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रोमियों 11:20 - नवीन हिंदी बाइबल

ठीक है! वे अपने अविश्‍वास के कारण तोड़ी गईं, परंतु तू अपने विश्‍वास के कारण स्थिर है। अभिमानी न हो, परंतु भय मान;

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पवित्र बाइबल

यह सत्य है, वे अपने अविश्वास के कारण तोड़ फेंकी गयीं किन्तु तुम अपने विश्वास के बल पर अपनी जगह टिके रहे। इसलिए इसका गर्व मत कर बल्कि डरता रह।

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Hindi Holy Bible

भला, वे तो अविश्वास के कारण तोड़ी गई, परन्तु तू विश्वास से बना रहता है इसलिये अभिमानी न हो, परन्तु भय कर।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

ठीक है, वे अविश्‍वास के कारण काट कर अलग कर दिये गये और तुम विश्‍वास के बल पर अपने स्‍थान पर बने हुए हो। अतएव घमण्‍ड न करो, वरन् सावधान रहो।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

ठीक है, वे तो अविश्‍वास के कारण तोड़ी गईं, परन्तु तू विश्‍वास से बना रहता है इसलिये अभिमानी न हो, परन्तु भय मान,

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सरल हिन्दी बाइबल

ठीक है. किंतु उन्हें तो उनके अविश्वास के कारण अलग किया गया किंतु तुम स्थिर हो अपने विश्वास के कारण. इसके विषय में घमंड न भरते हुए श्रद्धा भाव को स्थान दो.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

भला, वे तो अविश्वास के कारण तोड़ी गईं, परन्तु तू विश्वास से बना रहता है इसलिए अभिमानी न हो, परन्तु भय मान,

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रोमियों 11:20
43 क्रॉस रेफरेंस  

यद्यपि यहोवा महान है, फिर भी वह नम्र मनुष्य की ओर दृष्‍टि करता है; परंतु अहंकारी मनुष्य को दूर से ही पहचानता है।


क्या ही धन्य है वह जो सदा प्रभु का भय मानता है, परंतु जो अपने मन को कठोर करता है वह विपत्ति में पड़ता है।


जो अपने ऊपर भरोसा रखता है, वह मूर्ख है; परंतु जो बुद्धिमानी से चलता है, वह छुटकारा पाएगा।


मैं तुमसे कहता हूँ, यही मनुष्य धर्मी ठहराया जाकर अपने घर गया, न कि वह दूसरा मनुष्य; क्योंकि प्रत्येक जो अपने आपको ऊँचा उठाता है वह नीचा किया जाएगा, परंतु जो अपने आपको दीन करता है वह ऊँचा उठाया जाएगा।”


परंतु जब वे उसका विरोध और निंदा करने लगे तो उसने अपने वस्‍त्र झाड़ते हुए उनसे कहा, “तुम्हारा लहू तुम्हारे सिर पर हो; मैं निर्दोष हूँ। अब से मैं गैरयहूदियों के पास जाऊँगा।”


तो उन डालियों के सामने घमंड न कर; परंतु यदि तू घमंड करता है, तो याद रख कि तू जड़ को नहीं बल्कि जड़ तुझे संभालती है।


क्योंकि यदि परमेश्‍वर ने स्वाभाविक डालियों को नहीं छोड़ा, तो वह तुझे भी नहीं छोड़ेगा।


आपस में एक सा मन रखो, अभिमानी न हो बल्कि दीनों के साथ संगति रखो। अपनी दृष्‍टि में बुद्धिमान न बनो।


मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझे मिला है, तुममें से प्रत्येक से कहता हूँ कि कोई अपने आपको जितना समझना चाहिए उससे बढ़कर न समझे, बल्कि जैसा परमेश्‍वर ने प्रत्येक जन को विश्‍वास के परिमाण के अनुसार दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ समझे।


यदि कुछ लोगों ने विश्‍वास नहीं भी किया तो क्या हुआ? क्या उनका अविश्‍वास परमेश्‍वर की विश्‍वासयोग्यता को व्यर्थ ठहराएगा?


