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रोमियों 3:27 - नवीन हिंदी बाइबल

तो घमंड कहाँ रहा? वह तो रहा ही नहीं। कौन सी व्यवस्था से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, परंतु विश्‍वास की व्यवस्था से।

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पवित्र बाइबल

तो फिर घमण्ड करना कहाँ रहा? वह तो समाप्त हो गया। भला कैसे? क्या उस विधि से जिसमें व्यवस्था जिन कर्मों की अपेक्षा करती है, उन्हें किया जाता है? नहीं, बल्कि उस विधि से जिसमें विश्वास समाया है।

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Hindi Holy Bible

तो घमण्ड करना कहां रहा उस की तो जगह ही नहीं: कौन सी व्यवस्था के कारण से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, वरन विश्वास की व्यवस्था के कारण।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

इसलिए किसी को अपने पर गर्व करने का अधिकार नहीं रहा। किस विधान के कारण यह अधिकार जाता रहा? यह कर्मकाण्‍ड के विधान के कारण नहीं, बल्‍कि विश्‍वास के विधान के कारण हुआ;

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

तो घमण्ड करना कहाँ रहा? उसकी तो जगह ही नहीं। कौन–सी व्यवस्था के कारण से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, वरन् विश्‍वास की व्यवस्था के कारण।

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सरल हिन्दी बाइबल

तब हमारे घमंड का क्या हुआ? उसका बहिष्कार कर दिया गया है. किस सिद्धांत के द्वारा? कामों के सिद्धांत के द्वारा? नहीं! यह हुआ है विश्वास की व्यवस्था द्वारा.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तो घमण्ड करना कहाँ रहा? उसकी तो जगह ही नहीं। कौन सी व्यवस्था के कारण से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, वरन् विश्वास की व्यवस्था के कारण।

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रोमियों 3:27
26 क्रॉस रेफरेंस  

जो विश्‍वास करेगा और बपतिस्मा लेगा उसी का उद्धार होगा, परंतु जो विश्‍वास नहीं करेगा वह दोषी ठहराया जाएगा।


जो पुत्र पर विश्‍वास करता है, अनंत जीवन उसका है। परंतु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, बल्कि परमेश्‍वर का प्रकोप उस पर बना रहता है।


मूसा उस धार्मिकता के विषय में जो व्यवस्था से है, लिखता है : जो उनका पालन करता है वह मनुष्य उनके द्वारा जीवित रहेगा।


यदि यह अनुग्रह से हुआ तो फिर यह कर्मों के आधार पर नहीं, अन्यथा अनुग्रह फिर अनुग्रह नहीं रहता।


परंतु यदि तू यहूदी कहलाता है और व्यवस्था पर निर्भर रहता है, और परमेश्‍वर पर गर्व करता है,


तू जो व्यवस्था पर गर्व करता है, क्या व्यवस्था का उल्‍लंघन करके परमेश्‍वर का अपमान करता है?


अब हम जानते हैं कि व्यवस्था जो भी कहती है उन्हीं से कहती है जो व्यवस्था के अधीन हैं, ताकि प्रत्येक मुँह बंद किया जाए और सारा संसार परमेश्‍वर को लेखा देनेवाला ठहरे;


इस वर्तमान समय में उसने उसे इसलिए प्रस्तुत किया कि अपनी धार्मिकता को प्रकट करे, जिससे वह स्वयं धर्मी ठहरे और जो यीशु पर विश्‍वास करता है उसका धर्मी ठहरानेवाला हो।


क्योंकि यदि अब्राहम कर्मों के द्वारा धर्मी ठहराया जाता, तो वह घमंड कर सकता था, परंतु परमेश्‍वर के सामने नहीं।


अतः मैं यह सिद्धांत पाता हूँ कि यद्यपि मैं भलाई करना चाहता हूँ, फिर भी मुझमें बुराई ही है;


परंतु मैं अपने अंगों में एक अलग व्यवस्था को देखता हूँ जो मेरे मन की व्यवस्था के विरुद्ध युद्ध करती है और मुझे पाप की उस व्यवस्था का बंदी बना देती है जो मेरे अंगों में बसी है।


हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर का धन्यवाद हो। इसलिए अब एक ओर तो मैं अपने मन से परमेश्‍वर की व्यवस्था की, और दूसरी ओर शरीर से पाप की व्यवस्था की सेवा करता हूँ।


क्योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में तुम्हें पाप और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया है।


(अब तक न तो जुड़वाँ बालकों का जन्म हुआ था और न ही उन्होंने कुछ भला या बुरा किया था) तो उससे कहा गया था, “बड़ा छोटे की सेवा करेगा।” यह इस अभिप्राय से था कि परमेश्‍वर द्वारा चुने जाने का उद्देश्य, जो कर्मों के कारण नहीं बल्कि बुलानेवाले के कारण है, बना रहे।


परंतु इस्राएल धार्मिकता की व्यवस्था की खोज करते हुए उस व्यवस्था तक नहीं पहुँचा।


ऐसा क्यों? क्योंकि उन्होंने विश्‍वास से नहीं बल्कि मानो कर्मों से उसकी खोज की थी; उन्होंने उस ठोकर के पत्थर से ठोकर खाई।


कौन है जो तुझे दूसरे से श्रेष्‍ठ समझता है? और तेरे पास क्या है जो तुझे नहीं मिला? और जबकि तुझे मिला है, तो घमंड क्यों करता है मानो तुझे मिला ही नहीं?


फिर भी यह जानकर कि मनुष्य व्यवस्था के कार्यों से नहीं परंतु केवल यीशु मसीह पर विश्‍वास करने के द्वारा धर्मी ठहराया जाता है, हमने भी मसीह यीशु पर विश्‍वास किया है, ताकि हम व्यवस्था के कार्यों से नहीं परंतु मसीह पर विश्‍वास करने से धर्मी ठहराए जाएँ, क्योंकि व्यवस्था के कार्यों से कोई भी मनुष्य धर्मी नहीं ठहराया जाएगा।


परंतु पवित्रशास्‍त्र ने सब को पाप के अधीन कर दिया ताकि वह प्रतिज्ञा जो यीशु मसीह पर विश्‍वास करने के द्वारा है, विश्‍वास करनेवालों को दी जाए।