इसहाक एसाव से प्रीति रखता था क्योंकि उसे उसके शिकार का मांस खाना पसंद था, पर रिबका याकूब से प्रीति रखती थी।
उत्पत्ति 27:14 - नवीन हिंदी बाइबल तब याकूब गया और उन्हें अपनी माता के पास ले आया, और उसकी माता ने उसके पिता की पसंद का स्वादिष्ट भोजन तैयार किया। पवित्र बाइबल इसलिए याकूब बाहर गया और उसने दो बकरियों को पकड़ा और अपनी माँ के पास लाया। उसकी माँ ने इसहाक की पसंद के अनुसार विशेष ढंग से उन्हें पकाया। Hindi Holy Bible तब याकूब जा कर उन को अपनी माता के पास ले आया, और माता ने उसके पिता की रूचि के अनुसार स्वादिष्ट भोजन बना दिया। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) अत: वह गया और बकरी के दो बच्चे लेकर अपनी माँ के पास आया। उसकी माँ ने उसके पिता की रुचि के अनुसार स्वादिष्ट भोजन पकाया। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब याक़ूब जाकर उनको अपनी माता के पास ले आया, और माता ने उसके पिता की रुचि के अनुसार स्वादिष्ट भोजन बना दिया। सरल हिन्दी बाइबल इसलिये याकोब जाकर उनको लाया और अपनी मां को दे दिया, और उसने याकोब के पिता की पसंद के अनुसार स्वादिष्ट भोजन तैयार किया. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब याकूब जाकर उनको अपनी माता के पास ले आया, और माता ने उसके पिता की रूचि के अनुसार स्वादिष्ट भोजन बना दिया। |
इसहाक एसाव से प्रीति रखता था क्योंकि उसे उसके शिकार का मांस खाना पसंद था, पर रिबका याकूब से प्रीति रखती थी।
परंतु उसकी माता ने उससे कहा, “हे मेरे पुत्र, तेरा शाप मुझ ही पर पड़े, बस मेरी बात मान, और जाकर उन्हें मेरे पास ले आ।”
तब रिबका ने अपने बड़े पुत्र एसाव के अच्छे से अच्छे वस्त्र लिए, जो उसके पास घर में थे, और अपने छोटे पुत्र याकूब को पहना दिए;
तब उसने वह स्वादिष्ट भोजन और रोटी भी जो उसने बनाई थी, अपने पुत्र याकूब के हाथ में दे दी।
तब वह भी स्वादिष्ट भोजन बनाकर अपने पिता के पास ले आया, और उससे कहा, “हे मेरे पिता, उठ और तेरे पुत्र ने जो शिकार किया है उसका मांस खा तथा मुझे जी भरके आशीर्वाद दे।”
तब मेरी पसंद का स्वादिष्ट भोजन बनाकर मेरे पास ले आ कि मैं उसे खाऊँ और मरने से पहले तुझे जी भरके आशीर्वाद दूँ।”
‘मेरे लिए शिकार करके ले आ, और उसका स्वादिष्ट भोजन तैयार कर कि मैं उसे खाऊँ और मरने से पहले यहोवा की उपस्थिति में तुझे आशीर्वाद दूँ।’
बाड़े में जाकर बकरियों के दो अच्छे-अच्छे बच्चे मेरे पास ले आ; और मैं उनसे तेरे पिता के लिए उसकी पसंद का स्वादिष्ट भोजन बनाऊँगी।
मेरे मन को किसी बुरी बात की ओर फिरने न दे; मैं अनर्थकारियों के साथ दुष्टता के कार्यों में न लगूँ, और न मैं उनके स्वादिष्ट व्यंजनों में से कुछ खाऊँ।
“तुम अपने विषय में सावधान रहो, कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारे मन दुराचार, मतवालेपन और जीवन की चिंताओं के भार से दब जाएँ, और वह दिन अचानक फंदे के समान तुम पर आ पड़े।