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याकूब 1:14 - नवीन हिंदी बाइबल

परंतु प्रत्येक व्यक्‍ति अपनी ही अभिलाषा द्वारा खिंचकर और फँसकर परीक्षा में पड़ता है;

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पवित्र बाइबल

हर कोई अपनी ही बुरी इच्छाओं के भ्रम में फँसकर परीक्षा में पड़ता है।

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Hindi Holy Bible

परन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंच कर, और फंस कर परीक्षा में पड़ता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

जो प्रलोभन में पड़ता है, वह अपनी ही वासना द्वारा खींचा और बहकाया जाता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

परन्तु प्रत्येक व्यक्‍ति अपनी ही अभिलाषा से खिंचकर और फँसकर परीक्षा में पड़ता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

हर एक व्यक्ति स्वयं अपनी ही अभिलाषा में पड़कर तथा फंसकर परीक्षा में जा पड़ता है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

परन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंचकर, और फँसकर परीक्षा में पड़ता है।

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याकूब 1:14
24 क्रॉस रेफरेंस  

जब स्‍त्री ने देखा कि उस वृक्ष का फल खाने के लिए अच्छा, और आँखों के लिए लुभावना, और बुद्धि प्राप्‍त करने के लिए मनभावना है; तब उसने उसका फल तोड़कर खाया और अपने साथ अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया।


तब यहोवा ने देखा कि पृथ्वी पर मनुष्य की दुष्‍टता बढ़ गई है, और उसके मन का प्रत्येक विचार निरंतर बुरा ही होता है।


तब यहोवा ने मनमोहक सुगंध पाकर अपने मन में कहा, “मैं फिर कभी मनुष्य के कारण भूमि को शाप न दूँगा, यद्यपि मनुष्य के मन में बचपन से जो कुछ उत्पन्‍न होता है वह बुरा ही है। जैसा मैंने प्रत्येक प्राणी को अब नाश किया है, वैसा फिर कभी न करूँगा।


सब से अधिक अपने मन की चौकसी कर, क्योंकि जीवन का सोता उसी में है।


परंतु जो मुँह से बाहर आता है, वह मन से निकलता है और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।


मनुष्य को अशुद्ध करनेवाली बातें ये ही हैं, परंतु बिना हाथ धोएभोजन करना मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता।”


फिर आत्मा यीशु को जंगल में ले गया कि शैतान द्वारा उसकी परीक्षा हो।


परंतु मैं तुमसे कहता हूँ कि जो कोई किसी स्‍त्री को कामुकता से देखता है, वह अपने मन में उससे व्यभिचार कर चुका।


क्योंकि आज्ञा के द्वारा अवसर पाकर पाप ने मुझे बहकाया और उसी के द्वारा मुझे मार भी डाला।


तो क्या वह जो भली है, मेरे लिए मृत्यु का कारण बनी? कदापि नहीं! बल्कि पाप उस भली बात के द्वारा मुझमें मृत्यु उत्पन्‍न‍ करनेवाला हुआ जिससे कि वह पाप के रूप में प्रकट हो जाए और आज्ञा के द्वारा और भी अधिक पापमय ठहरे।


कि तुम पिछले आचरण के पुराने मनुष्यत्व को उतार डालो जो भरमानेवाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्‍ट होता जाता है,


जब तक “आज का दिन” कहलाता है, तब तक एक दूसरे को प्रतिदिन प्रोत्साहित करते रहो, ताकि तुममें से कोई पाप के छलावे में आकर कठोर न हो जाए—


परीक्षा के समय कोई यह न कहे कि मेरी परीक्षा परमेश्‍वर की ओर से की जा रही है; क्योंकि परमेश्‍वर की न तो बुरी बातों से परीक्षा हो सकती है, और न वह स्वयं किसी की परीक्षा करता है।


फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जन्म देती है, और पाप बढ़कर मृत्यु को उत्पन्‍न‍ करता है।