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रोमियों 12:1 - नवीन हिंदी बाइबल

1 अतः हे भाइयो, परमेश्‍वर की दया स्मरण दिलाकर मैं तुमसे आग्रह करता हूँ कि अपने शरीरों को जीवित, पवित्र और परमेश्‍वर को भावते हुए बलिदान के रूप में अर्पित करो, यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।

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पवित्र बाइबल

1 इसलिए हे भाइयो परमेश्वर की दया का स्मरण दिलाकर मैं तुमसे आग्रह करता हूँ कि अपने जीवन एक जीवित बलिदान के रूप में परमेश्वर को प्रसन्न करते हुए अर्पित कर दो। यह तुम्हारी आध्यात्मिक उपासना है जिसे तुम्हें उसे चुकाना है।

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Hindi Holy Bible

1 इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

1 अत:, भाइयो और बहिनो! मैं परमेश्‍वर की दया के नाम पर अनुरोध करता हूँ कि आप जीवन्‍त, पवित्र तथा सुग्राह्य बलि के रूप में अपने को परमेश्‍वर के प्रति अर्पित करें; यही आपकी आत्‍मिक उपासना है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

1 इसलिये हे भाइयो, मैं तुम से परमेश्‍वर की दया स्मरण दिला कर विनती करता हूँ कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्‍वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ। यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।

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सरल हिन्दी बाइबल

1 प्रिय भाई बहिनो, परमेश्वर की बड़ी दया के प्रकाश में तुम सबसे मेरी विनती है कि तुम अपने शरीर को परमेश्वर के लिए परमेश्वर को भानेवाला जीवन तथा पवित्र बलि के रूप में भेंट करो. यही तुम्हारी आत्मिक आराधना की विधि है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

1 इसलिए हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिलाकर विनती करता हूँ, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ; यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।

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रोमियों 12:1
49 क्रॉस रेफरेंस  

यहोवा ने मुझ पर जितने उपकार किए हैं, उनके बदले मैं उसे क्या दूँ?


मेरे मुँह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तुझे ग्रहणयोग्य हों, हे यहोवा, मेरी चट्टान और मेरे उद्धारकर्ता!


इस कारण मैं तुझसे कहता हूँ, कि यह बहुत प्रेम रखती है क्योंकि इसके पाप जो बहुत थे, क्षमा हो गए हैं; परंतु जिसके थोड़े क्षमा हुए हैं, वह थोड़ा प्रेम रखता है।”


इस संसार के सदृश्य न बनो, बल्कि अपने मन के नए हो जाने के द्वारा तुम परिवर्तित होते जाओ, जिससे तुम परमेश्‍वर की इच्छा को पहचान सको, जो भली, ग्रहणयोग्य और सिद्ध है।


कि मैं गैरयहूदियों के लिए मसीह यीशु का सेवक बनूँ और परमेश्‍वर के सुसमाचार की सेवा याजक के रूप में करूँ, ताकि गैरयहूदी रूपी मेरी भेंट पवित्र आत्मा के द्वारा पवित्र होकर ग्रहणयोग्य हो।


अब हे भाइयो, हमारे प्रभु यीशु मसीह के और आत्मा के प्रेम के द्वारा मैं तुमसे विनती करता हूँ कि तुम मेरे लिए परमेश्‍वर से प्रार्थना करने में मेरे साथ प्रयत्‍नशील रहो,


अथवा क्या तू यह नहीं समझता कि परमेश्‍वर की कृपा तुझे पश्‍चात्ताप की ओर ले जाती है? और क्या तू उसकी कृपा और सहनशीलता और धैर्य के धन को तुच्छ जानता है?


और अपने अंगों को अधर्म के हथियार होने के लिए पाप को सौंप दो, बल्कि तुम अपने आपको मृतकों में से जीवित जानकर अपने अंगों को धार्मिकता के हथियार होने के लिए परमेश्‍वर को सौंप दो।


क्या तुम नहीं जानते कि जिसकी आज्ञा मानने के लिए तुम अपने आपको दासों के समान सौंप देते हो, तो तुम उसी के दास बन जाते हो जिसकी तुम आज्ञा मानते हो—चाहे पाप के जिसका परिणाम मृत्यु है, या आज्ञाकारिता के जिसका परिणाम धार्मिकता है?


