यीशु की परीक्षा1 फिर आत्मा यीशु को जंगल में ले गया कि शैतान द्वारा उसकी परीक्षा हो। 2 चालीस दिन और चालीस रात उपवास करने के बाद उसे भूख लगी। 3 तब परखनेवाले ने पास आकर उससे कहा, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियाँ बन जाएँ।” 4 इस पर यीशु ने कहा,“लिखा है : मनुष्य केवल रोटी से नहीं, परंतु परमेश्वर के मुँह से निकलनेवाले हर एक वचन से जीवित रहेगा।” 5 तब शैतान उसे पवित्र नगर में ले गया और मंदिर की चोटी पर खड़ा किया, 6 और उससे कहा, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आपको नीचे गिरा दे, क्योंकि लिखा है : वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा और वे तुझे हाथों पर उठा लेंगे, कहीं ऐसा न हो कि तेरे पैरों को पत्थर से चोट लगे।” 7 यीशु ने उससे कहा,“यह भी लिखा है : तू अपने प्रभु परमेश्वर की परीक्षा न कर।” 8 फिर शैतान उसे बहुत ऊँचे पहाड़ पर ले गया और जगत के सारे राज्य और उनका वैभव दिखाया, 9 और उससे कहा, “यदि तू गिरकर मुझे दंडवत् करे तो मैं यह सब तुझे दे दूँगा।” 10 तब यीशु ने उससे कहा,“हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है : तू अपने प्रभु परमेश्वर को दंडवत् कर और केवल उसी की सेवा कर।” 11 तब शैतान उसे छोड़कर चला गया, और देखो, स्वर्गदूत आकर यीशु की सेवा करने लगे। गलील में सेवाकार्य का आरंभ12 जब यीशु ने यह सुना कि यूहन्ना बंदी बना लिया गया है तो वह गलील को चला गया। 13 वह नासरत को छोड़कर कफरनहूम में आकर रहा, जो झील के किनारे जबूलून और नप्ताली के क्षेत्रों के बीच में है; 14 ताकि वह वचन जो यशायाह भविष्यवक्ता के द्वारा कहा गया था, पूरा हो : 15 जबूलून और नप्ताली के देश, झील के मार्ग पर, यरदन के पार, गैरयहूदियों का गलील— 16 जहाँ के लोग अंधकार में रहते थे, उन्होंने एक बड़ी ज्योति देखी, और जो मृत्यु के देश और छाया में रहते थे, उन पर ज्योति उदय हुई। 17 उस समय से यीशु ने प्रचार करना और यह कहना आरंभ किया,“पश्चात्ताप करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।” यीशु के प्रथम शिष्य18 गलील की झील के किनारे चलते समय यीशु ने दो भाइयों अर्थात् शमौन को जो पतरस कहलाता है, और उसके भाई अंद्रियास को झील में जाल डालते हुए देखा, क्योंकि वे मछुए थे। 19 यीशु ने उनसे कहा,“मेरे पीछे आओ, और मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुए बनाऊँगा।” 20 तब वे तुरंत जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए। 21 वहाँ से आगे जाकर उसने दूसरे दो भाइयों, ज़ब्दी के पुत्र याकूब और उसके भाई यूहन्ना को अपने पिता ज़ब्दी के साथ नाव में अपने जालों को सुधारते हुए देखा; और उसने उनको बुलाया। 22 वे तुरंत नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए। यीशु द्वारा बीमारों को स्वस्थ करना23 यीशु सारे गलील में घूमता रहा और उनके आराधनालयों में उपदेश देता और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता और लोगों की हर प्रकार की बीमारी और हर प्रकार की दुर्बलता को दूर करता रहा। 24 उसकी चर्चा सारे सीरिया में फैल गई; तब वे सब बीमारों को जो भिन्न-भिन्न प्रकार की बीमारियों और दुःखों से जकड़े हुए थे, और दुष्टात्माग्रस्त लोगों, तथा मिर्गी और लकवे के रोगियों को उसके पास लाए, और उसने उन्हें स्वस्थ कर दिया। 25 तब गलील, दिकापुलिस, यरूशलेम, यहूदिया और यरदन नदी के पार से एक बड़ी भीड़ उसके पीछे चल दी। |