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प्रकाशितवाक्य 8:5 - नवीन हिंदी बाइबल

तब स्वर्गदूत ने धूपदान लेकर उसमें वेदी की आग भरी और उसे पृथ्वी पर फेंक दी; इस पर गर्जन, गड़गड़ाहट, बिजलियों की चमक और भूकंप हुआ।

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पवित्र बाइबल

इसके बाद स्वर्गदूत ने उस धूपदान को उठाया, उसे वेदी की आग से भरा और उछाल कर धरती पर फेंक दिया। इस पर मेघों का गर्जन-तर्जन, भीषण शब्द, बिजली की चमक और भूकम्प होने लगे।

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Hindi Holy Bible

और स्वर्गदूत ने धूपदान ले कर उस में वेदी की आग भरी, और पृथ्वी पर डाल दी, और गर्जन और शब्द और बिजलियां और भूईंडोल होने लगा॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

इसके बाद स्‍वर्गदूत ने धूपदान ले कर उसे वेदी की आग से भरा और पृथ्‍वी पर फेंक दिया। इस पर मेघगर्जन, वाणियाँ और बिजलियाँ उत्‍पन्न हुई और भूकम्‍प हुआ।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

तब स्वर्गदूत ने धूपदान लेकर उसमें वेदी की आग भरी और पृथ्वी पर डाल दी; और गर्जन और शब्द और बिजलियाँ और भूकम्प होने लगे।

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सरल हिन्दी बाइबल

तब स्वर्गदूत ने धूपदान लिया, उसे वेदी की आग से भरकर पृथ्वी पर फेंक दिया, जिससे बादलों की गर्जन, गड़गड़ाहट तथा बिजलियां कौंध उठीं और भूकंप आ गया.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तब स्वर्गदूत ने धूपदान लेकर उसमें वेदी की आग भरी, और पृथ्वी पर डाल दी, और गर्जन और शब्द और बिजलियाँ और भूकम्प होने लगे। (प्रका. 4:5)

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प्रकाशितवाक्य 8:5
24 क्रॉस रेफरेंस  

तब यहोवा आकाश में गरजा, और परमप्रधान ने अपनी वाणी सुनाई।


फिर तीसरे दिन भोर को ही बादल गरजने और बिजली चमकने लगी, पर्वत पर काली घटा छा गई, और तुरही का भारी शब्द सुनाई दिया, जिससे छावनी के सब लोग काँप उठे।


फिर वह उस वेदी से जो यहोवा के सम्मुख है जलते हुए कोयलों से भरा हुआ धूपदान ले तथा दो मुट्ठी पिसा हुआ सुगंधित धूप ले, और फिर उन्हें लेकर परदे के भीतर आए।


जाति, जाति के विरुद्ध और राज्य, राज्य के विरुद्ध उठ खड़े होंगे; स्थान-स्थान पर अकाल पड़ेंगेऔर भूकंप आएँगे।


“मैं पृथ्वी पर आग लगाने आया हूँ, और मेरी बड़ी इच्छा थी कि आग सुलग गई होती।


तभी अचानक एक बड़ा भूकंप आया जिससे बंदीगृह की नींवें हिल गईं और तुरंत सब द्वार खुल गए और सब के बंधन खुल गए।


जब वे प्रार्थना कर चुके तो जिस स्थान पर वे इकट्ठे थे, वह हिल गया, और वे सब पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गए, और साहस के साथ परमेश्‍वर का वचन सुनाने लगे।


उसी समय एक बड़ा भूकंप हुआ, और नगर का दसवाँ भाग गिर पड़ा। उस भूकंप में सात हज़ार लोग मारे गए, और बाकी लोगों ने भयभीत होकर स्वर्ग के परमेश्‍वर की महिमा की।


तब परमेश्‍वर का मंदिर जो स्वर्ग में है, खोला गया। उसके मंदिर में उसकी वाचा का संदूक दिखाई दिया, और वहाँ बिजलियाँ चमकीं, गड़गड़ाहट और गर्जन हुए तथा भूकंप हुआ, और भारी ओलावृष्‍टि हुई।


उस सिंहासन में से बिजलियाँ, गर्जन और बादल की गड़गड़ाहट निकल रही थीं, और सिंहासन के सामने आग के सात दीपक जल रहे थे, जो परमेश्‍वर की सात आत्माएँ हैं।


फिर उसने छठी मुहर खोली, तब मैंने देखा कि एक बड़ा भूकंप हुआ और सूर्य ऐसा काला हो गया मानो बालों से बना टाट हो, और पूरा चंद्रमा लहू के समान लाल हो गया;


फिर एक और स्वर्गदूत सोने का धूपदान लिए हुए आया और वेदी के पास खड़ा हो गया, और उसे बहुत सा धूप दिया गया कि वह उसे सब पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं के साथ सोने की उस वेदी पर जो सिंहासन के सामने है, चढ़ाए।