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लूका 6:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

12 उन दिनों येशु प्रार्थना करने एक पहाड़ी पर चढ़े और वे रात भर परमेश्‍वर की प्रार्थना में लीन रहे।

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पवित्र बाइबल

12 उन्हीं दिनों ऐसा हुआ कि यीशु प्रार्थना करने के लिये एक पहाड़ पर गया और सारी रात परमेश्वर की प्रार्थना करते हुए बिता दी।

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Hindi Holy Bible

12 और उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने को निकला, और परमेश्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

12 उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने गया, और परमेश्‍वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई।

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नवीन हिंदी बाइबल

12 उन्हीं दिनों ऐसा हुआ कि यीशु पहाड़ पर प्रार्थना करने गया, और सारी रात परमेश्‍वर से प्रार्थना करता रहा।

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सरल हिन्दी बाइबल

12 एक दिन प्रभु येशु पर्वत पर प्रार्थना करने चले गए और सारी रात वह परमेश्वर से प्रार्थना करते रहे.

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लूका 6:12
23 क्रॉस रेफरेंस  

हे मेरे परमेश्‍वर, मैं तुझे दिन में पुकारता हूँ, पर तू उत्तर नहीं देता; रात में भी मुझे शांति नहीं मिलती।


मेरे प्राण रात में तेरे लिए तरसते हैं, मेरी आत्‍मा मेरे अन्‍त: में तुझे ढूंढ़ती है। जब तेरे न्‍याय-सिद्धान्‍त पृथ्‍वी पर प्रबल होते हैं, तब संसार के निवासी धर्म को सीखते हैं।


जब दानिएल को यह मालूम हुआ कि निषेधाज्ञा के पत्र पर सम्राट दारा का हस्‍ताक्षर हो गया, तब वह अपने घर गए। उनके घर की ऊपरी मंजिल के कमरे की खिड़कियां यरूशलेम नगर की दिशा में खुलती थीं। वह दिन में तीन बार घुटने टेककर परमेश्‍वर से प्रार्थना करते और उसको धन्‍यवाद दिया करते थे। आज भी उन्‍होंने वैसा ही किया।


येशु विशाल जनसमूह को देखकर पहाड़ी पर चढ़े और वहाँ बैठ गये। उनके शिष्‍य उनके पास आए


जब तुम प्रार्थना करते हो, तो अपने कमरे में जाओ, द्वार बन्‍द करो और गुप्‍त में अपने पिता से प्रार्थना करो। तुम्‍हारा पिता, जो गुप्‍त कार्य को भी देखता है, तुम्‍हें पुरस्‍कार देगा।


प्रात:काल, जब अंधेरा ही था, येशु उठे और घर से बाहर निकले। वह किसी एकान्‍त स्‍थान जा कर प्रार्थना करने लगे।


येशु पहाड़ी पर चढ़े और जिन को चाहा, उन को अपने पास बुला लिया। वे उनके पास आए।


तब येशु उन्‍हें विदा कर पहाड़ी पर प्रार्थना करने चले गये।


परन्‍तु येशु प्राय: अलग जा कर एकान्‍त स्‍थानों में प्रार्थना किया करते थे।


वे बहुत नाराज हो गये और आपस में परामर्श करने लगे कि हम येशु का क्‍या करें।


येशु उन बारह प्रेरितों के साथ पहाड़ी से उतर कर एक मैदान में खड़े हो गये। वहाँ उनके बहुत-से शिष्‍य थे और एक विशाल जनसमूह भी था। वे लोग समस्‍त यहूदा प्रदेश, यरूशलेम नगर और सोर तथा सीदोन के समुद्र-तट से आए थे।


येशु किसी दिन एकान्‍त में प्रार्थना कर रहे थे और उनके शिष्‍य उनके साथ थे। येशु ने उन से पूछा, “मैं कौन हूँ, इस विषय में जनता क्‍या कहती है?”


इन बातों के कोई आठ दिन बाद येशु पतरस, योहन और याकूब को अपने साथ ले गये और प्रार्थना करने के लिए एक पहाड़ पर चढ़े।


प्रार्थना करते समय येशु के मुखमण्‍डल का रूपान्‍तरण हो गया और उनके वस्‍त्र उज्‍ज्‍वल हो कर जगमगा उठे।


येशु पहाड़ी पर चढ़े और वहाँ अपने शिष्‍यों के साथ बैठ गये।


आप लोग सजग हो कर प्रार्थना और धन्‍यवाद में लगे रहें।


मसीह ने इस पृथ्‍वी पर रहते समय पुकार-पुकार कर और आँसू बहा-बहा कर परमेश्‍वर से, जो उन्‍हें मृत्‍यु से बचा सकता था, प्रार्थना और अनुनय-विनय की। श्रद्धाभक्‍ति के कारण उनकी प्रार्थना सुनी गयी।


‘मुझे दु:ख है कि मैंने शाऊल को राजा बनाया; क्‍योंकि उसने मेरा अनुसरण करने से मुँह मोड़ लिया है। उसने मेरे वचनों के अनुसार कार्य नहीं किया है।’ शमूएल क्रुद्ध हुआ। वह रात भर प्रभु की दुहाई देता रहा।


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