तेरह की वंशावली यह है : तेरह से अब्राम, नाहोर और हारान उत्पन्न हुए; और हारान से लूत उत्पन्न हुआ।
उत्पत्ति 19:1 - नवीन हिंदी बाइबल वे दो दूत साँझ को सदोम पहुँचे; उस समय लूत सदोम के फाटक पर बैठा था। जब लूत ने उन्हें देखा तो वह उनसे भेंट करने के लिए उठा, और भूमि पर गिरकर उन्हें दंडवत् किया। पवित्र बाइबल उनमें से दो स्वर्गदूत साँझ को सदोम नगर में आए। लूत नगर के द्वार पर बैठा था और उसने स्वर्गदूतों को देखा। लूत ने सोचा कि वे लोग नगर के बीच से यात्रा कर रहे हैं। लूत उठा और स्वर्गदूतों के पास गया तथा जमीन तक सामने झुका। Hindi Holy Bible सांझ को वे दो दूत सदोम के पास आए: और लूत सदोम के फाटक के पास बैठा था: सो उन को देख कर वह उन से भेंट करने के लिये उठा; और मुंह के बल झुक कर दण्डवत कर कहा; पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) वे दो दूत सन्ध्या के समय सदोम नगर पहुँचे। लोट सदोम नगर के प्रवेश द्वार पर बैठा था। जब लोट ने उन्हें देखा तब वह उनके स्वागत के लिए उठा। उसने भूमि की ओर सिर झुकाकर उनका अभिवादन किया, पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) साँझ को वे दो दूत सदोम के पास आए; और लूत सदोम के फाटक के पास बैठा था। उन को देखकर वह उनसे भेंट करने के लिये उठा, और मुँह के बल झुककर दण्डवत् कर कहा, सरल हिन्दी बाइबल संध्या होते-होते वे दो स्वर्गदूत सोदोम पहुंचे. इस समय लोत सोदोम के प्रवेश द्वार पर ही बैठे हुए थे. स्वर्गदूतों पर दृष्टि पड़ते ही लोत उनसे भेंटकरने के लिए खड़े हुए और उनको झुककर दंडवत किया. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 साँझ को वे दो दूत सदोम के पास आए; और लूत सदोम के फाटक के पास बैठा था। उनको देखकर वह उनसे भेंट करने के लिये उठा; और मुँह के बल झुककर दण्डवत् कर कहा; |
तेरह की वंशावली यह है : तेरह से अब्राम, नाहोर और हारान उत्पन्न हुए; और हारान से लूत उत्पन्न हुआ।
अब्राम तो कनान देश में बस गया पर लूत उस तराई के नगरों के बीच रहने लगा; और उसने अपना तंबू सदोम के पास खड़ा किया।
फिर वे पुरुष वहाँ से चल पड़े और उन्होंने सदोम की ओर दृष्टि की; और अब्राहम उन्हें विदा करने के लिए उनके साथ-साथ चला।
उसने कहा, “मेरे प्रभुओ, अपने दास के घर पधारिए; और अपने पैर धोकर वहीं रात बिताइए। फिर भोर को शीघ्र उठकर प्रस्थान कीजिए।” उन्होंने कहा, “नहीं, हम चौक में ही रात बिताएँगे।”
तब यूसुफ ने उन्हें अपने पिता के घुटनों के बीच से हटाया, और अपने मुँह के बल भूमि पर गिरकर दंडवत् की।
फाटक के पास बैठनेवाले मेरे विषय में बातचीत करते हैं, और मदिरा पीनेवाले मुझ पर गीत रचते हैं।
ऐसा ही लूत के दिनों में भी हुआ; लोग खाते, पीते, खरीदते, बेचते, पेड़ लगाते और घर बनाते थे।
अतिथि-सत्कार करना न भूलो, क्योंकि इसके द्वारा कुछ लोगों ने अनजाने में ही स्वर्गदूतों का स्वागत-सत्कार किया है।