अतः जो सोचता है कि वह स्थिर है, वह सावधान रहे कि कहीं गिर न पड़े।


हे भाइयो, अब मैं तुम्हें उसी सुसमाचार का स्मरण कराता हूँ जिसे मैंने तुम्हें सुनाया और तुमने ग्रहण भी किया था, और जिसमें तुम स्थिर भी हो,


जागृत रहो, विश्‍वास में स्थिर रहो, पुरुषार्थ रखो और बलवंत बनो।


इसका अर्थ यह नहीं कि हम तुम्हारे विश्‍वास पर प्रभुता जताना चाहते हैं, बल्कि हम तुम्हारे आनंद के लिए तुम्हारे सहकर्मी हैं, क्योंकि विश्‍वास ही के द्वारा तुम स्थिर रहते हो।


और परमेश्‍वर के ज्ञान के विरुद्ध उठनेवाले तर्क-वितर्कों और प्रत्येक ऊँची बात का खंडन करते हैं, और प्रत्येक विचार को बंदी बनाकर मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं;


अतः हे मेरे प्रियो, जिस प्रकार तुमने सदैव आज्ञा मानी, उसी प्रकार केवल मेरी उपस्थिति में ही नहीं बल्कि अनुपस्थिति में भी, उससे और भी अधिक डरते और काँपते हुए अपने-अपने उद्धार का कार्य पूरा करो;


तथा उसमें जड़ पकड़ते और उन्‍नत होते जाओ, और जैसे तुम्हें सिखाया गया वैसे ही विश्‍वास में दृढ़ होते हुए अत्यधिक धन्यवाद करते रहो।


जो प्रत्येक तथाकथित ईश्‍वर या आराध्य वस्तु का विरोध करता है और अपने आपको उनसे ऊँचा ठहराता है, यहाँ तक कि वह परमेश्‍वर के मंदिर में बैठकर अपने आपको परमेश्‍वर घोषित करता है।


इस संसार के धनवानों को आज्ञा दे कि वे अहंकारी न बनें और अनिश्‍चित धन पर नहीं बल्कि परमेश्‍वर पर आशा रखें जो हमारे आनंद के लिए सब कुछ बहुतायत से देता है।


हे भाइयो, सावधान रहो, कहीं ऐसा न हो कि तुममें से किसी का मन बुरा और अविश्‍वासी हो और वह तुम्हें जीवित परमेश्‍वर से दूर कर दे।


अतः हम देखते हैं कि अविश्‍वास के कारण वे प्रवेश न कर सके।


इसलिए हम भी उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्‍न करें, कहीं ऐसा न हो कि कोई जन उसी प्रकार आज्ञा न मानने के कारण गिर पड़े।


अतः इसमें कुछ लोगों का प्रवेश करना बाकी है। जिन लोगों को पहले सुसमाचार सुनाया गया था, वे तो आज्ञा न मानने के कारण प्रवेश नहीं कर पाए।


तू विश्‍वास करता है कि परमेश्‍वर एक है; तू अच्छा करता है। दुष्‍टात्माएँ भी विश्‍वास करती हैं और थरथराती हैं।


क्या वह और अधिक अनुग्रह नहीं देता? इस कारण वह कहता है : परमेश्‍वर अभिमानियों का विरोध करता है, परंतु दीनों पर अनुग्रह करता है।


यदि तुम “हे पिता” कहकर उससे प्रार्थना करते हो, जो बिना पक्षपात प्रत्येक का न्याय उसके कार्य के अनुसार करता है, तो तुम पृथ्वी पर अपने रहने का समय भय सहित बिताओ।


मैंने सिलवानुस के द्वारा, जिसे मैं विश्‍वासयोग्य भाई मानता हूँ, तुम्हें उत्साहित करते और यह गवाही देते हुए संक्षेप में लिखा है कि यही परमेश्‍वर का सच्‍चा अनुग्रह है। इसी में स्थिर रहो।


विश्‍वास में दृढ़ होकर उसका सामना करो और यह जान लो कि तुम्हारे भाई जो इस संसार में हैं, इसी प्रकार दुःख सह रहे हैं।


जितनी उसने अपनी बड़ाई की और भोग-विलास किया, उतनी ही उसे पीड़ा और शोक दो। क्योंकि वह अपने मन में कहती है, ‘मैं रानी बनकर बैठी हूँ, मैं विधवा नहीं हूँ; मैं कभी शोक नहीं देखूँगी।’


तू कहता है कि मैं धनवान हूँ और धनी हो गया हूँ, और मुझे किसी भी वस्तु की घटी नहीं है; परंतु तू यह नहीं जानता कि तू अभागा, दयनीय, कंगाल, अंधा और नग्‍न है।