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रोमियों 7:13 - नवीन हिंदी बाइबल

13 तो क्या वह जो भली है, मेरे लिए मृत्यु का कारण बनी? कदापि नहीं! बल्कि पाप उस भली बात के द्वारा मुझमें मृत्यु उत्पन्‍न‍ करनेवाला हुआ जिससे कि वह पाप के रूप में प्रकट हो जाए और आज्ञा के द्वारा और भी अधिक पापमय ठहरे।

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पवित्र बाइबल

13 तो फिर क्या इसका यह अर्थ है कि जो उत्तम है, वही मेरी मृत्यु का कारण बना? निश्चय ही नहीं। बल्कि पाप उस उत्तम के द्वारा मेरे लिए मृत्यु का इसलिए कारण बना कि पाप को पहचाना जा सके। और व्यवस्था के विधान के द्वारा उसकी भयानक पापपूर्णता दिखाई जा सके।

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Hindi Holy Bible

13 तो क्या वह जो अच्छी थी, मेरे लिये मृत्यु ठहरी? कदापि नहीं! परन्तु पाप उस अच्छी वस्तु के द्वारा मेरे लिये मृत्यु का उत्पन्न करने वाला हुआ कि उसका पाप होना प्रगट हो, और आज्ञा के द्वारा पाप बहुत ही पापमय ठहरे।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

13 तो, जो बात कल्‍याणकारी थी, क्‍या वह मेरे लिए मृत्‍यु का कारण बनी? कदापि नहीं! किन्‍तु जो बात कल्‍याणकारी थी, उसी के द्वारा पाप मेरे लिए मृत्‍यु का कारण बना। इस प्रकार पाप का वास्‍तविक स्‍वरूप प्रकट हो गया और वह आज्ञा के माध्‍यम से बहुत अधिक पापमय प्रमाणित हुआ।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

13 तो क्या वह जो अच्छी थी, मेरे लिये मृत्यु ठहरी? कदापि नहीं! परन्तु पाप उस अच्छी वस्तु के द्वारा मेरे लिये मृत्यु का उत्पन्न करनेवाला हुआ कि उसका पाप होना प्रगट हो, और आज्ञा के द्वारा पाप बहुत ही पापमय ठहरे।

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सरल हिन्दी बाइबल

13 तब, क्या वह, जो भला है, मेरे लिए मृत्यु का कारण हो गया? नहीं! बिलकुल नहीं! भलाई के द्वारा पाप ने मुझमें मृत्यु उत्पन्‍न कर दी कि पाप को पाप ही के रूप में प्रदर्शित किया जाए तथा आज्ञा के द्वारा यह बहुत ही पापमय हो जाए.

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रोमियों 7:13
7 क्रॉस रेफरेंस  

तब वे भय और बड़े आनंद के साथ शीघ्र कब्र से लौटीं और उसके शिष्यों को समाचार देने के लिए दौड़ीं।


वह आएगा और उन किसानों का नाश करेगा, और अंगूर का बगीचा दूसरों को दे देगा।” यह सुनकर उन्होंने कहा, “ऐसा कभी न हो।”


इसी बीच व्यवस्था आई कि अपराध बढ़े, परंतु जहाँ पाप बढ़ा वहाँ अनुग्रह उससे कहीं अधिक हुआ,


जो कार्य शरीर के दुर्बल होने के कारण व्यवस्था से असंभव था, उसे परमेश्‍वर ने किया अर्थात् अपने पुत्र को पापमय शरीर की समानता में और पापबलि होने के लिए भेजकर शरीर में पाप को दोषी ठहराया,


तो क्या व्यवस्था परमेश्‍वर की प्रतिज्ञाओं के विरुद्ध है? कदापि नहीं! क्योंकि यदि ऐसी व्यवस्था दी गई होती जो जीवन प्रदान कर सकती थी तो वास्तव में धार्मिकता व्यवस्था से होती।


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