उत्पत्ति 25 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)अब्राहम के अन्य वंशज ( 1 इति 1:32 , 33 ) 1 तब अब्राहम ने एक और पत्नी ब्याह ली जिसका नाम कतूरा था। 2 उससे जिम्रान, योक्षान, मदना, मिद्यान, यिशबाक, और शूह उत्पन्न हुए। 3 योक्षान से शबा और ददान उत्पन्न हुए; और ददान के वंश में अश्शूरी, लतूशी, और लुम्मी लोग हुए। 4 मिद्यान के पुत्र एपा, एपेर, हनोक, अबीदा, और एल्दा हुए, ये सब कतूरा की सन्तान हुए। 5 इसहाक को तो अब्राहम ने अपना सब कुछ दिया। 6 पर अपनी रखेलियों के पुत्रों को कुछ कुछ देकर अपने जीते जी अपने पुत्र इसहाक के पास से पूरब देश में भेज दिया। अब्राहम की मृत्यु 7 अब्राहम की सारी आयु एक सौ पचहत्तर वर्ष की हुई। 8 अब्राहम का दीर्घायु होने के कारण अर्थात् पूरे बुढ़ापे की अवस्था में प्राण छूट गया, और वह अपने लोगों में जा मिला। 9 उसके पुत्र इसहाक और इश्माएल ने, हित्ती सोहर के पुत्र एप्रोन की मम्रे के सम्मुखवाली भूमि में, जो मकपेला की गुफ़ा थी, उसको मिट्टी दी; 10 अर्थात् जो भूमि अब्राहम ने हित्तियों से मोल ली थी; उसी में अब्राहम और उस की पत्नी सारा दोनों को मिट्टी दी गई। 11 अब्राहम के मरने के पश्चात् परमेश्वर ने उसके पुत्र इसहाक को जो लहैरोई नामक कुएँ के पास रहता था, आशीष दी। इश्माएल की वंशावली ( 1 इति 1:28–31 ) 12 अब्राहम का पुत्र इश्माएल जो सारा की मिस्री दासी हाजिरा से उत्पन्न हुआ था, उसकी यह वंशावली है। 13 इश्माएल के पुत्रों के नाम और वंशावली यह है : अर्थात् इश्माएल का जेठा पुत्र नबायोत, फिर केदार, अद्बेल, मिबसाम, 14 मिश्मा, दूमा, मस्सा, 15 हदर, तेमा, यतूर, नापीश, और केदमा। 16 इश्माएल के पुत्र ये ही हुए, और इन्हीं के नामों के अनुसार इनके गाँवों, और छावनियों के नाम भी पड़े; और ये ही बारह अपने अपने कुल के प्रधान हुए। 17 इश्माएल की सारी आयु एक सौ सैंतीस वर्ष की हुई; तब उसके प्राण छूट गए, और वह अपने लोगों में जा मिला। 18 उसके वंश हबीला से शूर तक, जो मिस्र के सम्मुख अश्शूर के मार्ग में है, बस गए; और उनका भाग उनके सब भाई–बन्धुओं के सम्मुख पड़ा। इसहाक के पुत्रों की उत्पत्ति का वर्णन 19 अब्राहम के पुत्र इसहाक की वंशावली यह है : अब्राहम से इसहाक उत्पन्न हुआ; 20 और इसहाक ने चालीस वर्ष का होकर रिबका से, जो पद्दनराम के वासी, अरामी बतूएल की बेटी और अरामी लाबान की बहिन थी, विवाह कर लिया। 21 इसहाक की पत्नी बाँझ थी, इसलिये उसने उसके निमित्त यहोवा से विनती की; और यहोवा ने उसकी विनती सुनी, इस प्रकार उसकी पत्नी रिबका गर्भवती हुई। 22 लड़के उसके गर्भ में आपस में लिपटके एक दूसरे को मारने लगे। तब उसने कहा, “मेरी जो ऐसी ही दशा रहेगी तो मैं कैसे जीवित रहूँगी?” और वह यहोवा की इच्छा पूछने को गई। 23 तब यहोवा ने उससे कहा, “तेरे गर्भ में दो जातियाँ हैं, और तेरी कोख से निकलते ही दो राज्य के लोग अलग अलग होंगे, और एक राज्य के लोग दूसरे से अधिक सामर्थी होंगे, और बड़ा बेटा छोटे के अधीन होगा।” 24 जब उसके प्रसव का समय आया, तब क्या प्रगट हुआ कि उसके गर्भ में जुड़वे बालक हैं। 25 पहला जो उत्पन्न हुआ वह लाल निकला, और उसका सारा शरीर कम्बल के समान रोममय था; इसलिये उसका नाम एसाव रखा गया। 26 पीछे उसका भाई अपने हाथ से एसाव की एड़ी पकड़े हुए उत्पन्न हुआ; और उसका नाम याक़ूब रखा गया। जब रिबका ने उनको जन्म दिया तब इसहाक साठ वर्ष का था। एसाव द्वारा पहिलौठे का अधिकार बेचना 27 फिर वे लड़के बढ़ने लगे, और एसाव तो वनवासी होकर चतुर शिकार खेलनेवाला हो गया, पर याक़ूब सीधा मनुष्य था और तम्बुओं में रहा करता था। 28 इसहाक एसाव के अहेर का मांस खाया करता था, इसलिये वह उससे प्रीति रखता था; पर रिबका याक़ूब से प्रीति रखती थी। 29 एक दिन याक़ूब भोजन के लिये कुछ दाल पका रहा था; और एसाव जंगल से थका हुआ आया। 30 तब एसाव ने याक़ूब से कहा, “वह जो लाल वस्तु है, उसी लाल वस्तु में से मुझे कुछ खिला, क्योंकि मैं थका हूँ।” इसी कारण उसका नाम एदोम् भी पड़ा। 31 याक़ूब ने कहा, “अपना पहिलौठे का अधिकार आज मेरे हाथ बेच दे।” 32 एसाव ने कहा, “देख, मैं तो अभी मरने पर हूँ : इसलिये पहिलौठे के अधिकार से मेरा क्या लाभ होगा?” 33 याक़ूब ने कहा, “मुझ से अभी शपथ खा,” अत: उसने उससे शपथ खाई, और अपना पहिलौठे का अधिकार याक़ूब के हाथ बेच डाला। 34 इस पर याक़ूब ने एसाव को रोटी और पकाई हुई मसूर की दाल दी; और उसने खाया–पिया, और उठकर चला गया। यों एसाव ने अपना पहिलौठे का अधिकार तुच्छ जाना। |
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