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प्रकाशितवाक्य 13:6 - नवीन हिंदी बाइबल

उसने परमेश्‍वर की निंदा करने के लिए अपना मुँह खोला कि उसके नाम और उसके निवासस्थान, अर्थात् स्वर्ग में रहनेवालों की निंदा करे।

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पवित्र बाइबल

सो उसने परमेश्वर की निन्दा करना आरम्भ कर दिया। वह परमेश्वर के नाम और उसके मन्दिर तथा जो स्वर्ग में रहते हैं, उनकी निन्दा करने लगा।

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Hindi Holy Bible

और उस ने परमेश्वर की निन्दा करने के लिये मुंह खोला, कि उसके नाम और उसके तम्बू अर्थात स्वर्ग के रहने वालों की निन्दा करे।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

इस पर वह परमेश्‍वर का अपमान करने और उसके नाम, उसके निवास-स्‍थान और उन लोगों की निन्‍दा करने लगा, जो स्‍वर्ग में निवास करते हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

उसने परमेश्‍वर की निन्दा करने के लिये मुँह खोला कि उसके नाम और उसके तम्बू अर्थात् स्वर्ग के रहनेवालों की निन्दा करे।

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सरल हिन्दी बाइबल

पशु ने परमेश्वर, उनके नाम तथा उनके निवास अर्थात् स्वर्ग और उन सब की, जो स्वर्ग में रहते हैं, निंदा करना शुरू कर दिया.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

और उसने परमेश्वर की निन्दा करने के लिये मुँह खोला, कि उसके नाम और उसके तम्बू अर्थात् स्वर्ग के रहनेवालों की निन्दा करे।

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प्रकाशितवाक्य 13:6
26 क्रॉस रेफरेंस  

उन्होंने अपना मुँह स्वर्ग के विरुद्ध खोला है, और उनकी जीभ पृथ्वी पर अकड़कर चलती है।


हे साँप के बच्‍चो, तुम बुरे होकर अच्छी बातें कैसे कह सकते हो? क्योंकि जो मन में भरा है वही मुँह पर आता है।


क्योंकि मन से बुरे बुरे विचार, हत्या, परस्‍त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही और निंदा निकलती हैं।


वचन देहधारी हुआ और हमारे बीच में डेरा किया। हमने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा। वह अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण था।


उनका गला खुली हुई कब्र है, वे अपनी जीभ से धोखा देते हैं, उनके होंठों पर साँपों का विष है।


क्योंकि पिता इससे प्रसन्‍न हुआ कि उसकी सारी परिपूर्णता उसमें वास करे,


क्योंकि उसी में परमेश्‍वरत्व की सारी परिपूर्णता सदेह वास करती है


एक तंबू बनाया गया, जिसके बाहरी भाग में जो पवित्र स्थान कहलाता था, दीवट, मेज़ और भेंट की रोटियाँ होती थीं।


क्योंकि मसीह ने हाथों से बने उस पवित्र स्थान में, जो सच्‍चे पवित्र स्थान का प्रतिरूप है, प्रवेश नहीं किया, बल्कि स्वर्ग में ही प्रवेश किया कि अब हमारे लिए परमेश्‍वर के सामने प्रकट हो।


तब उन्हें स्वर्ग में से एक ऊँची आवाज़ यह कहते हुए सुनाई दी, “यहाँ ऊपर आओ,” और वे अपने शत्रुओं के देखते-देखते बादल पर सवार होकर स्वर्ग को चले गए।


इसलिए हे स्वर्ग और उसमें रहनेवालो, आनंद मनाओ! परंतु पृथ्वी और समुद्र, तुम पर हाय! क्योंकि शैतान यह जानते हुए कि उसके पास थोड़ा ही समय है, अत्यंत क्रोधित होकर तुम्हारे पास उतर आया है।


इन बातों के बाद मैंने देखा कि स्वर्ग में साक्षी का तंबू अर्थात् मंदिर खोला गया,


हे स्वर्ग! हे पवित्र लोगो, प्रेरितो और भविष्यवक्‍ताओ! उसके कारण आनंद मनाओ, क्योंकि परमेश्‍वर ने तुम्हारा न्याय किया है और उसके विरुद्ध निर्णय दिया है।”


तब मैंने सिंहासन से एक ऊँची आवाज़ को यह कहते हुए सुना, “देख! परमेश्‍वर का निवासस्थान मनुष्यों के साथ है, और वह उन्हीं के साथ वास करेगा, और वे उसके लोग होंगे और परमेश्‍वर स्वयं उनके साथ रहेगा और उनका परमेश्‍वर होगा।


इन बातों के बाद मैंने दृष्‍टि की, और देखो, स्वर्ग में एक द्वार खुला हुआ था, और जिस आवाज़ को मैंने पहले तुरही के स्वर के समान अपने साथ बातें करते हुए सुना था, उसने कहा, “यहाँ ऊपर आ, और मैं तुझे उन बातों को दिखाऊँगा, जिनका इन बातों के बाद होना अवश्य है।”


उस सिंहासन के चारों ओर चौबीस सिंहासन थे, और उन सिंहासनों पर चौबीस प्रवर श्‍वेत वस्‍त्र पहने हुए बैठे थे, और उनके सिरों पर सोने के मुकुट थे।


फिर मैंने स्वर्ग में, और पृथ्वी पर, और पृथ्वी के नीचे, और समुद्र में, प्रत्येक प्राणी को अर्थात् उनमें के सब प्राणियों को यह कहते हुए सुना : जो सिंहासन पर विराजमान है उसकी और मेमने की प्रशंसा, आदर, महिमा और पराक्रम युगानुयुग रहे।


इसी कारण वे परमेश्‍वर के सिंहासन के सामने हैं, और उसके मंदिर में दिन और रात उसकी सेवा करते हैं, और वह जो सिंहासन पर विराजमान है, उन्हें अपनी शरण में ले लेगा।


इन बातों के बाद मैंने दृष्‍टि की, और देखो, प्रत्येक जाति, कुल, राष्‍‍ट्र और भाषा बोलनेवालों की एक बड़ी भीड़, जिसे कोई गिन नहीं सकता था, श्‍वेत वस्‍त्र पहने और अपने हाथों में खजूर की डालियाँ लिए हुए सिंहासन और मेमने के सामने खड़ी थी।