पुरोहित यहोयादा का एक पुत्र था − जकर्याह। परमेश्वर का आत्मा उस पर उतरा और वह एक ऊंचे स्थान पर खड़ा होकर लोगों से कहने लगा, ‘परमेश्वर यों कहता है: तुम मेरी आज्ञाओं का उल्लंघन क्यों करते हो? इस कारण तुम्हारा कोई भी काम सफल नहीं होता है। तुमने मुझ-प्रभु को छोड़ दिया, इसलिए मैंने भी तुमको छोड़ दिया।’
तब आत्मा तीस योद्धाओं के नायक अमासई पर उतरा। अमासई ने कहा, ‘ओ दाऊद, ओ बेन-यिशय! हम तुम्हारे हैं, हम तेरे साथ हैं! तेरे जय, जय! जय तेरे सहायकों की! क्योंकि परमेश्वर तेरा सहायक है।’ तब दाऊद ने उनको अपने पक्ष में स्वीकार किया, और उनको अपने सैन्य दलों का नायक बनाया।
प्रभु का आत्मा उस पर उतरा। उसने इस्राएलियों पर शासन किया। वह मसोपोतामिया के राजा कूशन-रिश्आतइम से युद्ध करने बाहर निकला। प्रभु ने राजा को उसके हाथ में सौंप दिया। कूशन-रिश्आतइम शासक ओतनीएल के अधीन हो गया।
जब शिमशोन लेही नगर पहुँचा तब पलिश्ती विजय के नारे लगाते हुए उससे भेंट करने के लिए आए। तब प्रभु का आत्मा वेगपूर्वक शिमशोन पर उतरा। उसकी बाहों पर बंधी रस्सियाँ आग से जले हुए सन के रेशों के समान हो गईं। उसके हाथों के बन्धन मानो गल कर टूट गए।
तब प्रभु का आत्मा वेगपूर्वक शिमशोन पर उतरा, और वह अश्कलोन को चला गया। उसने अश्कलोन नगर के तीस पुरुषों का वध कर दिया। उसने उनके वस्त्र उतार लिये, और उनको उत्सव के वस्त्र के रूप में उन लोगों को दे दिया, जिन्होंने पहेली का अर्थ बताया था। तत्पश्चात् वह क्रोध में भरा हुआ अपने पिता के घर चला गया।
गिद्ओन ने उनसे कहा, ‘सच पूछो तो जो कार्य तुमने किया है, उसकी तुलना में मैंने किया ही क्या है? क्या अबीएजर गोत्र की अंगूर की सारी फसल एफ्रइम गोत्र के बिनाई के लिए छोड़ दिए गए अंगूर के दानों के बराबर होती है? कदापि नहीं!
प्रभु का दूत आया। वह ओप्राह नगर के एक बांज वृक्ष के नीचे बैठ गया। यह अबीएजरी गोत्र के योआश का वृक्ष था। उस समय उसका पुत्र गिद्ओन अंगूर पेरने के कोल्हू में गेहूँ साफ कर रहा था कि गेहूँ को मिद्यानियों की दृष्टि से छिपाया जा सके।
मनश्शे के अन्य पुत्रों को भी उनके परिवारों के अनुसार भूमि दी गई। यूसुफ के पुत्र मनश्शे के अन्य पुत्र ये थे : अबीएजर, हेलक, अश्रीएल, शकेम, हेफर और शमीदा। ये मनश्शे गोत्र के परिवारों के मुखिया थे।
योनातन ने गिबआह नगर के पलिश्ती प्रशासक को मार डाला। पलिश्तियों ने यह सुना कि इब्रानियों ने विद्रोह कर दिया है। शाऊल ने समस्त देश में विद्रोह का नरसिंगा बजाने का आदेश दिया।
जब दाऊद पलिश्ती सेना के साथ शाऊल से युद्ध करने आया था, तब मनश्शे गोत्र के कुछ योद्धा आकर उससे मिल गए थे। (दाऊद युद्ध में पलिश्तियों की सहायता नहीं कर सका था; क्योंकि पलिश्ती सामन्तों ने परस्पर सम्मति की, और उसे युद्ध से भेज दिया था। उन्होंने कहा, ‘यह हमारे सिर कटवाकर अपने स्वामी शाऊल से मिल जाएगा।’)