शैतान उनसे बोला, “मैं आप को इन सब राज्यों का अधिकार और इनका वैभव दे दूँगा। यह सब मुझे सौंपा गया है और मैं जिस को चाहता हूँ, उस को यह देता हूँ।
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शैतान उनसे बोला, “मैं आप को इन सब राज्यों का अधिकार और इनका वैभव दे दूँगा। यह सब मुझे सौंपा गया है और मैं जिस को चाहता हूँ, उस को यह देता हूँ।
“अब मैं तुम से और अधिक बातें नहीं करूँगा, क्योंकि इस संसार का अधिपति आ रहा है। वह मेरा कुछ नहीं कर सकता,
मैं यह प्रार्थना नहीं करता कि तू उन्हें संसार से उठा ले, बल्कि यह कि तू उन्हें बुराई से बचा।
हमें एक बात का गर्व है-हमारा अन्त:करण हमें विश्वास दिलाता है कि हमने मनुष्यों के साथ और विशेष कर आप लोगों के साथ जो व्यवहार किया है, वह संसार की बुद्धिमानी के अनुसार नहीं, बल्कि उस सच्चाई और ईमानदारी के अनुसार था जो परमेश्वर की कृपा का वरदान है।
इस युग-संसार के देवता ने अविश्वासियों का मन इतना अन्धा कर दिया है कि वे परमेश्वर के प्रतिरूप, अर्थात् मसीह के तेजोमय शुभ समाचार की ज्योति को देखने में असमर्थ हैं।
हम जानते हैं कि जब यह तम्बू, पृथ्वी पर हमारा यह घर, गिरा दिया जायेगा तो हमें परमेश्वर द्वारा निर्मित एक निवास मिलेगा। वह एक ऐसा घर है, जो हाथ का बना हुआ नहीं है और अनन्तकाल तक स्वर्ग में बना रहेगा।
मसीह ने हमारे पापों के कारण अपने को अर्पित किया, जिससे वह हमारे पिता परमेश्वर की इच्छानुसार वर्तमान पापमय युग-संसार से हमारा उद्धार करें।
क्योंकि आपका आचरण पहले इस युग-संसार की रीति के अनुकूल, आकाश में अधिकार जमाने वाले नायक के अनुकूल था। आप उस आत्मा के वश में थे, जो अब तक परमेश्वर के विरोधियों में क्रियाशील है।
इस कारण मैं यहाँ यह कष्ट सह रहा हूँ, किन्तु मैं इस से लज्जित नहीं हूँ; क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैंने किस पर भरोसा रखा है। मुझे निश्चय है कि वह मुझे सौंपी हुई निधि को उस दिन तक सुरक्षित रखने में समर्थ है।
क्योंकि हम भी तो पहले नासमझ, अवज्ञाकारी, भटके हुए, हर प्रकार की वासनाओं और भोगों के वशीभूत थे। हम विद्वेष और ईष्र्या में जीवन बिताते थे। हम घृणित थे और एक दूसरे से बैर करते थे।
व्यभिचारियों के सदृश आचरण करने वाले अनिष्ठावान लोगो! क्या तुम यह नहीं जानते कि संसार से मित्रता रखने का अर्थ है परमेश्वर से बैर करना? जो संसार का मित्र होना चाहता है, वह परमेश्वर का शत्रु बन जाता है।
हम जानते हैं कि हमने मृत्यु से निकल कर जीवन में प्रवेश किया है; क्योंकि हम अपने भाई-बहिनों से प्रेम करते हैं। जो प्रेम नहीं करता, वह मृत्यु में बना रहता है।
जो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करता है, वह परमेश्वर में निवास करता है और परमेश्वर उस में। और हम जानते हैं कि वह हम में निवास करता है, क्योंकि उसने हम को अपना आत्मा प्रदान किया है।
जो परमेश्वर के पुत्र में विश्वास करता है, उसके हृदय में परमेश्वर की यह साक्षी विद्यमान है। जो परमेश्वर में विश्वास नहीं करता, वह उसे झूठा समझता है; क्योंकि वह पुत्र के विषय में परमेश्वर की साक्षी स्वीकार नहीं करता।
तुम सब परमेश्वर के पुत्र के नाम में विश्वास करते हो। मैं तुम्हें यह पत्र लिख रहा हूँ जिससे तुम यह जानो कि तुम्हें शाश्वत जीवन प्राप्त है।
यदि हम यह जानते हैं कि हम जो भी माँगें, वह हमारी सुनता है, तो हम यह भी जानते हैं कि हमने जो कुछ परमेश्वर से माँगा है वह हमें मिल गया है।
हम जानते हैं कि जो परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है, वह पाप नहीं करता। परमेश्वर का पुत्र उसकी रक्षा करता है और दुष्ट शैतान उसे स्पर्श तक नहीं करने पाता।
हम जानते हैं कि परमेश्वर-पुत्र आया है और उसने हमें सच्चे परमेश्वर को पहचानने की समझ दी है। हम सच्चे परमेश्वर में निवास करते हैं; क्योंकि हम उसके पुत्र येशु मसीह में निवास करते हैं। यही सच्चा परमेश्वर और शाश्वत जीवन है।
तब वह विशालकाय पंखदार सर्प-वह पुराना साँप, जो दोष लगाने वाला शैतान कहलाता और सारे संसार को भटकाता है-अपने दूतों के साथ पृथ्वी पर पटक दिया गया।
और अगाध गर्त्त में डाल दिया। उसने अगाध गर्त्त बन्द कर उस पर मोहर लगायी, जिससे वह सर्प एक हजार वर्ष पूरे हो जाने तक राष्ट्रों को नहीं बहकाये। इसके बाद थोड़े समय के लिए उसे छोड़ दिया जाना आवश्यक है।