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इफिसियों 4:30 - पवित्र बाइबल

परमेश्वर की पवित्र आत्मा को दुःखी मत करते रहो क्योंकि परमेश्वर की सम्पत्ति के रूप में तुम पर छुटकारे के दिन के लिए आत्मा के साथ मुहर लगा दिया गया है।

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Hindi Holy Bible

और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

परमेश्‍वर ने विमोचन-दिवस के लिए आप लोगों पर पवित्र आत्‍मा की मुहर लगायी है। आप परमेश्‍वर के उस पवित्र आत्‍मा को दु:ख नहीं दें।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

परमेश्‍वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।

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नवीन हिंदी बाइबल

परमेश्‍वर के पवित्र आत्मा को शोकित न करो, जिसके द्वारा तुम पर छुटकारे के दिन के लिए मुहर लगाई गई है।

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सरल हिन्दी बाइबल

परमेश्वर की पवित्र आत्मा को शोकित न करो, जिनके द्वारा तुम्हें छुटकारे के दिन के लिए छाप दी गई है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिससे तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है। (इफि. 1:13,14, यशा. 63:10)

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इफिसियों 4:30
23 क्रॉस रेफरेंस  

यहोवा को इस बात का दुःख हुआ, कि मैंने पृथ्वी पर मनुष्यों को क्यों बनाया? यहोवा इस बात से बहुत दुःखी हुआ।


हाय, उन लोगों ने मरूभूमि में परमेश्वर को कष्ट दिया! उन्होंने उसको बहुत दु:खी किया था!


मैं उन लोगों के साथ चालीस वर्ष तक धीरज बनाये रखा। मैं यह भी जानता था कि वे सच्चे नहीं हैं। उन लोगों ने मेरी सीख पर चलने से नकारा।


तुम अपनी बलियों की चर्बी से मुझे तृप्त नहीं करते मुझे आदर देने के लिये वस्तुएँ मोल लेने के लिए अपने धन का उपयोग नहीं करते। अपनी बलियों की चर्बी से मुझे तृप्त नहीं करते। किन्तु तुम मुझ पर दबाव डालते हो कि मैं तुम्हारे दास का सा आचरण करूँ। तुम तब तक पाप करते चले गये जब तक मैं तुम्हारे पापों से पूरी तरह तंग नहीं आ गया।


किन्तु वे लोग यहोवा से मुख मोड़ चले। उन्होंने उसकी पवित्र आत्मा को बहुत दु:खी किया। सो यहोवा उनका शत्रु बन गया। यहोवा ने उन लोगों के विरोध में युद्ध किया।


तब यशायाह ने कहा, “हे, दाऊद के वंशजों, सावधान हो कर सुनो! तुम लोगों के धैर्य की परीक्षा लेते हो। क्या यह तुम्हारे लिए काफी नहीं है जो, अब तुम मेरे परमेश्वर के धैर्य की परीक्षा ले रहे हो


ये सारी बातें क्यों होंगी क्योंकि तुमने वह याद नहीं रखा कि तुम्हारे साथ बचपन में क्या घटित हुआ था। तुमने वे सभी बुरे पाप किये और मुझे क्रोधित किया। इसलिये उन बुरे पापों के लिये मुझे तुमको दण्ड देना पड़ा। किन्तु तुमने और भी अधिक भयंकर योजनाएँ बनाई।” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।


“क्या मैं उन्हें कब्र की शक्ति से बचा लूँ? क्या मैं उनको मृत्यु से मुक्त करा लूँ? हे मृत्यु, कहाँ है तेरी व्याधियाँ? हे कब्र, तेरी शक्ति कहाँ है? मेरी दृष्टी से करूणा छिपा रहेगी!


फिर यीशु ने क्रोध में भर कर चारों ओर देखा और उनके मन की कठोरता से वह बहुत दुखी हुआ। फिर उसने उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ आगे बढ़ा।” उसने हाथ बढ़ाया, उसका हाथ पहले जैसा ठीक हो गया।


अब देखो, ये बातें जब घटने लगें तो तुम खड़े होकर अपने सिर ऊपर उठा लेना। क्योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट आ रहा होगा।”


जो उसकी साक्षी को मानता है वह प्रमाणित करता है कि परमेश्वर सच्चा है।


“हे बिना ख़तने के मन और कान वाले हठीले लोगो! तुमने सदा ही पवित्र आत्मा का विरोध किया है। तुम अपने पूर्वजों के जैसे ही हो।


और यदि वह आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया था, तुम्हारे भीतर वास करती है, तो वह परमेश्वर जिस ने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया था, तुम्हारे नाशवान शरीरों को अपनी आत्मा से जो तुम्हारे ही भीतर बसती है, जीवन देगा।


न केवल यह सृष्टि बल्कि हम भी जिन्हें आत्मा का पहला फल मिला है, अपने भीतर कराहते रहे है। क्योंकि हमें उसके द्वारा पूरी तरह अपनाये जाने का इंतजार है कि हमारी देह मुक्ति हो जायेगी।


किन्तु तुम यीशू मसीह में उसी के कारण स्थित हो। वही परमेश्वर के वरदान के रूप में हमारी बुद्धि बन गया है। उसी के द्वारा हम निर्दोष ठहराये गये ताकि परमेश्वर को समर्पित हो सकें और हमें पापों से छुटकारे मिल पाये


सो जब यह नाशमान देह अविनाशी चोले को धारण कर लेगी और वह मरणशील काया अमर चोले को ग्रहण कर लेगी तो शास्त्र का लिखा यह पूरा हो जायेगा: “विजय ने मृत्यु को निगल लिया है।”


पवित्र आत्मा के कार्य का दमन मत करते रहो।


सोचो, वह मनुष्य कितने अधिक कड़े दण्ड का पात्र है, जिसने अपने पैरों तले परमेश्वर के पुत्र को कुचला, जिसने वाचा के उस लहू को, जिसने उसेपवित्र किया था, एक अपवित्र वस्तु माना और जिसने अनुग्रह की आत्मा का अपमान किया।


वह यही कारण था जिससे मैं उन जनों से क्रोधित था, और फिर मैंने कहा था, ‘इनके हृदय सदा भटकते रहते हैं ये मेरे मार्ग जानते नहीं हैं।’


वह चालीस वर्षों तक किन पर क्रोधित रहा? क्या उन्हीं पर नहीं जिन्होंने पाप किया था और जिनके शव मरुस्थल में पड़े रहे थे?


तब इस्राएल के लोगों ने अपने पास के विदेशी देवताओं को फेंक दिया। उन्होंने फिर से यहोवा की उपासना आरम्भ की। इसलिए जब यहोवा ने उन्हें कष्ट उठाते देखा, तब वह उनके लिए दुःखी हुआ।