तब यहोवा ने देखा कि पृथ्वी पर मनुष्य की दुष्टता बढ़ गई है, और उसके मन का प्रत्येक विचार निरंतर बुरा ही होता है।
सभोपदेशक 9:3 - नवीन हिंदी बाइबल संसार में जो कुछ होता है उसमें यह बुराई है कि सब मनुष्यों के अंत की दशा एक जैसी होती है; और साथ ही लोगों के मन बुराई से भरे रहते हैं और जब तक वे जीवित हैं, उनके हृदय में पागलपन समाया रहता है। उसके बाद वे मृतकों में जा मिलते हैं। पवित्र बाइबल इस जीवन में जो भी कुछ घटित होता है उसमें सबसे बुरी बात यह है कि सभी लोगों का अन्त एक ही तरह से होता है। साथ ही यह भी बहुत बुरी बात है कि लोग जीवन भर सदा ही बुरे और मूर्खतापूर्ण विचारों में पड़े रहते हैं और अन्त में मर जाते हैं। Hindi Holy Bible जो कुछ सूर्य के नीचे किया जाता है उस में यह एक दोष है कि सब लोगों की एक सी दशा होती है; और मनुष्यों के मनों में बुराई भरी हुई है, और जब तक वे जीवित रहते हैं उनके मन में बावलापन रहता है, और उसके बाद वे मरे हुओं में जा मिलते हैं। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जो बुराइयाँ सूर्य के नीचे इस धरती पर विद्यमान हैं उनमें से एक यह नियति है : सब मनुष्य एक ही गति को प्राप्त होते हैं। मनुष्यों के हृदय बुराई से भरे हैं। जब तक वे जीवित रहते हैं, उनमें पागलपन समाया रहता है। उसके बाद वे मृतकों में मिल जाते हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) जो कुछ सूर्य के नीचे किया जाता है उस में यह एक दोष है कि सब लोगों की एक सी दशा होती है; और मनुष्यों के मनों में बुराई भरी हुई है, और जब तक वे जीवित रहते हैं उनके मन में बावलापन रहता है, और उसके बाद वे मरे हुओं में जा मिलते हैं। सरल हिन्दी बाइबल सूरज के नीचे किए जा रहे हर एक काम में मैंने यही बुराई देखी कि सभी मनुष्यों का एक ही अंत है. मनुष्यों के हृदय बुराई से भरे हैं और उनके पूरे जीवन में पागलपन उनके हृदयों में भरा रहता है. इसके बाद उनकी मृत्यु हो जाती है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 जो कुछ सूर्य के नीचे किया जाता है उसमें यह एक दोष है कि सब लोगों की एक सी दशा होती है; और मनुष्यों के मनों में बुराई भरी हुई है, और जब तक वे जीवित रहते हैं उनके मन में बावलापन रहता है, और उसके बाद वे मरे हुओं में जा मिलते हैं। |
तब यहोवा ने देखा कि पृथ्वी पर मनुष्य की दुष्टता बढ़ गई है, और उसके मन का प्रत्येक विचार निरंतर बुरा ही होता है।
तब यहोवा ने मनमोहक सुगंध पाकर अपने मन में कहा, “मैं फिर कभी मनुष्य के कारण भूमि को शाप न दूँगा, यद्यपि मनुष्य के मन में बचपन से जो कुछ उत्पन्न होता है वह बुरा ही है। जैसा मैंने प्रत्येक प्राणी को अब नाश किया है, वैसा फिर कभी न करूँगा।
दुष्ट मनुष्य अपने दुष्कर्मों के द्वारा नष्ट हो जाता है, परंतु धर्मी अपनी मृत्यु के समय भी शरण पाता है।
मैंने अपना मन लगाया कि बुद्धि को समझूँ, और पागलपन तथा मूर्खता को भी जान लूँ। मैं समझ गया कि यह भी वायु को पकड़ने के समान है।
तब मिट्टी ज्यों की त्यों भूमि में मिल जाएगी, और आत्मा परमेश्वर के पास जिसने उसे दिया, लौट जाएगी।
बुद्धिमान की आँखें उसके सिर में होती हैं, परंतु मूर्ख अंधकार में चलता है; फिर भी मैं जानता हूँ कि दोनों का अंत एक जैसा होता है।
उत्सव मनानेवाले के घर जाने की अपेक्षा शोक मनानेवाले के घर जाना उत्तम है; क्योंकि सब मनुष्यों का अंत यही है, और जो जीवित है वह मन लगाकर इस पर विचार करेगा।
मैंने अपना मन लगाया कि बुद्धि और समझ को जानूँ, उनकी छान-बीन करूँ और उन्हें खोजूँ; और यह भी जानूँ कि मूर्खता की बुराई और पागलपन की मूर्खता क्या है।
बुरे काम के दंड की आज्ञा तुरंत नहीं दी जाती, इस कारण मनुष्यों का मन बुरा काम करने की इच्छा से भरा रहता है।
मैंने संसार में यह भी देखा है कि न दौड़ में तेज़ दौड़नेवाले, और न युद्ध में शूरवीर जीतते हैं; न रोटी बुद्धिमानों को, न धन-संपत्ति समझदारों को, और न ही कृपा योग्य लोगों को प्राप्त होती है। सब कुछ समय और संयोग पर निर्भर करता है।
सब बातें सब के लिए समान होती हैं : धर्मी हो या दुष्ट, भला हो या बुरा, शुद्ध हो या अशुद्ध, बलिदान चढ़ानेवाला हो या बलिदान न चढ़ानेवाला सब का एक ही परिणाम होता है। जैसी दशा भले मनुष्य की होती है, वैसी ही पापी मनुष्य की; जैसी दशा शपथ खानेवाले की वैसी ही शपथ से डरनेवाले की।
जो जीवितों के बीच पाया जाता है उसके लिए आशा है; निश्चय ही जीवित कुत्ता मृत सिंह से अच्छा है।
परंतु जब वह अपने आपे में आया तो कहने लगा, ‘मेरे पिता के कितने मज़दूरों को भरपेट भोजन मिलता है, और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ।
उसी क्षण प्रभु के एक स्वर्गदूत ने उसे मारा क्योंकि उसने परमेश्वर को महिमा नहीं दी, और वह कीड़े पड़कर मर गया।
मैं सब आराधनालयों में उन्हें यातना दे देकर यीशु की निंदा करने के लिए विवश करता रहा, और यहाँ तक कि उनके विरुद्ध क्रोध से भरकर बाहर के नगरों तक भी उनका पीछा करता रहा।
जब वह अपने बचाव में ये बातें कह ही रहा था तो फेस्तुस ने ऊँची आवाज़ में कहा, “पौलुस तू पागल है! तेरी बहुत विद्या ने तुझे पागल बना दिया है।”
हम भी पहले निर्बुद्धि, आज्ञा न माननेवाले, भ्रम में पड़े हुए, तथा विभिन्न प्रकार की लालसाओं और भोग-विलास के दासत्व में थे, तथा बुराई और ईर्ष्या में जीवन व्यतीत करते थे। हम घृणित थे और एक दूसरे से घृणा करते थे।
परंतु उसे अपने इस अपराध के लिए फटकार भी पड़ी। एक अबोल गधे ने मनुष्य की बोली में बोलकर उस भविष्यवक्ता को उसके पागलपन से रोका।