याह की स्तुति करो! अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है; उसकी स्तुति करना मनभावना और उचित है।
भजन संहिता 50:14 - नवीन हिंदी बाइबल परमेश्वर को धन्यवाद का बलिदान चढ़ा, और परमप्रधान के लिए अपनी मन्नतें पूरी कर। पवित्र बाइबल सचमुच जिस बलि की परमेश्वर को अपेक्षा है, वह तुम्हारी स्तुति है। तुम्हारी मनौतियाँ उसकी सेवा की हैं। सो परमेश्वर को निज धन्यवाद की भेटें चढ़ाओ। उस सर्वोच्च से जो मनौतियाँ की हैं उसे पूरा करो। Hindi Holy Bible परमेश्वर को धन्यवाद ही का बलिदान चढ़ा, और परमप्रधान के लिये अपनी मन्नतें पूरी कर; पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मुझे-अपने परमेश्वर को ‘स्तुति बलि’ चढ़ा; और सर्वोच्च प्रभु के लिए अपने व्रत पूर्ण कर। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) परमेश्वर को धन्यवाद ही का बलिदान चढ़ा, और परमप्रधान के लिये अपनी मन्नतें पूरी कर; सरल हिन्दी बाइबल “परमेश्वर को धन्यवाद का बलि अर्पित करो, सर्वोच्च परमेश्वर के लिए अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण करो, इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 परमेश्वर को धन्यवाद ही का बलिदान चढ़ा, और परमप्रधान के लिये अपनी मन्नतें पूरी कर; (इब्रा. 13:15, सभो. 5:4,5) |
याह की स्तुति करो! अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है; उसकी स्तुति करना मनभावना और उचित है।
तेरे ही कारण मैं बड़ी सभा में स्तुति करूँगा। मैं अपनी मन्नतों को उनके सामने पूरा करूँगा, जो उसका भय मानते हैं।
दीन लोग भोजन करके तृप्त होंगे; जो यहोवा के खोजी हैं, वे उसकी स्तुति करेंगे। तुम्हारे हृदय सदा प्रफुल्लित रहें।
तब मेरा सिर मेरे चारों ओर के शत्रुओं से ऊँचा होगा, और मैं यहोवा के तंबू में जय जयकार के साथ बलिदान चढ़ाऊँगा। मैं यहोवा का गीत गाऊँगा और उसका स्तुतिगान करूँगा।
जो धन्यवाद का बलिदान चढ़ाता है वह मेरी महिमा करता है, और जो अपना मार्ग सीधा बनाए रखता है, उसे मैं परमेश्वर का किया हुआ उद्धार दिखाऊँगा।”
हे परमेश्वर, जो मन्नतें मैंने तेरे सामने मानी हैं उनसे मैं बंधा हुआ हूँ। मैं तुझे धन्यवाद का बलिदान चढ़ाऊँगा,
हे परमेश्वर, सिय्योन में स्तुति तेरी प्रतीक्षा करती है; और तेरे लिए मन्नतें पूरी की जाएँगी।
अपने परमेश्वर यहोवा के सामने मन्नतें मानो और उन्हें पूरी भी करो; वह जो भय के योग्य है, उसके आस-पास के सब लोग उसके लिए भेंट लाएँ।
अतः हे भाइयो, परमेश्वर की दया स्मरण दिलाकर मैं तुमसे आग्रह करता हूँ कि अपने शरीरों को जीवित, पवित्र और परमेश्वर को भावते हुए बलिदान के रूप में अर्पित करो, यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।
अतः हम उसके द्वारा परमेश्वर को स्तुति रूपी बलिदान निरंतर चढ़ाते रहें, अर्थात् उन होंठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं।
तुम भी स्वयं जीवित पत्थरों के समान आत्मिक घर बनते जाते हो कि याजकों का पवित्र समाज बनकर ऐसे आत्मिक बलिदानों को चढ़ाओ जो यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर को ग्रहणयोग्य हों।
परंतु तुम एक चुना हुआ वंश, राजकीय याजकों का समाज, पवित्र लोग, और परमेश्वर की निज प्रजा हो, ताकि तुम उसके सद्गुणों को प्रकट करो, जिसने तुम्हें अंधकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है।