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2 कुरिन्थियों 4:16 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

यही कारण है कि हम हिम्‍मत नहीं हारते। हमारे शरीर की शक्‍ति भले ही क्षीण होती जा रही हो, किन्‍तु हमारे अभ्‍यन्‍तर में दिन-प्रतिदिन नये जीवन का संचार होता रहता है;

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पवित्र बाइबल

इसलिए हम निराश नहीं होते। यद्यपि हमारे भौतिक शरीर क्षीण होते जा रहे हैं, तो भी हमारी अंतरात्मा प्रतिदिन नयी से नयी होती जा रही है।

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Hindi Holy Bible

इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नष्‍ट होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

इसलिए हम निराश नहीं होते। यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नष्‍ट होता जाता है, फिर भी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन-प्रतिदिन नया होता जाता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

इसलिये हम उदास नहीं होते. हमारा बाहरी मनुष्यत्व तो कमजोर होता जा रहा है किंतु भीतरी मनुष्यत्व दिन-प्रतिदिन नया होता जा रहा है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

इसलिए हम साहस नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नाश भी होता जाता है, तो भी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।

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2 कुरिन्थियों 4:16
22 क्रॉस रेफरेंस  

मेरा प्राण तेरे उद्धार को प्राप्‍त करने के लिए व्‍याकुल है; मैं तेरे वचन की आशा करता हूं।


मुझे विश्‍वास है कि मैं जीव-लोक में प्रभु की भलाई का दर्शन करूँगा।


हे परमेश्‍वर, मुझ में शुद्ध हृदय उत्‍पन्न कर। तू मेरे भीतर नई और स्‍थिर आत्‍मा निर्मित कर।


मेरा शरीर और हृदय चाहे हताश हो जाएं, पर परमेश्‍वर, तू सदा मेरे हृदय का बल और भाग है।


वह शक्‍तिहीन को शक्‍ति प्रदान करता है, वह बलहीन का बल बढ़ाता है।


परन्‍तु प्रभु की प्रतीक्षा करनेवाले नया बल प्राप्‍त करते जाएंगे, वे गरुड़ के पंखों की तरह नवशक्‍ति प्राप्‍त कर ऊंचे उड़ेंगे; वे दौड़ेंगे, पर थकेंगे नहीं; वे चलते रहेंगे, किन्‍तु निर्बल नहीं होंगे।


तूने अपने आप से यह कहा था: “मुझे धिक्‍कार है! क्‍या मेरा दु:ख कम था कि प्रभु मुझ पर एक के बाद एक विपत्ति ढाहता रहा। मैं कराहते-कराहते थक गया। मुझे कहीं चैन नहीं मिला।”


हमें प्रतिदिन हमारा दैनिक भोजन दिया कर।


आप इस संसार के अनुरूप आचरण न करें, बल्‍कि सब कुछ नयी दृष्‍टि से देखें और अपना स्‍वभाव बदल लें। इस प्रकार आप जान जायेंगे कि परमेश्‍वर क्‍या चाहता है और उसकी दृष्‍टि में क्‍या भला, सुग्राह्य तथा सर्वोत्तम है।


मेरा अन्‍तर्मन परमेश्‍वर की व्‍यवस्‍था पर मुग्‍ध है,


मेरे प्रिय भाइयो और बहिनो! आप विश्‍वास में दृढ़ तथा अटल बने रहें। आप प्रभु के कार्य में निरंतर बढ़ते जाएं, और आप यह निश्‍चित जानिए कि प्रभु के लिए किया गया आप का परिश्रम व्‍यर्थ नहीं है।


मैं तो आप लोगों के लिए सहर्ष अपना सब कुछ खर्च करूँगा और अपने को भी अर्पित करूँगा। यदि मैं आप लोगों को इतना प्‍यार करता हूँ, तो क्‍या आप मुझे कम प्‍यार करेंगे?


परमेश्‍वर की दया ने हमें यह सेवा-कार्य सौंपा है, इसलिए हम कभी हार नहीं मानते।


कि वह अपने आत्‍मा के द्वारा आप लोगों को अपनी महिमामयी निधि में से आन्‍तरिक शक्‍ति और सामर्थ्य प्रदान करे,


आप लोग पूर्ण रूप से नवीन आध्‍यात्‍मिक विचारधारा अपनायें


एक नया स्‍वभाव धारण किया है। यह स्‍वभाव अपने सृष्‍टिकर्ता का प्रतिरूप बन कर नवीन होता रहता और पूर्ण ज्ञान की ओर आगे बढ़ता है।


उसने नवजीवन के जल और पवित्र आत्‍मा की संजीवन शक्‍ति द्वारा हमारा उद्धार किया। उसने हमारे किसी पुण्‍य धर्म-कर्म के कारण ऐसा नहीं किया, बल्‍कि इसलिए कि वह दयालु है।


वह हृदय के अभ्‍यन्‍तर का शृंगार हो, अर्थात् विनम्र तथा शान्‍त स्‍वभाव का अनश्‍वर अलंकरण, जो परमेश्‍वर की दृष्‍टि में बहुत मूल्‍यवान् है।


यदि मसीह के नाम के कारण आप लोगों का अपमान किया जाये, तो अपने को धन्‍य समझें, क्‍योंकि यह इसका प्रमाण है कि परमेश्‍वर का महिमामय आत्‍मा आप पर छाया रहता है।