शासक गिद्ओन1 इस्राएलियों ने वही कार्य किया जो प्रभु की दृष्टि में बुरा था। अत: प्रभु ने उन्हें सात वर्ष के लिए मिद्यानी जाति के हाथ में सौंप दिया। 2 मिद्यानियों की शक्ति इस्राएलियों पर छा गई। इस्राएलियों ने मिद्यानियों के कारण पहाड़ों पर अपने लिए गड्ढे, गुफाएँ और गढ़ बना लिए। 3 जब इस्राएली बीज बोते, तब मिद्यानी, अमालेकी और पूर्व के लोग आते और उन पर आक्रमण करते थे। 4 वे इस्राएली लोगों के विरुद्ध पड़ाव डालते और गाजा नगर तक उनके खेतों की उपज नष्ट कर देते थे। वे इस्राएलियों के लिए भोजन-वस्तु, भेड़, बैल और गधा भी नहीं छोड़ते थे। 5 वे अपने पशुओं और तम्बुओं के साथ चढ़ाई करते थे। वे टिड्डी दल के समान असंख्य होते थे। उनके सैनिकों और ऊंटों की गणना नहीं की जा सकती थी। जब वे आते, तब देश को उजाड़ देते थे। 6 मिद्यानियों के कारण इस्राएलियों की बड़ी दुर्दशा हो गई। तब इस्राएलियों ने प्रभु की दुहाई दी। 7 जब इस्राएलियों ने मिद्यानियों के कारण प्रभु की दुहाई दी 8 तब प्रभु ने इस्राएलियों के पास एक नबी भेजा। नबी ने उनसे कहा, ‘इस्राएल का प्रभु परमेश्वर यों कहता है : “मैं तुम्हें मिस्र देश से लाया। मैंने ही तुम्हें दासत्व के घर से बाहर निकाला। 9 मैंने ही तुम्हें मिस्र देश के निवासियों के हाथ से मुक्त किया। मैंने तुम्हें उनके हाथ से मुक्त किया, जो तुम पर अत्याचार करते थे। मैंने तुम्हारे सम्मुख से उन्हें उनके देश से निकाल दिया और उनका वह देश तुम्हें दे दिया। 10 तब मैंने तुमसे यह कहा था : मैं तुम्हारा प्रभु परमेश्वर हूँ। तुम एमोरी जाति के देवताओं की, जिनके देश में निवास करोगे, पूजा मत करना। पर तुमने मेरी वाणी नहीं सुनी।” ’ 11 प्रभु का दूत आया। वह ओप्राह नगर के एक बांज वृक्ष के नीचे बैठ गया। यह अबीएजरी गोत्र के योआश का वृक्ष था। उस समय उसका पुत्र गिद्ओन अंगूर पेरने के कोल्हू में गेहूँ साफ कर रहा था कि गेहूँ को मिद्यानियों की दृष्टि से छिपाया जा सके। 12 प्रभु के दूत ने दर्शन दिया। उसने गिद्ओन से कहा, ‘ओ महाबली योद्धा, प्रभु तेरे साथ है।’ 13 गिद्ओन ने उससे कहा, ‘स्वामी, यदि प्रभु हमारे साथ है तो ये संकट हम पर क्यों आए? कहाँ गए प्रभु के आश्चर्यपूर्ण कार्य, जिनकी चर्चा हमारे बड़े-बूढ़े लोग हमसे करते हैं? वे हमसे कहते हैं : “निस्सन्देह, प्रभु ही हमें मिस्र देश से लाया है।” पर अब प्रभु ने हमें त्याग दिया, और मिद्यानियों के हाथ सौंप दिया है।’ 14 प्रभु उसकी ओर उन्मुख हुआ। उसने कहा, ‘अपनी इसी शक्ति के आधार पर जा और इस्राएलियों को मिद्यानियों के हाथ से मुक्त कर। निस्सन्देह मैं तुझे भेज रहा हूँ।’ 15 पर गिद्ओन ने उससे कहा, ‘स्वामी, मैं कैसे इस्राएलियों को मुक्त कर सकता हूँ? मेरा वंश मनश्शे गोत्र में सबसे दुर्बल है। मैं अपने परिवार में सबसे छोटा हूँ।’ 16 प्रभु ने उससे कहा, ‘मैं तेरे साथ रहूँगा, और तू मिद्यानियों को इस प्रकार मार डालेगा मानो वे केवल एक मनुष्य हों!’ 17 गिद्ओन ने उससे कहा, ‘यदि तेरी कृपादृष्टि मुझ पर हो तो मुझे कोई चिह्न दिखा, जिससे यह प्रकट हो कि तू ही मुझ से वार्तालाप कर रहा है। 18 जब तक मैं लौटकर न आऊं, तब तक तू यहाँ से मत जाना। मैं तेरे लिए अपनी भेंट लाऊंगा और उसको तेरे सम्मुख परोसूँगा।’ उसने कहा, ‘जब तक तू लौटकर नहीं आएगा तब तक मैं यहीं ठहरूँगा।’ 19 अत: गिद्ओन घर में आया। उसने बकरी का एक बच्चा काटा और दस किलो आटे की बेखमीर रोटियाँ बनाईं। तत्पश्चात् वह मांस को टोकरी में, और शोरबा को एक बर्तन में रखकर बांज वृक्ष के नीचे गया। जब वह निकट पहुँचा 20 तब परमेश्वर के दूत ने उससे कहा, ‘मांस और बेखमीर रोटियाँ ले और उन्हें इस चट्टान पर रख दे। तत्पश्चात् शोरबे को उस पर उण्डेल दे।’ गिद्ओन ने ऐसा ही किया। 