इसके अतिरिक्त दाऊद ने उप-पुरोहितों में से कुछ व्यक्तियों को धर्म-सेवकों के रूप में नियुक्त किया। ये प्रभु की मंजूषा के सम्मुख उपस्थित रहते थे। इनका कार्य यह था: इस्राएली राष्ट्र के प्रभु परमेश्वर का स्मरण, सराहना और स्तुति करना।
2 इतिहास 5:13 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जब आराधक प्रभु की स्तुति और धन्यवाद में गीत गाते थे, तब उनके स्वर में स्वर मिलाकर ये गायक भी गाते और तुरही बजाने वाले पुरोहित तुरही बजाते थे। इस प्रकार गीत और संगीत में ताल-मेल बैठाना गायकों और इन पुरोहितों का काम था। अत: जब पुरोहित पवित्र स्थान से बाहर निकले, और जब तुरही और झांझ तथा अन्य वाद्य-यन्त्रों पर प्रभु की स्तुति में यह गीत गूंजा : ‘क्योंकि प्रभु भला है, और उसकी करुणा सदा की है,’ तब भवन, प्रभु का भवन एक मेघ से भर गया। पवित्र बाइबल जो तुरही बजा रहे थे और गा रहे थे, वे एक व्यक्ति की तरह थे। जब वे यहोवा की स्तुति करते थे और उसे धन्यवाद देते थे तब वे एक ही ध्वनि करते थे। तुरही, झाँझ तथा अन्य वाद्य यन्त्रों पर वे तीव्र घोष करते थे, उन्होंने यहोवा की स्तुति में यह गीत गया: “यहोवा की स्तुति करो क्योंकि वह भला है। उसका प्रेम शाश्वत है।” तब यहोवा का मन्दिर मेघ से भर उठा। Hindi Holy Bible तो जब तुरहियां बजाने वाले और गाने वाले एक स्वर से यहोवा की स्तुति और धन्यवाद करने लगे, और तुरहियां, झांझ आदि बाजे बजाते हुए यहोवा की यह स्तुति ऊंचे शब्द से करने लगे, कि वह भला है और उसकी करुणा सदा की है, तब यहोवा के भवन मे बादल छा गया, पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और जब तुरहियाँ बजानेवाले और गानेवाले एक स्वर से यहोवा की स्तुति और धन्यवाद करने लगे, और तुरहियाँ, झाँझ आदि वाद्यों को बजाते हुए यहोवा की यह स्तुति ऊँचे शब्द से करने लगे, “वह भला है और उसकी करुणा सदा की है,” तब यहोवा के भवन में बादल छा गया, सरल हिन्दी बाइबल तुरहीवादकों और गायकों से यह अपेक्षित था कि जब वे याहवेह की स्तुति और धन्यवाद के गीत गाएं, तब यह गायन ऊंची आवाज में हो रहा हो और याहवेह की स्तुति में तुरहियां, झांझ और अन्य वाद्य यंत्र भी शामिल हो गए हों: “वे भले हैं; उनकी करुणा सदा की है.” तब याहवेह का वह भवन एक बादल से भर गया, इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और जब तुरहियां बजानेवाले और गानेवाले एक स्वर से यहोवा की स्तुति और धन्यवाद करने लगे, और तुरहियां, झाँझ आदि बाजे बजाते हुए यहोवा की यह स्तुति ऊँचे शब्द से करने लगे, “वह भला है और उसकी करुणा सदा की है,” तब यहोवा के भवन में बादल छा गया, |
इसके अतिरिक्त दाऊद ने उप-पुरोहितों में से कुछ व्यक्तियों को धर्म-सेवकों के रूप में नियुक्त किया। ये प्रभु की मंजूषा के सम्मुख उपस्थित रहते थे। इनका कार्य यह था: इस्राएली राष्ट्र के प्रभु परमेश्वर का स्मरण, सराहना और स्तुति करना।
तब उसने लोगों से विचार-विमर्श किया, और कुछ गायकों को नियुक्त किया कि वे पवित्र वस्त्र पहिन कर प्रभु का स्तुति-गान करें, और जब सेना प्रस्थान करे तब वे उसके आगे-आगे यह गाएं : “प्रभु की स्तुति करो, क्योंकि उसकी करुणा सदा की है।”
