यहोवा के भेद को वही जानते हैं जो उससे डरते हैं, और वह अपनी वाचा उन पर प्रगट करेगा। (इफि. 1:9, इफि. 1:18)
प्रेरितों के काम 27:10 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 “हे सज्जनों, मुझे ऐसा जान पड़ता है कि इस यात्रा में विपत्ति और बहुत हानि, न केवल माल और जहाज की वरन् हमारे प्राणों की भी होनेवाली है।” पवित्र बाइबल “हे पुरुषो, मुझे लगता है कि हमारी यह सागर-यात्रा विनाशकारी होगी, न केवल माल असबाब और जहाज़ के लिए बल्कि हमारे प्राणों के लिये भी।” Hindi Holy Bible कि हे सज्ज़नो मुझे ऐसा जान पड़ता है, कि इस यात्रा में विपत्ति और बहुत हानि न केवल माल और जहाज की वरन हमारे प्राणों की भी होने वाली है। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) “सज्जनो! मुझे लग रहा है कि यह यात्रा संकटमय होगी। हमें न केवल माल और जलयान की हानि उठानी पड़ेगी, बल्कि अपने प्राणों की भी।” पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) “हे सज्जनो, मुझे ऐसा जान पड़ता है कि इस यात्रा में विपत्ति और बहुत हानि, न केवल माल और जहाज की वरन् हमारे प्राणों की भी होनेवाली है।” नवीन हिंदी बाइबल “हे सज्जनो, मुझे जान पड़ता है कि इस यात्रा में विपत्ति आएगी, और न केवल माल और जहाज़ की, बल्कि हमारे प्राणों की भी हानि होगी।” सरल हिन्दी बाइबल “मुझे साफ़ दिखाई दे रहा है कि हमारी यह यात्रा हानिकारक है. इसके कारण जलयान व सामान की ही नहीं परंतु स्वयं हमारे जीवनों की घोर हानि होने पर है.” |
यहोवा के भेद को वही जानते हैं जो उससे डरते हैं, और वह अपनी वाचा उन पर प्रगट करेगा। (इफि. 1:9, इफि. 1:18)
मुझ पर यह भेद इस कारण नहीं खोला गया कि मैं अन्य सब प्राणियों से अधिक बुद्धिमान हूँ, परन्तु केवल इसी कारण खोला गया है कि स्वप्न का अर्थ राजा को बताया जाए, और तू अपने मन के विचार समझ सके।
इसी प्रकार से प्रभु यहोवा अपने दास भविष्यद्वक्ताओं पर अपना मर्म बिना प्रगट किए कुछ भी न करेगा। (प्रका. 10:7, भज. 25:14, यूह. 15:15)
जब साइप्रस दिखाई दिया, तो हमने उसे बाएँ हाथ छोड़ा, और सीरिया को चलकर सोर में उतरे; क्योंकि वहाँ जहाज का बोझ उतारना था।
तो पौलुस ने सूबेदार और सिपाहियों से कहा, “यदि ये जहाज पर न रहें, तो तुम भी नहीं बच सकते।”
इसलिए तुम्हें समझाता हूँ कि कुछ खा लो, जिससे तुम्हारा बचाव हो; क्योंकि तुम में से किसी के सिर का एक बाल भी न गिरेगा।”
और “यदि धर्मी व्यक्ति ही कठिनता से उद्धार पाएगा, तो भक्तिहीन और पापी का क्या ठिकाना?” (नीति. 11:31)