‘शत्रुओं ने मेरे बचपन से मुझे अत्यन्त कष्ट पहुंचाया; तो भी वे मुझ पर प्रबल न हो सके।
2 कुरिन्थियों 4:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) हम कष्टों से घिरे रहते हैं, परन्तु कभी हार नहीं मानते। हम परेशान होते हैं, परन्तु कभी निराश नहीं होते। पवित्र बाइबल हम हर समय हर किसी प्रकार से कठिन दबावों में जीते हैं, किन्तु हम कुचले नहीं गये हैं। हम घबराये हुए हैं किन्तु निराश नहीं हैं। Hindi Holy Bible हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरुपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते; नवीन हिंदी बाइबल हम चारों ओर से कष्ट तो सहते हैं परंतु कुचले नहीं जाते, निरुपाय तो होते हैं परंतु आशा नहीं छोड़ते, सरल हिन्दी बाइबल हम चारों ओर से कष्टों से घिरे रहते हैं, किंतु कुचले नहीं जाते; घबराते तो हैं, किंतु निराश नहीं होते; इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरुपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते। |
‘शत्रुओं ने मेरे बचपन से मुझे अत्यन्त कष्ट पहुंचाया; तो भी वे मुझ पर प्रबल न हो सके।
किन्तु प्रभु धार्मिक मनुष्य को दुर्जन के हाथ में नहीं छोड़ेगा − जब धार्मिक मनुष्य का न्याय होगा तब प्रभु उसे दोषी नहीं ठहराएगा।
प्रभु की भक्ति करने से मनुष्य में सुदृढ़ आत्म-विश्वास जागता है; प्रभु के भक्त की सन्तान कभी निराश्रित नहीं होगी।
प्रभु का नाम मानो मजबूत किला है, जिसमें धार्मिक मनुष्य भागकर शरण लेते हैं और सुरक्षित रहते हैं।
परन्तु प्रभु की प्रतीक्षा करनेवाले नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे गरुड़ के पंखों की तरह नवशक्ति प्राप्त कर ऊंचे उड़ेंगे; वे दौड़ेंगे, पर थकेंगे नहीं; वे चलते रहेंगे, किन्तु निर्बल नहीं होंगे।
यद्यपि अंजीर वृक्ष में फूल नहीं आए, अंगूर-लताओं में फल नहीं लगे, जैतून के फलों की फसल नहीं हुई, खेतों में भी अन्न नहीं उपजा, बाड़ों में भेड़-बकरी नहीं रही, और पशुशालाओं में गाय-बैल नहीं रहे,
आप को अब तक ऐसा प्रलोभन नहीं दिया गया है, जो मनुष्य की शक्ति से परे हो। परमेश्वर सत्यप्रतिज्ञ है। वह आप को ऐसे प्रलोभन में पड़ने नहीं देगा, जो आपकी शक्ति से परे हो। वह प्रलोभन के समय आप को उससे निकलने का मार्ग दिखायेगा, जिससे आप उसे सहन कर सकें।
मैं मसीह के कारण अपनी दुर्बलताओं पर, अपमानों, कष्टों, अत्याचारों और संकटों पर गर्व करता हूँ; क्योंकि मैं जब दुर्बल हूँ, तभी बलवान हूँ।
किन्तु हम हर परिस्थिति में स्वयं को परमेश्वर के योग्य सेवक प्रमाणित करते हैं : हम कष्ट, अभाव और संकट को बड़े धीरज से सहन करते हैं।
जब हम मकिदुनिया पहुँचे, तो हमारे शरीर को कोई विश्राम नहीं मिल रहा था। हम हर तरह से कष्टों से घिर रहे थे। हमारे चारों ओर संघर्ष थे और हमारे अन्दर आशंकाएँ थीं।
मैं कितना चाहता हूँ कि मैं अभी तुम्हारे बीच विद्यमान होता जिससे मैं उपयुक्त भाषा का प्रयोग कर सकूं, क्योंकि मेरी समझ में नहीं आता कि मैं तुम से क्या कहूँ।
शमूएल ने शाऊल से पूछा, ‘तूने क्यों मेरी शान्ति भंग की? तूने मुझे क्यों जगाया?’ शाऊल ने उत्तर दिया, ‘मैं बड़े संकट में हूँ। पलिश्ती मुझसे युद्ध कर रहे हैं। परमेश्वर ने मुझसे मुंह मोड़ लिया है। अब वह मुझे उत्तर नहीं देता, न नबियों के द्वारा, और न स्वप्न में। इसलिए मैंने आपको बुलाया है। आप मुझे बताइए कि मुझे क्या करना चाहिए।’
दाऊद अत्यन्त संकट में था। उसके लोग उसे पत्थरों से मार डालने का विचार कर रहे थे। उनके हृदय में कटुता उत्पन्न हो गई थी; क्योंकि प्रत्येक सैनिक का पुत्र अथवा पुत्री बन्दी बना ली गई थी। दाऊद ने प्रभु परमेश्वर से साहस प्राप्त किया।
शाऊल ने अपने शस्त्रवाहक से कहा, ‘अपनी तलवार निकाल। उसको मेरे शरीर पर भोंक दे। ऐसा न हो कि ये बेखतना पलिश्ती आएं, मेरे शरीर पर अपनी तलवार भोंके, और फिर मेरा मजाक-उड़ाएं!’ परन्तु उसका शस्त्रवाहक बहुत डर गया। उसने शाऊल का आदेश नहीं माना। अत: शाऊल ने अपनी तलवार निकाली, और स्वयं उस पर गिर पड़ा।