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इफिसियों 4:30 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

30 परमेश्‍वर ने विमोचन-दिवस के लिए आप लोगों पर पवित्र आत्‍मा की मुहर लगायी है। आप परमेश्‍वर के उस पवित्र आत्‍मा को दु:ख नहीं दें।

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पवित्र बाइबल

30 परमेश्वर की पवित्र आत्मा को दुःखी मत करते रहो क्योंकि परमेश्वर की सम्पत्ति के रूप में तुम पर छुटकारे के दिन के लिए आत्मा के साथ मुहर लगा दिया गया है।

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Hindi Holy Bible

30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

30 परमेश्‍वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।

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नवीन हिंदी बाइबल

30 परमेश्‍वर के पवित्र आत्मा को शोकित न करो, जिसके द्वारा तुम पर छुटकारे के दिन के लिए मुहर लगाई गई है।

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सरल हिन्दी बाइबल

30 परमेश्वर की पवित्र आत्मा को शोकित न करो, जिनके द्वारा तुम्हें छुटकारे के दिन के लिए छाप दी गई है.

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इफिसियों 4:30
23 क्रॉस रेफरेंस  

प्रभु ने कहा, ‘मेरा आत्‍मा मनुष्‍य में सदा निवास न करेगा; क्‍योंकि मनुष्‍य शरीर मात्र है। उसका जीवनकाल एक सौ बीस वर्ष का होगा।’


इस बात से प्रभु को दु:ख हुआ कि उसने पृथ्‍वी पर मनुष्‍य को बनाया। उसके हृदय को बड़ी ठेस पहुंची।


कितनी बार उन्‍होंने निर्जन प्रदेश में परमेश्‍वर से विद्रोह किया, और उसको उजाड़ भूमि में उदास किया।


वह चालीस वर्ष तक उस पीढ़ी से घृणा करता रहा। प्रभु ने यह कहा था, ‘ये हृदय के भ्रष्‍ट लोग हैं, ये मेरे मार्गों को नहीं जानते हैं।’


तूने मुझे चढ़ाने के लिए शहद के साथ शक्‍कर नहीं खरीदी, अपने बलि-पशु की चर्बी की सुगन्‍ध से मुझे सन्‍तुष्‍ट नहीं किया। वरन् तूने अपने पाप का भार मुझ पर लाद दिया; तूने अपने अधर्म से मुझे थका दिया।


किन्‍तु उन्‍होंने प्रभु से विरोध किया, उसके पवित्र आत्‍मा को दु:ख दिया। अत: वह उनका शत्रु बन गया, और उसने उनके विरुद्ध युद्ध किया।


तब यशायाह ने कहा, ‘ओ दाऊद के वंशजो, सुनो! क्‍या तुम्‍हारी दृष्‍टि में लोगों को तंग करना इतनी साधारण-सी बात है कि अब तुम मेरे परमेश्‍वर को भी तंग कर रहे हो!


‘ओ यरूशलेम, तू अपने बचपन के दिन भूल गई, और तूने ये कुकर्म किये, और यों मुझे क्रोध दिलाया। सुन, मैं निस्‍सन्‍देह तेरे कुकर्मों का प्रतिफल तेरे सिर पर डालूंगा,’ स्‍वामी-प्रभु की यही वाणी है। ‘तूने अनेक घृणित कुकर्म तो किए ही थे। उनके अतिरिक्‍त तूने यह व्‍यभिचार कर्म भी किया।


क्‍या मैं उसका मूल्‍य चुकाकर अधोलोक के हाथ से उसे मुक्‍त करूं? क्‍या मैं उसे मृत्‍यु से छुड़ाऊं? ओ मृत्‍यु, तेरी महामारियां कहां हैं? ओ अधोलोक, कहां हैं तेरी संहार-शक्‍ति? मेरी आंखों में दया की भावना नहीं रही।


उनके हृदय की कठोरता देख कर येशु को दु:ख हुआ और वह उन पर क्रोध भरी दृष्‍टि दौड़ा कर उस मनुष्‍य से बोले, “अपना हाथ बढ़ाओ।” उसने अपना हाथ बढ़ाया और उसका हाथ अच्‍छा हो गया।


“जब ये बातें होने लगेंगी, तो सीधे खड़े होकर अपना सिर ऊंचा करना; क्‍योंकि तुम्‍हारी मुक्‍ति निकट होगी।”


जो उसकी साक्षी स्‍वीकार करता है, वह इस बात को प्रमाणित कर चुका कि परमेश्‍वर सत्‍य है।


“ओ हठधर्मियो! मन से विधर्मियो, और कान से बहरे लोगो! आप लोग सदा ही पवित्र आत्‍मा का विरोध करते हैं, जैसा कि आपके पूर्वज भी किया करते थे।


जिसने येशु को मृतकों में से जिलाया, यदि उसका आत्‍मा आप लोगों में निवास करता है, तो जिसने येशु मसीह को मृतकों में से जिलाया, वह अपने आत्‍मा द्वारा, जो आप में निवास करता है, आपके नश्‍वर शरीर को भी जीवन प्रदान करेगा।


और सृष्‍टि ही नहीं, वरन् हम भी भीतर-ही-भीतर कराहते हैं। हमें तो पवित्र आत्‍मा मिल चुका है, जो परमेश्‍वर के कृपादानों का प्रथम फल है। लेकिन हम अपने शरीर की विमुक्‍ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जब हम परमेश्‍वर की दत्तक संतान होंगे।


उसी परमेश्‍वर के वरदान से आप लोग येशु मसीह के अंग बन गये हैं। परमेश्‍वर ने मसीह को हमारा ज्ञान, धार्मिकता, पवित्रता और पापमुक्‍ति बना दिया है।


जब यह नश्‍वर शरीर अनश्‍वरता को धारण करेगा, जब यह मरणशील शरीर अमरता को धारण करेगा, तब धर्मग्रन्‍थ का यह कथन पूरा हो जायेगा : “मृत्‍यु विजय में विलीन हो गई


आत्‍मा की प्रेरणा का दमन नहीं करें


तो आप लोग विचार करें कि जो व्यक्‍ति परमेश्‍वर के पुत्र का तिरस्‍कार करता है, विधान के उस रक्‍त को तुच्‍छ समझता है जिस के द्वारा वह पवित्र किया गया था, और अनुग्रह के आत्‍मा का अपमान करता है, तो ऐसा व्यक्‍ति कितने घोर दण्‍ड के योग्‍य समझा जायेगा;


इसलिए मैं उस पीढ़ी पर अप्रसन्न हो गया और मैंने कहा, “इनका हृदय सदा भटकता रहता है; और ये मेरे मार्ग नहीं जानते हैं।”


परमेश्‍वर चालीस वर्षों तक किन लोगों पर अप्रसन्न रहा? निश्‍चय ही उन लोगों पर, जिन्‍होंने पाप किया था और जिनके शव निर्जन प्रदेश में पड़े रहे।


इस्राएलियों ने अपने मध्‍य में स्‍थापित अन्‍य देशों के देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हटा दीं, और वे प्रभु की आराधना करने लगे। प्रभु का प्राण इस्राएलियों के कष्‍ट के कारण अधीर हुआ!


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