसलिए जब तक तुम ऊपर के सामर्थ्य से सम्पन्न न हो जाओ, तुम नगर में ठहरे रहो।”
लोग यह सब देखने निकले। वे येशु के पास आये और यह देख कर भयभीत हो गये कि वह मनुष्य, जिसमें से भूत निकले थे, कपड़े पहने शान्त भाव से येशु के चरणों के समीप बैठा हुआ है।
“शान्ति मैं तुम को दिए जाता हूँ। अपनी शान्ति मैं तुम्हें प्रदान करता हूँ− जैसे संसार देता वैसे मैं तुम्हें नहीं देता। तुम्हारा मन व्याकुल और भयभीत न हो।
किन्तु पवित्र आत्मा तुम पर उतरेगा और तुम्हें सामर्थ्य प्रदान करेगा और तुम यरूशलेम में, समस्त यहूदा और सामरी प्रदेशों में तथा पृथ्वी के अन्तिम छोर तक मेरे साक्षी होगे।”
परमेश्वर ने उन्हीं येशु को पवित्र आत्मा और सामर्थ्य से अभिषिक्त किया था और वह चारों ओर घूम-घूम कर भलाई करते रहे और शैतान के वश में आये हुए लोगों को स्वस्थ करते रहे, क्योंकि परमेश्वर उनके साथ था।
किन्तु मेरी दृष्टि में मेरे जीवन का कोई मूल्य नहीं। मैं तो केवल अपनी दौड़ समाप्त करना और वह सेवाकार्य पूरा करना चाहता हूँ, जिसे प्रभु येशु ने मुझे सौंपा है − अर्थात् मैं परमेश्वर के अनुग्रह के शुभ समाचार की साक्षी देता रहूँ।
इस पर पौलुस ने कहा, “आप लोग यह क्या कह रहे हैं? आप रो-रो कर मेरा हृदय क्यों दु:खी कर रहे हैं? मैं प्रभु येशु के नाम के कारण यरूशलेम में न केवल बँधने, बल्कि मरने को भी तैयार हूँ।”
मैं उन्हें प्रत्येक सभागृह में बार-बार दण्ड दिला कर येशु की निन्दा के लिए बाध्य करने का प्रयत्न करता था। मैं उनके प्रति क्रोध में इतना पागल हो गया था कि मैं विदेशी नगरों में भी जा कर उन को सताता था।
पौलुस ने उत्तर दिया, “माननीय फ़ेस्तुस! मैं पागल नहीं हूं, बल्कि मैं सच्ची तथा विवेकपूर्ण बातें कर रहा हूँ।
स्तीफनुस अनुग्रह तथा सामर्थ्य से परिपूर्ण हो कर जनता के सामने आश्चर्य-कर्म तथा बड़े-बड़े चिह्न दिखाता था।
किन्तु शाऊल और भी सामर्थी होते गये। इस बात का प्रमाण दे कर कि येशु ही मसीह हैं, उन्होंने दमिश्क में रहने वाले यहूदियों का मुंह बन्द कर दिया।
आशा व्यर्थ नहीं होती, क्योंकि परमेश्वर ने हमें पवित्र आत्मा प्रदान किया है और उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम ही हमारे हृदय में उंडेला गया है।
आप लोगों को दासत्व का आत्मा नहीं मिला है, जिस से प्रेरित हो कर आप फिर डरने लगें। आप लोगों को दत्तक संतान बनने का आत्मा ही मिला है, जिस से प्रेरित हो कर हम पुकार कर कहते हैं, “अब्बा, हे पिता!”
मेरे प्रवचन तथा मेरे सन्देश में विद्वत्तापूर्ण शब्दों का आकर्षण नहीं, बल्कि आत्मा का सामर्थ्य था,
परन्तु पवित्र आत्मा का फल है : प्रेम, आनन्द, शान्ति, सहनशीलता, दयालुता, हितकामना, ईमानदारी,
उन्होंने हमें बताया है कि पवित्र आत्मा ने आप लोगों में कितना प्रेम उत्पन्न किया है।
और उन मनुष्यों को मुक्त कर दें, जो मृत्यु के भय के कारण जीवन-भर दासत्व में जकड़े रहे।
आप लोगों ने आज्ञाकारी बन कर सत्य को स्वीकार किया और इस प्रकार निष्कपट भ्रातृप्रेम के लिए अपनी आत्मा को पवित्र कर लिया है; इसलिए अब आप लोगों को शुद्ध हृदय और सच्ची लगन से एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए।
प्रेम में भय नहीं होता। पूर्ण प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय में दण्ड की आशंका रहती है और जो डरता है, उसका प्रेम पूर्णता तक नहीं पहुँचा है।