और आदम से उसने कहा, “तूने जो अपनी पत्नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैंने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना, उसको तूने खाया है, इसलिए भूमि तेरे कारण श्रापित है। तू उसकी उपज जीवन भर दुःख के साथ खाया करेगा; (इब्रा. 6:8)
अय्यूब 14:1 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 “मनुष्य जो स्त्री से उत्पन्न होता है, उसके दिन थोड़े और दुःख भरे है। पवित्र बाइबल अय्यूब ने कहा, “हम सभी मानव है हमारा जीवन छोटा और दु:खमय है! Hindi Holy Bible मनुष्य जो स्त्री से उत्पन्न होता है, वह थोड़े दिनों का और दुख से भरा रहता है। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) ‘स्त्री से जन्मा मनुष्य अल्पायु होता है; उसका सारा जीवन दु:ख से भरा रहता है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) “मनुष्य जो स्त्री से उत्पन्न होता है, वह थोड़े दिनों का और दु:ख से भरा रहता है। सरल हिन्दी बाइबल “स्त्री से जन्मे मनुष्य का जीवन, अल्पकालिक एवं दुःख भरा होता है. |
और आदम से उसने कहा, “तूने जो अपनी पत्नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैंने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना, उसको तूने खाया है, इसलिए भूमि तेरे कारण श्रापित है। तू उसकी उपज जीवन भर दुःख के साथ खाया करेगा; (इब्रा. 6:8)
याकूब ने फ़िरौन से कहा, “मैं तो एक सौ तीस वर्ष परदेशी होकर अपना जीवन बिता चुका हूँ; मेरे जीवन के दिन थोड़े और दुःख से भरे हुए भी थे, और मेरे बापदादे परदेशी होकर जितने दिन तक जीवित रहे उतने दिन का मैं अभी नहीं हुआ।”
और उसने अपने पिता से कहा, “आह! मेरा सिर, आह! मेरा सिर।” तब पिता ने अपने सेवक से कहा, “इसको इसकी माता के पास ले जा।”
क्या मेरे दिन थोड़े नहीं? मुझे छोड़ दे, और मेरी ओर से मुँह फेर ले, कि मेरा मन थोड़ा शान्त हो जाए
मनुष्य है क्या कि वह निष्कलंक हो? और जो स्त्री से उत्पन्न हुआ वह है क्या कि निर्दोष हो सके?
फिर मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी कैसे ठहर सकता है? और जो स्त्री से उत्पन्न हुआ है वह कैसे निर्मल हो सकता है?
परन्तु जैसे चिंगारियाँ ऊपर ही ऊपर को उड़ जाती हैं, वैसे ही मनुष्य कष्ट ही भोगने के लिये उत्पन्न हुआ है।
“क्या मनुष्य को पृथ्वी पर कठिन सेवा करनी नहीं पड़ती? क्या उसके दिन मजदूर के से नहीं होते? (अय्यू. 14:5,13,14)
क्योंकि हम तो कल ही के हैं, और कुछ नहीं जानते; और पृथ्वी पर हमारे दिन छाया के समान बीतते जाते हैं।
“मेरे दिन हरकारे से भी अधिक वेग से चले जाते हैं; वे भागे जाते हैं और उनको कल्याण कुछ भी दिखाई नहीं देता।
देख, तूने मेरी आयु बालिश्त भर की रखी है, और मेरा जीवनकाल तेरी दृष्टि में कुछ है ही नहीं। सचमुच सब मनुष्य कैसे ही स्थिर क्यों न हों तो भी व्यर्थ ठहरे हैं। (सेला)
सचमुच मनुष्य छाया सा चलता फिरता है; सचमुच वे व्यर्थ घबराते हैं; वह धन का संचय तो करता है परन्तु नहीं जानता कि उसे कौन लेगा!
देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा। (यूह. 3:6, रोम. 5:12, इफि. 2:3)
इसलिए मैंने अपने जीवन से घृणा की, क्योंकि जो काम सूर्य के नीचे किया जाता है मुझे बुरा मालूम हुआ; क्योंकि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है।
उसके सब दिन तो दुःखों से भरे रहते हैं, और उसका काम खेद के साथ होता है; रात को भी उसका मन चैन नहीं पाता। यह भी व्यर्थ ही है।
मैं क्यों उत्पात और शोक भोगने के लिये जन्मा और कि अपने जीवन में परिश्रम और दुःख देखूँ, और अपने दिन नामधराई में व्यतीत करूँ?
“मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो स्त्रियों से जन्मे हैं, उनमें से यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से कोई बड़ा नहीं हुआ; पर जो स्वर्ग के राज्य में छोटे से छोटा है वह उससे बड़ा है।