तुम्हारी शारीरिक दुर्बलता के कारण मैं मानवीय रीति से कह रहा हूँ। जिस प्रकार तुमने अपने अंगों को अशुद्धता और अधर्म के दास होने के लिए सौंप दिया था और उसके परिणामस्वरूप और अधिक अधर्म हुआ; उसी प्रकार अब तुम अपने अंगों को धार्मिकता के दास होने के लिए सौंप दो जिसका परिणाम पवित्रता हो।


ताकि अपनी महिमा का धन दया के उन पात्रों पर प्रकट करे, जिन्हें उसने महिमा के लिए पहले से तैयार किया था


हे भाइयो, हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से मैं तुमसे विनती करता हूँ कि तुम सब एक ही बात कहो, और तुममें फूट न हो, परंतु तुम एक ही मन और एक ही विचार में होकर मिले रहो।


अब मैं, पौलुस, जो तुम्हारे बीच होने पर तो दीन परंतु न होने पर तुम्हारे प्रति साहसी हूँ, स्वयं मसीह की नम्रता और कोमलता में तुमसे आग्रह करता हूँ।


इसलिए जब हम पर ऐसी दया हुई कि हमें यह सेवा मिली, तो हम निराश नहीं होते।


इसलिए हम निराश नहीं होते। यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नष्‍ट होता जाता है, फिर भी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन-प्रतिदिन नया होता जाता है।


इसलिए हम मसीह के राजदूत हैं और परमेश्‍वर हमारे द्वारा समझाता है; हम मसीह की ओर से विनती करते हैं कि तुम परमेश्‍वर से मेल-मिलाप कर लो।


हम परमेश्‍वर के सहकर्मी होने के नाते यह आग्रह भी करते हैं कि तुम पर जो परमेश्‍वर का अनुग्रह हुआ, उसे व्यर्थ न जाने दो।


इसलिए, मैं जो प्रभु में बंदी हूँ, तुमसे आग्रह करता हूँ कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए हो, उसके योग्य चाल चलो,


और यह परखो कि प्रभु किस बात से प्रसन्‍न होता है।


मेरी हार्दिक इच्छा और आशा यही है कि मैं किसी भी बात में लज्‍जित न होऊँ बल्कि जैसे मसीह की महिमा मेरी देह से पूरे साहस के साथ सदा होती रही है वैसे ही अब भी हो, चाहे मैं जीवित रहूँ या मर जाऊँ।


और चाहे मैं तुम्हारे विश्‍वास के बलिदान और सेवाकार्य पर अर्घ-स्वरूप उंडेला भी जाता हूँ, तो भी मैं आनंदित हूँ और तुम सब के साथ आनंद मनाता हूँ।


मेरे पास सब कुछ है और बहुतायत से है। इपफ्रुदीतुस के द्वारा जो वस्तुएँ तुमने भेजी थीं उन्हें पाकर मैं तृप्‍त हो गया हूँ; वे तो मनमोहक सुगंध और ग्रहणयोग्य बलिदान हैं जिनसे परमेश्‍वर प्रसन्‍न होता है।


इसलिए, अब हे भाइयो, हम प्रभु यीशु में तुमसे विनती करते और तुम्हें प्रोत्साहित करते हैं कि जैसे तुमने हमसे योग्य चाल चलना और परमेश्‍वर को प्रसन्‍न करना सीखा है—और जैसे तुम चलते भी हो—वैसे ही इनमें और अधिक बढ़ते जाओ।


और तुम वास्तव में समस्त मकिदुनिया के सब भाइयों के साथ ऐसा ही प्रेम रखते हो। परंतु हे भाइयो, हम तुम्हें प्रोत्साहित करते हैं कि इसमें और अधिक बढ़ते जाओ,


अब हे भाइयो, हम तुमसे विनती करते हैं कि जो तुम्हारे बीच परिश्रम करते हैं, और प्रभु में तुम्हारे ऊपर अधिकारी हैं तथा तुम्हें शिक्षा देते हैं, उनका सम्मान करो;


यह हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर की दृष्‍टि में अच्छा और ग्रहणयोग्य है,


यदि किसी विधवा के बच्‍चे या नाती-पोते हों, तो वे पहले अपने परिवार में भक्‍ति का व्यवहार करना और अपने माता-पिता के उपकारों का बदला चुकाना सीखें; क्योंकि परमेश्‍वर की दृष्‍टि में यह ग्रहणयोग्य है।


मैं तुझसे अपने बच्‍चे उनेसिमुस के लिए विनती करता हूँ जिसको मैंने कारावास में जन्म दिया।


फिर भी मैं प्रेम के कारण विनती करता हूँ। मैं पौलुस जो इतना बूढ़ा हूँ, और अब मसीह यीशु के लिए बंदी भी हूँ,


हे भाइयो, मैं तुमसे आग्रह करता हूँ कि इस उपदेश के वचन को धीरज से सुनो, क्योंकि मैंने तुम्हें बहुत ही संक्षेप में लिखा है।


यदि तुम पाप करके मार खाते और फिर उसे सह लेते हो तो इसमें क्या बड़ाई? परंतु यदि तुम भले कार्य करके दुःख उठाते और उसे सह लेते हो, तो यह परमेश्‍वर की दृष्‍टि में प्रशंसनीय है।


तुम भी स्वयं जीवित पत्थरों के समान आत्मिक घर बनते जाते हो कि याजकों का पवित्र समाज बनकर ऐसे आत्मिक बलिदानों को चढ़ाओ जो यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर को ग्रहणयोग्य हों।


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