अब्राम ने सदोम के राजा से कहा, “मैंने परमप्रधान परमेश्वर यहोवा की, जो आकाश और पृथ्वी का सृष्टिकर्ता है, यह शपथ ली है,
उत्पत्ति 25:33 - नवीन हिंदी बाइबल तब याकूब ने कहा, “पहले मुझसे शपथ खा।” इसलिए उसने शपथ खाई और अपने पहलौठे होने का अधिकार याकूब को बेच दिया। पवित्र बाइबल किन्तु याकूब ने कहा, “पहले वचन दो कि तुम यह मुझे दोगे।” इसलिए एसाव ने याकूब को वचन दिया। एसाव ने अपने पिता के धन का अपना हिस्सा यकूब को बेच दिया। Hindi Holy Bible याकूब ने कहा, मुझ से अभी शपथ खा: सो उसने उससे शपथ खाई: और अपना पहिलौठे का अधिकार याकूब के हाथ बेच डाला। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) याकूब बोला, ‘पहले मुझसे शपथ खाओ।’ अत: एसाव ने उससे शपथ खाई, और उसे अपने ज्येष्ठ होने का अधिकार बेच दिया। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) याक़ूब ने कहा, “मुझ से अभी शपथ खा,” अत: उसने उससे शपथ खाई, और अपना पहिलौठे का अधिकार याक़ूब के हाथ बेच डाला। सरल हिन्दी बाइबल पर याकोब ने कहा, “तो पहले आप मुझसे शपथ खाईये.” तब एसाव ने शपथ खाकर अपने पहलौठे का अधिकार याकोब के हाथ बेच दिया. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 याकूब ने कहा, “मुझसे अभी शपथ खा,” अतः उसने उससे शपथ खाई, और अपना पहलौठे का अधिकार याकूब के हाथ बेच डाला। |
अब्राम ने सदोम के राजा से कहा, “मैंने परमप्रधान परमेश्वर यहोवा की, जो आकाश और पृथ्वी का सृष्टिकर्ता है, यह शपथ ली है,
और मुझसे आकाश और पृथ्वी के परमेश्वर यहोवा की शपथ खा कि जिन कनानियों के मध्य मैं रहता हूँ, तू उनकी बेटियों में से किसी को मेरे बेटे की पत्नी होने के लिए नहीं चुनेगा।
याकूब ने एसाव को रोटी और मसूर की दाल दी; उसने खाया-पिया, और उठकर चला गया। इस प्रकार एसाव ने अपने पहलौठे के अधिकार को तुच्छ जाना।
जब इसहाक बूढ़ा हो गया, और उसकी आँखें इतनी धुंधली हो गईं कि वह देख भी नहीं सकता था, तब उसने अपने बड़े पुत्र एसाव को बुलाकर कहा, “हे मेरे पुत्र,” उसने कहा, “क्या आज्ञा।”
उसके पिता इसहाक ने उससे पूछा, “तू कौन है?” उसने कहा, “मैं तेरा पुत्र, तेरा पहलौठा एसाव हूँ।”
एसाव ने कहा, “उसका नाम याकूब ठीक ही रखा गया था। उसने मुझे दो बार धोखा दिया है। मेरे पहलौठे होने का अधिकार तो उसने ले ही लिया था, और देख, अब मेरा आशीर्वाद भी छीन लिया है।” तब उसने पूछा, “क्या तूने मेरे लिए कोई भी आशीर्वाद नहीं रख छोड़ा है?”
और उसने बार-बार शपथ खाकर उससे कहा, “तू जो भी मुझसे माँगेगी, चाहे वह मेरा आधा राज्य तक भी क्यों न हो, मैं तुझे दे दूँगा।”
ऐसा न हो कि तुममें से कोई व्यभिचारी या एसाव के समान भक्तिहीन हो, जिसने एक बार के भोजन के लिए अपने पहलौठे होने का अधिकार बेच डाला था।
मनुष्य तो अपने से किसी बड़े की शपथ खाते हैं, और शपथ से वह बात पक्की होकर उनके हर विवाद का अंत कर देती है।