21 तब प्रभु के दूत ने अपने हाथ की लाठी को मांस और बेखमीर रोटी की ओर बढ़ाया, और लाठी के छोर से उन्हें स्पर्श किया। उसी क्षण चट्टान से आग निकली, और उसने मांस तथा बेखमीर रोटी को भस्म कर दिया। प्रभु का दूत भी गिद्ओन की दृष्टि से ओझल हो गया। 22 तब गिद्ओन को अनुभव हुआ कि वह प्रभु का दूत था। गिद्ओन ने कहा, ‘हाय! हे मेरे स्वामी, हे प्रभु! मैंने प्रभु के दूत को साक्षात देखा!’ 23 प्रभु ने उससे कहा, ‘तेरा कल्याण हो! मत डर! तू मेरे दर्शन के कारण नहीं मरेगा!’ 24 गिद्ओन ने वहाँ प्रभु के लिए एक वेदी निर्मित की और उसका यह नाम रखा : ‘प्रभु कल्याण करता है’। यह वेदी आज भी ओप्राह नगर में स्थित है, जिस पर अबीएजरी गोत्र का अधिकार है। 25 प्रभु ने उसी रात को गिद्ओन से कहा, ‘अपने पिता के सेवकों में से दस सेवक और सात-वर्षीय एक साँड़ ले। अपने पिता के बअल देवता की वेदी को ताड़ डाल, और वेदी के समीप अशेराह देवी के लकड़ी के खंभों को काट डाल। 26 तत्पश्चात् अपने प्रभु परमेश्वर के लिए यहाँ, चट्टान के उच्च शिखर पर निर्धारित विधि के अनुसार एक वेदी बना। उसके बाद सांड़ को अशेराह देवी के खंभों के साथ, जिन्हें तू काटेगा, अग्नि-बलि के रूप में अर्पित कर। 27 अत: गिद्ओन ने अपने सेवकों में से दस सेवक लिए, और वैसा ही किया, जैसा प्रभु ने उससे कहा था। वह अपने पिता और नगर के लोगों से डरता था। इसलिए उसने यह काम दिन में नहीं किया, वरन् रात में किया। 28 बड़े सबेरे नगर के लोग उठे। उन्होंने देखा कि किसी ने बअल देवता की वेदी को तोड़-फोड़ दिया है। वेदी के समीप अशेराह देवी के खंभों को काट डाला है। नवनिर्मित वेदी पर सांड़ की अग्नि-बलि चढ़ाई गई है। 29 उन्होंने एक-दूसरे से पूछा ‘यह कार्य किसने किया है?’ उन्होंने खोज-बीन, जांच-पड़ताल की। तब उन्हें किसी ने बताया, ‘योआश के पुत्र गिद्ओन ने यह कार्य किया है।’ 30 अत: नगर के लोगों ने योआश से कहा, ‘अपने पुत्र को बाहर निकालो। उसका वध किया जाएगा, क्योंकि उसने बअल देवता की वेदी को तोड़ा है। वेदी के समीप अशेराह देवी के खंभों को काटा है।’ 31 योआश ने अपने आस-पास खड़े हुए लोगों से कहा, ‘क्या तुम बअल देवता के लिए बहस ही करते रहोगे, या उसकी रक्षा भी करोगे? जो व्यक्ति उसके लिए बहस करेगा, उसे सबेरे तक मृत्यु दण्ड दे दिया जाएगा। यदि बअल देवता ईश्वर है, तो वह अपने पक्ष में स्वयं बहस करे; क्योंकि उसकी वेदी तोड़ी गई है।’ 32 अत: उस दिन से गिद्ओन का नाम यरूब-बअल पड़ा; अर्थात् ‘बअल उससे स्वयं बहस करे!’ क्योंकि गिद्ओन ने उसकी वेदी तोड़ी थी। 33 इस घटना के पश्चात् मिद्यानी, अमालेकी और पूर्व के निवासी परस्पर एकत्र हुए। उन्होंने यर्दन नदी पार की और यिज्रएल घाटी में पड़ाव डाला। 34 प्रभु का आत्मा गिद्ओन पर उतरा। गिद्ओन ने नरसिंघा फूंका, और अबीएजर गोत्र के पुरुष उसका अनुसरण करने के लिए बुलाए गए। 35 उसने समस्त मनश्शे गोत्र को दूत भेजे, और वे उसका अनुसरण करने के लिए बुलाए गए। उसने आशेर, जबूलून और नफ्ताली कुलों को भी दूत भेजे। वे उससे भेंट करने को गए। 36 तब गिद्ओन ने परमेश्वर से कहा, ‘यदि तू मेरे द्वारा इस्राएलियों को मुक्त करेगा, जैसा तूने कहा है, 37 तो देख मैं ऊन की कतरन खलियान में रखूँगा। यदि ओस केवल ऊन की कतरन पर पड़ेगी, और शेष भूमि सूखी रहेगी तो मुझे ज्ञात हो जाएगा कि तू मेरे द्वारा इस्राएलियों को मुक्त करेगा, जैसा तूने कहा है।’ 38 ऐसा ही हुआ। वह दूसरे दिन सबेरे उठा। उसने ऊन की कतरन को दबाया और उसमें से ओस निचोड़ी। तब उससे इतना पानी निकला कि कटोरा भर गया। 39 गिद्ओन ने परमेश्वर से कहा, ‘तेरा क्रोध मेरे प्रति न भड़क उठे! कृपाकर, मुझे एक बार और बोलने की अनुमति दे। मुझे एक बार और ऊन की कतरन को परखने दे : इस बार केवल ऊन की कतरन सूखी रहे, और सारी भूमि पर ओस गिरे।’ 40 परमेश्वर ने उस रात ऐसा ही किया। केवल ऊन की कतरन सूखी थी। पर सब भूमि पर ओस गिरी। |
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.
Bible Society of India