हे मेरे परमेश्वर, मैं दिन को पुकारता हूँ परंतु तू उत्तर नहीं देता; और रात को भी पुकारता हूँ, परंतु मुझे चैन नहीं मिलता।
लूका 6:12 - नवीन हिंदी बाइबल उन्हीं दिनों ऐसा हुआ कि यीशु पहाड़ पर प्रार्थना करने गया, और सारी रात परमेश्वर से प्रार्थना करता रहा। पवित्र बाइबल उन्हीं दिनों ऐसा हुआ कि यीशु प्रार्थना करने के लिये एक पहाड़ पर गया और सारी रात परमेश्वर की प्रार्थना करते हुए बिता दी। Hindi Holy Bible और उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने को निकला, और परमेश्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उन दिनों येशु प्रार्थना करने एक पहाड़ी पर चढ़े और वे रात भर परमेश्वर की प्रार्थना में लीन रहे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने गया, और परमेश्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई। सरल हिन्दी बाइबल एक दिन प्रभु येशु पर्वत पर प्रार्थना करने चले गए और सारी रात वह परमेश्वर से प्रार्थना करते रहे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने को निकला, और परमेश्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई। |
हे मेरे परमेश्वर, मैं दिन को पुकारता हूँ परंतु तू उत्तर नहीं देता; और रात को भी पुकारता हूँ, परंतु मुझे चैन नहीं मिलता।
परंतु जब तू प्रार्थना करे तो अपने कमरे में जा, और द्वार बंद करके अपने पिता से जो गुप्त में है, प्रार्थना कर; तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझेप्रतिफल देगा।
बड़े भोर को अंधेरे में ही वह उठकर बाहर निकल गया और किसी एकांत स्थान पर जाकर वहाँ प्रार्थना करने लगा।
फिर यीशु पहाड़ पर चढ़ गया और जिन्हें वह चाहता था, उन्हें अपने पास बुलाया और वे उसके पास आए।
तब यीशु उनके साथ नीचे उतरकर समतल स्थान पर खड़ा हुआ, और वहाँ उसके शिष्यों की एक बड़ी भीड़ और सारे यहूदिया तथा यरूशलेम, सूर और सैदा के समुद्र तट से आए लोगों का एक बड़ा जनसमूह था,
फिर ऐसा हुआ कि जब वह अकेले प्रार्थना कर रहा था और शिष्य उसके साथ थे, तो उसने उनसे पूछा,“लोग मुझे क्या कहते हैं?”
फिर ऐसा हुआ कि इन बातों के लगभग आठ दिन बाद यीशु पतरस, यूहन्ना और याकूब को साथ लेकर प्रार्थना करने पहाड़ पर गया।
जब वह प्रार्थना कर रहा था तो उसके मुख का रूप बदल गया और उसका वस्त्र श्वेत होकर चमकने लगा।
यीशु ने अपनी देह में रहने के दिनों में ऊँचे स्वर से पुकारकर और आँसू बहा बहाकर, उससे जो उसे मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्थनाएँ और विनतियाँ कीं; और भक्ति के कारण उसकी सुनी गई।