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नीतिवचन 23:20 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

दाखमधु के पीनेवालों में न होना, न माँस के अधिक खानेवालों की संगति करना;

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पवित्र बाइबल

तू उनके साथ मत रह जो बहुत पियक्कड़ हैं, अथवा ऐसे, जो ठूंस—ठूंस माँस खाते हैं।

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Hindi Holy Bible

दाखमधु के पीने वालों में न होना, न मांस के अधिक खाने वालों की संगति करना;

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

शराबियों के साथ मत रह, और उनके साथ जो मांस खूब खाते हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

दाखमधु के पीनेवालों में न होना, न मांस के अधिक खानेवालों की संगति करना;

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नवीन हिंदी बाइबल

तू न तो पियक्‍‍कड़ों के साथ, और न अत्यधिक मांस खानेवालों के साथ संगति रखना;

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सरल हिन्दी बाइबल

उनकी संगति में न रहना, जो मद्यपि हैं और न उनकी संगति में, जो पेटू हैं.

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नीतिवचन 23:20
17 क्रॉस रेफरेंस  

दाखमधु ठट्ठा करनेवाला और मदिरा हल्ला मचानेवाली है; जो कोई उसके कारण चूक करता है, वह बुद्धिमान नहीं।


जो रागरंग से प्रीति रखता है, वह कंगाल हो जाता है; और जो दाखमधु पीने और तेल लगाने से प्रीति रखता है, वह धनी नहीं होता।


और यदि तू अधिक खानेवाला हो, तो थोड़ा खाकर भूखा उठ जाना।


जो व्यवस्था का पालन करता वह समझदार सुपूत होता है, परन्तु उड़ाऊ का संगी अपने पिता का मुँह काला करता है।


परन्तु क्या देखा कि हर्ष और आनन्द मनाया जा रहा है, गाय-बैल का घात और भेड़-बकरी का वध किया जा रहा है, माँस खाया और दाखमधु पीया जा रहा है। और कहते हैं, “आओ खाएँ-पीएँ, क्योंकि कल तो हमें मरना है।” (1 कुरि. 15:32)


हाय उन पर जो बड़े तड़के उठकर मदिरा पीने लगते हैं और बड़ी रात तक दाखमधु पीते रहते हैं जब तक उनको गर्मी न चढ़ जाए!


हाय उन पर जो दाखमधु पीने में वीर और मदिरा को तेज बनाने में बहादुर हैं,


और अपने साथी दासों को पीटने लगे, और पियक्कड़ों के साथ खाए-पीए।


और बहुत दिन न बीते थे कि छोटा पुत्र सब कुछ इकट्ठा करके एक दूर देश को चला गया और वहाँ कुकर्म में अपनी सम्पत्ति उड़ा दी। (नीति. 29:3)


“एक धनवान मनुष्य था जो बैंगनी कपड़े और मलमल पहनता और प्रतिदिन सुख-विलास और धूम-धाम के साथ रहता था।


“इसलिए सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन खुमार और मतवालेपन, और इस जीवन की चिन्ताओं से सुस्त हो जाएँ, और वह दिन तुम पर फंदे के समान अचानक आ पड़े।


जैसे दिन में, वैसे ही हमें उचित रूप से चलना चाहिए; न कि लीलाक्रीड़ा, और पियक्कड़पन, न व्यभिचार, और लुचपन में, और न झगड़े और ईर्ष्या में।


और दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इससे लुचपन होता है, पर पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ, (नीति. 23:31,32, गला. 5:21-25)


और वे नगर के पुरनियों से कहें, ‘हमारा यह बेटा हठीला और दंगैत है, यह हमारी नहीं सुनता; यह उड़ाऊ और पियक्कड़ है।’