जब उन्होंने अपने प्रभु परमेश्वर का इस प्रकार स्तुति-गान किया, तब प्रभु ने यहूदा प्रदेश पर आक्रमण करने वाले अम्मोनी, मोआबी और सेईर के पहाड़ी देश के सैनिकों पर घात लगाकर प्रहार करने वालों को बैठा दिया। अत: वे बुरी तरह पराजित हो गए। उनमें फूट पड़ गई।
जब राजा सुलेमान ने अपनी प्रार्थना समाप्त की तब आकाश से आग गिरी और उसने अग्नि-बलि तथा पशु-बलि को भस्म कर दिया, और प्रभु के तेज से मन्दिर परिपूर्ण हो गया।
पुरोहित प्रभु के भवन में प्रवेश न कर सके; क्योंकि प्रभु के तेज से उसका भवन भरा हुआ था।
जब इस्राएलियों ने देखा कि आकाश से आग गिरी और प्रभु के तेज से मन्दिर परिपूर्ण हो गया, तब उन्होंने फर्श की ओर सिर झुकाकर प्रभु की साष्टांग वन्दना की और उसकी स्तुति करते हुए यह गीत गाया, ‘क्योंकि प्रभु भला है, और उसकी करुणा सदा की है।’
पुरोहित अपने निर्धारित स्थान पर सेवा-कार्य के लिए खड़े थे। लेवीय उपपुरोहित भी अपने-अपने हाथों में वाद्य-यन्त्र लिए हुए खड़े थे। ये वाद्य-यन्त्र राजा दाऊद ने प्रभु की महिमा के लिए, उसके नाम का गुणगान करने के लिए बनाए थे। जब राजा दाऊद का यह स्तुति-गान ‘प्रभु की करुणा सदा की है’ होता था, तब उपपुरोहित वाद्य-यन्त्र बजाते थे। अत: उपपुरोहितों ने वाद्य-यन्त्र बजाए। दूसरी ओर पुरोहित तुरहियां बजाते रहे। सब इस्राएली पास खड़े रहे।
उन्होंने उत्तर-प्रत्युत्तर की पद्धति पर प्रभु को धन्यवाद देते हुए उसकी स्तुति में यह गीत गाया : ‘प्रभु भला है; वह इस्राएल पर सदा करुणा करता है।’ इन शब्दों में उन्होंने प्रभु की स्तुति की। उसी समय प्रभु के भवन की नींव डाली गई। तब उपस्थित लोगों ने उच्च-स्वर में जय-जयकार किया।
जब यरूशलेम की शहरपनाह की प्रतिष्ठा का समय आया, तब जगह-जगह उपपुरोहितों को ढूंढ़ा गया, ताकि उनको यरूशलेम में लाया जाए और शहरपनाह की प्रतिष्ठा का पर्व आनन्द-उल्लास से परमेश्वर को धन्यवाद देते हुए, झांझ, सारंगी, और वीणा के साथ गीत-भजन गाते हुए मनाया जाए।
प्रभु की स्तुति करो! प्रभु की सरहाना करो, क्योंकि वह भला है; क्योंकि उसकी करुणा सदा बनी रहती है।
तुझ पर हमारे पूर्वजों ने भरोसा किया था, उन्होंने भरोसा किया, और तूने उनको मुक्त किया था।
सुन, तेरे पहरेदार उच्चस्वर में सब मिलकर, आनन्द से गीत गा रहे है; वे साक्षात् देख रहे हैं कि प्रभु सियोन को लौट रहा है।
मैं उन को एक हृदय और एक मार्ग दूंगा कि वे अपने, और अपने बाद अपने बच्चों के, कल्याण के लिए सदा-सर्वदा मेरी भक्ति करते रहें।
वहां आनन्द-उल्लास का स्वर फिर सुनाई देगा, दूल्हा-दुल्हिन के हास-परिहास की आवाज सुनाई देगी। जब आराधक प्रभु के भवन में स्तुति-बलि चढ़ाने के लिए आएंगे तब वे आनन्द से यह गीत गाएंगे: “स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु को धन्यवाद दो, क्योंकि प्रभु भला है, उसकी करुणा सदा बनी रहती है।” मैं-प्रभु कहता हूं : मैं पहले के समान इस देश की दशा समृद्ध कर दूंगा।’
विश्वासियों का समुदाय एक हृदय और एक प्राण था। उनमें कोई भी अपनी सम्पत्ति को अपना नहीं समझता था। जो कुछ उनके पास था, उस में सब का साझा था।
जिससे आप सब मिलकर एक स्वर से हमारे प्रभु येशु मसीह के पिता, परमेश्वर की स्तुति करते रहें।
परमेश्वर की महिमा और उसके सामर्थ्य के कारण मन्दिर धूएँ से भर गया था और कोई तब तक मन्दिर में प्रवेश नहीं कर सकता था, जब तक सात स्वर्गदूतों की सात विपत्तियाँ पूरी न हो जायें।